Sitamarhi Seat: 1952 से लेकर 2019 तक के चुनावी इतिहास में यहां आज तक बीजेपी को कामयाबी हासिल नहीं हुई है. हालांकि, 2009 से यहां एनडीए का कब्जा है. इस बार BJP और JDU के अलावा चिराग पासवान और उपेंद्र कुशवाहा ने भी इस सीट पर अपनी-अपनी दावेदारी ठोक रहे हैं.
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Sitamarhi Seat: लोकसभा चुनाव में अब महज 100 दिन का वक्त बचा है. चुनाव से पहले सीएम नीतीश कुमार ने दोबारा से एनडीए में पलटी मारकर इंडिया ब्लॉक को तगड़ा झटका दिया है. नीतीश के एनडीए में आने से जहां उनका खेमा मजबूत हुआ है, वहीं सीटों का गुणा-गणित भी गड़बड़ा गया है. अब एनडीए में सीट शेयरिंग को लेकर खींचतान देखने को मिल रही है. कई सीटों पर तो अभी से घमासान देखने को मिल रही है. इन्ही में से एक सीतामढ़ी सीट भी है. सीतामढ़ी सीट पर एनडीए के चार दलों ने अपना-अपना दावा ठोका है. वर्तमान में यह सीट जेडीयू के पास है और सुनील कुमार पिंटू यहां से सांसद हैं.
वहीं 2014 में एनडीए में यह सीट उपेंद्र कुशवाहा की तत्कालीन पार्टी रालोसपा के खाते में गई थी. तब यहां से रालोसपा के उम्मीदवार की जीत हुई थी. कुशवाहा एक बार फिर से एनडीए का हिस्सा हैं और फिर से इस सीट पर अपना दावा कर रहे हैं. वहीं इस बार बीजेपी यहां अपना उम्मीदवार उतारना चाहती है. चिराग पासवान की नजर भी इस सीट पर है. चिराग और कुशवाहा दोनों ने इस सीट के लिए प्रभारी भी नियुक्त कर दिए हैं.
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बता दें कि इस सीट का भूगोल और इतिहास बनता-बिगड़ता रहा है. 1952 से लेकर 2019 तक के चुनावी इतिहास में यहां आज तक बीजेपी को कामयाबी हासिल नहीं हुई है. हालांकि, 2009 से यहां एनडीए का कब्जा है. शुरुआती दौर में इस सीट पर कांग्रेस का दबदबा था तो आपातकाल के बाद से समाजवादियों में उठापटक देखने को मिलती है. 2004 के बाद से राजद को भी कामयाबी हासिल नहीं हुई है. 2009 में जदयू के अर्जुन राय ने जीत हासिल की. 2014 में उपेंद्र कुशवाहा की पार्टी से रामकुमार शर्मा को जीत मिली थी. वहीं 2019 में एनडीए में शामिल जदयू के खाते में सीट आई.
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