Bihar News: नीतीश कुमार ने सबसे पहले बिहार में जातीय जनगणना की बात तब की थी, जब वे 1989 में केंद्र में मंत्री बने थे. एनडीए के सीएम होने के बाद भी उन्होंने हमेशा जातीय जनगणना की बात की. तब तक राहुल गांधी और नीतीश कुमार के बीच वैसा कुछ भी नहीं था कि वे यह बोल सकें कि जातीय जनगणना होना चाहिए या नहीं होना चाहिए.
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पटना: बिहार के पूर्णिया में भारत जोड़ो न्याय यात्रा के तहत हुई कांग्रेस की रैली को संबोधित करते हुए राहुल गांधी ने ऐसी बात कह दी, जिसे पचा पाना राजद नेताओं के लिए भी मुश्किल हो रहा है. दरअसल, राहुल गांधी ने पूर्णिया की रैली में यह कह दिया कि उन्होंने बिहार में नीतीश कुमार को मजबूर किया कि वे जातीय जनगणना करवाएं. राहुल गांधी ने कहा कि उनके दबाव में बिहार में नीतीश कुमार ने जातीय जनगणना करवाया. राहुल गांधी ने कहा, मैंने नीतीश कुमार जी से कहा था कि आपको जातीय जनगणना करवानी होगी. हम इसके लिए आपको छूट नहीं देंगे. राहुल गांधी ने यह भी कहा कि केंद्र में इंडिया की सरकार बनने पर पूरे देश में जातीय जनगणना करवाएंगे. राहुल गांधी के इस दावे का नीतीश कुमार ने तो खंडन कर दिया पर लालू प्रसाद और तेजस्वी यादव की पार्टी तो उनकी बात का खंडन भी नहीं कर सकते और न ही पचा सकते हैं. राजद इस मामले में क्रेडिट ले रहा है तो राहुल गांधी अलग दावे कर रहे हैं और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के समय में हुआ तो वे तो क्रेडिट लेंगे ही. अब आइए, जानते हैं इसके पीछे का गणित क्या है.
बताया जाता है कि नीतीश कुमार ने सबसे पहले बिहार में जातीय जनगणना की बात तब की थी, जब वे 1989 में केंद्र में मंत्री बने थे. एनडीए के सीएम होने के बाद भी उन्होंने हमेशा जातीय जनगणना की बात की. तब तक राहुल गांधी और नीतीश कुमार के बीच वैसा कुछ भी नहीं था कि वे यह बोल सकें कि जातीय जनगणना होना चाहिए या नहीं होना चाहिए. दरअसल, राहुल गांधी यह स्थापित करना चाहते हैं कि नीतीश कुमार ने जातीय जनगणना राजद और कांग्रेस के दबाव में कराई थी. वह लोगों के दिमाग में यह बात भी डालना चाहते हैं कि नीतीश कुमार जातीय जनगणना के खिलाफ थे और उन्होंने दबाव में यह काम किया. यह कहते हुए राहुल गांधी यह भूल जाते हैं कि बिहार भाजपा नेताओं ने भी जातीय जनगणना का समर्थन किया था और जातीय जनगणना के लिए पीएम मोदी से जिस प्रतिनिधिमंडल ने मुलाकात की थी, उसमें नीतीश कुमार की पार्टी और भाजपा के नेता भी शामिल थे.
नीतीश कुमार को जातीय जनगणना के खिलाफ बताकर राहुल गांधी दरअसल अपना ही पक्ष और कमजोर कर रहे हैं. इस बात को कौन नहीं जानता कि नीतीश कुमार ने जब दिल्ली में पहली बार कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे से मुलाकात की थी और विपक्षी एकता स्थापित करने के लिए जब कांग्रेस ने नीतीश कुमार को जिम्मेदारी सौंपी थी, तभी जातीय जनगणना की चर्चा हुई थी. उसके बाद मल्लिकार्जुन खड़गे ने पूरे देश में जातीय जनगणना कराने की मांग को लेकर पीएम मोदी को एक पत्र भी लिखा था. उसी समय जी न्यूज ने यह अंदेशा जता दिया था कि यह नीतीश कुमार के एजेंडे को हथियाने की कोशिश है. आज राहुल गांधी ने वहीं कोशिश की है. देखना होगा कि जनता उनकी इस कोशिश का क्या जवाब देती है.
नीतीश कुमार की तत्कालीन सरकार ने जातीय जनगणना के बहाने भाजपा पर दबाव बनाने की रणनीति अपनाई और मोदी सरकार के मजबूत वोटबैंक ओबीसी को अपनी ओर लुभाने की कोशिश की थी. नीतीश कुमार ने जातीय जनगणना के बहाने को विपक्ष को एक मजबूत हथियार दिया था और अब जबकि खुद नीतीश कुमार भाजपा के साथ जा चुके हैं तो उन्हीं के हथियार को छीनने की राहुल गांधी ने एक कोशिश की है. नीतीश कुमार ने न केवल जातीय जनगणना कराया, बल्कि उसी जनगणना के आधार पर आरक्षण का दायरा भी बढ़ा दिया. यह अलग बात है कि जब हाल ही में हुए पांच राज्यों के विधानसभा चुनावों में कांग्रेस ने जातीय जनगणना का मुद्दा उठाया तो यह फुस्स साबित हो गया और भाजपा ने उससे राजस्थान, छत्तीसगढ़ और मध्य प्रदेश हथिया लिया.
कांग्रेस ने जातीय जनगणना के मसले को तो हाथोंहाथ लिया था. कांग्रेस को लगा था कि उसके हाथ तुरूप का ऐसा पत्ता मिल गया, जिससे 2024 में उसकी नैया आसानी से पार हो जाएगी. तभी तो राजस्थान और मध्य प्रदेश के विधानसभा चुनावों में जातीय जनगणना को मजबूती से कांग्रेस ने भुनाने की कोशिश की थी. राजस्थान चुनाव जीतने के लिए कांग्रेस ने बिहार वाला फॉर्मूला अपनाने की कोशिश की, जिसमें घोषणापत्र जारी करते हुए कहा गया था कि फिर से सरकार बनी तो राज्य में जातीय जनगणना करवाई जाएगी. भाजपा ने कांग्रेस कीइस कोशिश पर पलटवार भी किया था. राज्यों में तो कांग्रेस का यह फॉर्मूला चला नहीं, अब राहुल गांधी पूरे देश के स्तर पर जातीय जनगणना लागू करने की मांग कर रहे हैं.
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