Bihar Politics: महागठबंधन की ओर से चिराग पासवान को 7 सीटों का आफर दिया गया है. महागठबंधन की मंशा चिराग पासवान के सहारे एनडीए के कुनबे में सेंध लगाने की है पर सबसे बड़ा सवाल यह है कि क्या चिराग पासवान महागठबंधन का आफर स्वीकार करेंगे.
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पटनाः महागठबंधन की ओर से चिराग पासवान को 7 सीटों का आफर दिया गया है. महागठबंधन की मंशा चिराग पासवान के सहारे एनडीए के कुनबे में सेंध लगाने की है पर सबसे बड़ा सवाल यह है कि क्या चिराग पासवान महागठबंधन का आफर स्वीकार करेंगे. अभी तक के संकेतों को मानें तो चिराग पासवान पीएम मोदी और एनडीए के साथ अटल हैं. महागठबंधन की 7 सीटों की तुलना में वे एनडीए के 6 सीटों के आफर (दोनों धड़ों को मिलाकर) को मान सकते हैं, अगर भाजपा उनकी एक बड़ी मांग को पूरी कर दे. चिराग पासवान की बलवती इच्छा हाजीपुर से चुनाव लड़ने की है. हाजीपुर सीट चिराग पासवान के पिता स्वर्गीय रामविलास पासवान की परंपरागत सीट रही है और हाजीपुर की विरासत पर चिराग पासवान अपना स्वाभाविक दावा मानते हैं. कुल मिलाकर भावनात्मक रूप से हाजीपुर सीट चिराग पासवान के लिए बहुत अहम है.
चिराग पासवान महागठबंधन में क्यों नहीं जाएंगे
इस सवाल में ही इसका जवाब छिपा हुआ है. सवाल यही है कि चिराग पासवान महागठबंधन में क्यों जाएंगे. जब चिराग पासवान ने तन्हाई वाले समय को पीएम मोदी का हनुमान बनकर काट लिया तो अब तो वे एनडीए के मजबूत घटक दल हैं और आज के समय में उनके सबसे बड़े राजनीतिक दुश्मन नीतीश कुमार को भी उनके एनडीए में रहने से कोई दिक्कत नहीं है. चिराग पासवान के पास मौका था 2020 के विधानसभा चुनाव में महागठबंधन में जाने का. वो जा सकते थे पर अकेले चुनाव लड़कर नीतीश कुमार को नुकसान पहुंचा दिया. परोक्ष रूप से भाजपा को फायदा पहुंचाकर वे पीएम मोदी के हनुमान की भूमिका निभाते रहे. ऐसे समय में जब इंडिया ब्लॉक पर एनडीए को भारी बढ़त देखी जा रही है तो चिराग पासवान महागठबंधन में जाने की भूल कैसे करेंगे. ऐसे समय में जब पूरा देश राम लहर पर सवार है तो चिराग पासवान महागठबंधन में जाने की गलती कैसे करेंगे. ऐसे समय में जब पिछले साल 5 राज्यों के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की बुरी तरह हार हुई है तो चिराग पासवान इंडिया ब्लॉक में जाने की गलती कैसे करेंगे. ऐसे समय में जब लोजपा आर के अधिकांश नेता एनडीए में रहने के हिमायती हैं तो चिराग पासवान महागठबंधन में जाने की कैसे सोच सकते हैं.
अभी नाराज हैं तो आगे मान भी जाएंगे चिराग
इसमें कोई दो राय नहीं कि चिराग पासवान अभी नाराज हैं और पीएम मोदी की बिहार में तीन रैलियों में उनकी गैरमौजूदगी से कई तरह के सवाल उठे हैं. सबसे बड़ा सवाल यह कि क्या पीएम मोदी की रैली के लिए चिराग पासवान को न्यौता दिया गया था? क्या न्यौता मिलने के बाद भी चिराग पासवान ने पीएम मोदी की रैली में जाने की जहमत नहीं उठाई? क्या उनकी नाराजगी के बाद भाजपा या एनडीए के बड़े नेताओं ने उन्हें मनाने की कोशिश की? ऐसे कई सवाल उठे हैं, जिनका जवाब पब्लिक डोमेन में नहीं है. इतना तय मानिए, जो व्यक्ति खुद को पीएम मोदी का हनुमान बताता है, वो उनसे कितने दिनों तक नाराज रह सकता है. जब चिराग पासवान एनडीए में शामिल हुए थे और पीएम मोदी से मुलाकात की थी, तो वो तस्वीर आपने देखी होगी कि कैसे पीएम मोदी ने उन्हें गले से लगाया था. इसलिए चिराग पासवान अगर अभी नाराज हैं तो आगे मान भी जाएंगे अगर उनकी मुराद पूरी हो गई तो.
चिराग को मनाने के लिए पशुपति के लिए ये प्लान
ऐसा नहीं है कि चिराग और पशुपति के झगड़े को लेकर भाजपा हाथ पर हाथ धरे बैठी है. अगर चिराग पासवान को भाजपा हाजीपुर से लड़ाने पर सहमत हो जाती है तो जाहिर है कि पशुपति कुमार पारस ज्यादा विरोध नहीं कर पाएंगे. इसलिए भाजपा के रणनीतिकारों ने पशुपति कुमार पारस के लिए समस्तीपुर सीट विकल्प के रूप में रखा है.
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