Jharkhand News: झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से ईडी की टीम पूछताछ कर रही है. इसका मुख्य कारण उनके कथित जमीन घोटाले में शामिल होना है. ईडी मनी लॉन्ड्रिंग की जांच कर रही है और कई आरोपियों को गिरफ्तार किया है, जिन्हें सोरेन के करीबी माना जा रहा है. सोरेन को ईडी ने 10 समन जारी किए हैं और पहले भी उनसे पूछताछ की गई है. ईडी के अनुसार गिरफ्तारी से सोरेन को छूट नहीं मिलेगी, लेकिन अगर वे मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दें, तो उन्हें गिरफ्तार किया जा सकता है.


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इस मामले में अब दो आशंकाएं हैं, पहली ये कि उन्हें गिरफ्तार किया जा सकता है और दूसरी ये कि वे मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे सकते हैं. लेकिन संविधान के अनुच्छेद 361 के तहत राष्ट्रपति और राज्यपाल को गिरफ्तारी से छूट मिलती है, चाहे वह सिविल मामला हो या क्रिमिनल मामला. लेकिन मुख्यमंत्री या विधायकों को इस छूट का लाभ सिर्फ सिविल मामलों में ही होता है, न कि क्रिमिनल मामलों में.


मुख्यमंत्री को सिविल मामलों में गिरफ्तारी से छूट मिलती है, लेकिन अगर उन्हें क्रिमिनल मामले में दोषी ठहराया जाता है, तो उन्हें गिरफ्तार किया जा सकता है. इसके बाद, सदन के अध्यक्ष से मंजूरी लेना जरूरी है और सत्र से 40 दिन पहले, उस दौरान और उसके 40 दिन बाद तक गिरफ्तार नहीं किया जा सकता.


इतिहास में हमें कुछ उदाहरण मिलते हैं जहां मुख्यमंत्रियों ने गिरफ्तारी के मामले में इस्तीफा दिया है. लालू यादव ने 1997 में गिरफ्तार होने पर मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था. उन्हें चारा घोटाले की जांच के दौरान गिरफ्तार किया गया था और उन्होंने खुद को पद से हटा दिया. एक और उदाहरण है जयललिता का जो तमिलनाडु की मुख्यमंत्री थीं. उन्हें बेंगलुरु की एक कोर्ट ने आय से अधिक संपत्ति मामले में दोषी ठहराया था. जब तक जांच चल रही थी, वह पद पर बनी रहीं, लेकिन जब दोषी ठहराया गया तो उन्होंने सीएम पद से इस्तीफा दिया.


यह साफ रूप से दिखाता है कि मुख्यमंत्री को गिरफ्तारी से छूट मिलती है, लेकिन अगर किसी क्रिमिनल मामले में दोषी ठहराया जाता है, तो उन्हें इस्तीफा देना पड़ सकता है.


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