Lok Sabha Election 2024: कांग्रेसियों को भी याद नहीं होगा कि बिहार की 7 सीटों पर अंतिम बार कब मिली थी जीत!
Advertisement
trendingNow0/india/bihar-jharkhand/bihar2187241

Lok Sabha Election 2024: कांग्रेसियों को भी याद नहीं होगा कि बिहार की 7 सीटों पर अंतिम बार कब मिली थी जीत!

Bihar Congress: लालू यादव ने कांग्रेस को जो 9 सीटें दी हैं, उनमें से सिर्फ एक सीट पर ही सिटिंग सांसद है. 6 सीटों पर तो पार्टी को अंतिम बार 1984 में जीत हासिल हुई थी. एक अन्य सीट पर 2009 के बाद से वापसी नहीं हुई है.

कांग्रेस

Bihar Congress: क्या थी कांग्रेस और क्या होती चली जा रही है. एक वो समय था, जब बिहार समेत अधिकांश राज्यों की अधिक से अधिक सीटों पर कांग्रेस का ही कब्जा होता था और बाकी दल एक एक सीट को तरस जाते थे. आज हालात एकदम उलट हैं. आज कांग्रेस कई राज्यों में एक एक सीट के लिए तरस रही है. अब बिहार की ही बात करते हैं. बिहार में महागठबंधन को लालू प्रसाद यादव लीड कर रहे हैं और उन्होंने कांग्रेस को लोकसभा चुनाव लड़ने के लिए 9 सीटें दी हैं. लालू प्रसाद यादव ने यहां पर कांग्रेस के साथ बड़ा खेला कर दिया. दरअसल, लालू ने कांग्रेस को वो 9 सीटें दी हैं, जिनमें से 7 सीटों पर तो कांग्रेसियों को ही नहीं पता होगा कि आखिरी बार उनको वहां कब जीत मिली थी. 9 में से केवल किशनगंज सीट ही ऐसी है, जहां कांग्रेस का सीटिंग सांसद है और एक सीट पर 2009 में कांग्रेस प्रत्याशी को आखिरी बार जीत नसीब हुई थी. 6 सीटों पर तो अंतिम बार 1984 के सहानुभूति लहर में कांग्रेस प्रत्याशी जीते थे. एक सीट ऐसी है, जहां कांग्रेस को तो जीत नहीं मिली लेकिन 2014 में जिस प्रत्याशी को जीत हासिल हुई थी, अब वो कांग्रेस की ओर से ताल ठोक रहे हैं. आइए, सबसे पहले जान लेते हैं कि कांग्रेस को वो कौन सी 9 सीटें मिली हैं और फिर बारी बारी से उस सीट के बारे में आपको जानकारी देंगे. 

  1. समस्तीपुर- इस सीट पर अंतिम बार जिस कांग्रेस प्रत्याशी ने जीत हासिल की थी, उनका नाम था रामदेव राय. 1984 में जब इंदिर गांधी की हत्या के बाद पूरे देश में सहानुभूति लहर पैदा हुई थी, उस समय रामदेव राय ने यहां से विजय पताका लहराया था और उसके बाद इस सीट पर कांग्रेस जीत के लिए तरस गई और आज भी तरस रही है. पिछले 2 चुनावों से कांग्रेस यहां रनर अप रही है और 2009 के लोकसभा चुनाव में तो कांग्रेस प्रत्याशी डॉ. अशोक राम तीसरे नंबर पर रहे थे. 
  2. पश्चिम चंपारण- 1984 में आखिरी बार कांग्रेस की ओर से मनोज पांडेय ने जीत हासिल की थी. उसके बाद यहां से किसी कांग्रेस ने जीत का झंडा बुलंद नहीं किया. 1998 में तो कांग्रेस इस सीट पर छठे स्थान पर पहुंच गई थी. 2009 में अनिरुद्ध प्रसाद उर्फ साधु यादव कांग्रेस से लड़े थे और 70,001 वोट पाकर तीसरे स्थान पर रहे थे. इस बार फिर यह सीट कांग्रेस के खाते में आई है.
  3. पटना साहिब- यह सीट भी इस बार कांग्रेस के खाते में आई है. इस सीट से आखिरी बार कांग्रेस की ओर से 1984 में प्रकाश चंद ने जीत का उजाला फैलाया था. उसके बाद से कांग्रेसियों के मन में इस सीट को लेकर हार का अंधेरा कायम रहा. पिछले 2 चुनाव यानी 2014 और 2019 में कांग्रेस यहां दूसरे स्थान से आगे नहीं बढ़ पा रही है.
  4. भागलपुर- यहां कांग्रेस को आखिरी बार जीत 1984 में नसीब हुई थी और उस समय कांग्रेस के दिग्गज नेता भागवत झा आजाद जीतकर लोकसभा पहुंचे थे. 2009 में अंतिम बार यहां कांग्रेस चुनाव लड़ी थी और तब सदानंद सिंह 52121 वोट पाकर चौथे स्थान पर रहे थे. 
  5. मुजफ्फरपुर- 1984 में आखिरी बार ललितेश्वर शाही ने इस सीट पर कांग्रेस को जीत दिलाई थी. 2009 में कांग्रेस यहां तीसरे स्थान पर रही थी. अभी के प्रदेश अध्यक्ष अखिलेश प्रसाद सिंह 2014 में इस सीट से प्रत्याशी थे, जिनको 16 प्रतिशत मत ही हासिल हुए थे. 
  6. महाराजगंज- केपी सिंह ने 1984 में महाराजगंज सीट से कांग्रेस का झंडा बुलंद किया था. आखिरी बार कांग्रेस यहां 2009 में लड़ी थी. उसके बाद से वह मैदान से गायब हो गई. 2009 में 80,162 वोट पाकर तारकेश्वर सिंह तीसरे स्थान पर रहे थे. तब राजद प्रत्याशी उमाशंकर सिंह ने ही कांग्रेस प्रत्याशी को मात दी थी. अब दोनों दल साथ में चुनाव लड़ रहे हैं.
  7. सासाराम- इस सीट पर 2009 में मीरा कुमार ने कांग्रेस की ओर से जीत हासिल की थी. 2014 से कांग्रेस यहां निकटतम प्रतिद्वंद्वी का किरदार निभा रही है. दिग्गज कांग्रेसी नेता जगजीवन राम यहां से मरते दम तक सांसद चुने जाते रहे. इस बार कांग्रेस की ओर से मीरा कुमार ने यहां से चुनाव लड़ने से इनकार कर दिया है. 
  8. कटिहार- कटिहार सीट पर भी कांग्रेसियों को याद नहीं होगा कि यहां आखिरी बार कब उनकी जीत हुई थी. इस बार के कांग्रेस प्रत्याशी तो 2014 में जीत गए थे पर उस समय वे राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी से उम्मीदवार थे, कांग्रेस से नहीं. तारिक अनवर इस सीट से 5 बार सांसद चुने जा चुके हैं. 
  9. किशनगंज- यही एक ऐसी सीट है, जहां अभी कांग्रेस का सीटिंग सांसद है. कांग्रेस का ही नहीं, महागठबंधन की ओर से भी डॉ. मोहम्मद जावेद ही बिहार में इकलौते सीटिंग सांसद हैं. मोहम्मद जावेद से पहले 2009 और 2014 में असरारुल हक यहां से कांग्रेस के टिकट पर 2 बार जीतकर लोकसभा पहुंचे थे.

ये भी पढ़ें- 2019 से NDA ने लिया बड़ा सबक, महागठबंधन पुरानी गलती को दोहराने में लगा!

ये भी पढ़ें- Bihar Politics: लालू यादव ने सीटें छीनीं तो अब RJD के वोटबैंक पर कांग्रेस की नजर

Trending news