Bihar Politics: सियासी जानकारों का कहना है कि लालू यादव ने अगर कांग्रेस की परंपरागत सीटें छीनें हैं तो कांग्रेस की नजर अब राजद के वोटबैंक पर है. लालू के एमवाई समीकरण के तिलिस्म को तोड़ने के लिए विरोधियों के साथ अब कांग्रेस भी अपना जोर लगा रही है.
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Bihar Politics: विपक्षी एकता, इंडिया गठबंधन और इंडी अलायंस... ये तीनों नाम बीते साल से विपक्ष और सत्तापक्ष के बीच चल रहे बयानबाजी से निकले हैं. नरेंद्र मोदी को सत्ता से बाहर करने के लिए विपक्षी नेता जितने जोश में एक साथ बैठे थे, उतनी तेजी के साथ बिखर भी रहे हैं. विपक्षी एकता का उद्देश्य था कि वह NDA के विजय रथ के सामने मजबूत दीवार बनकर खड़ी होगी, लेकिन ताजा माहौल ऐसा बन रहा है कि इस दीवार की हर ईंट छिटककर तितर-बितर हुई जा रही है. बिहार से इस एकता की शुरुआत हुई थी और अब यहां भी इंडिया ब्लॉक में जबरदस्त खींचतान दिख रही है. सबसे पहले तो नीतीश कुमार इससे अलग हुए और वापस NDA में जाकर मिल गए. उसके बाद महागठबंधन की कमान लालू यादव ने संभाली और अपनी मर्जी मुताबिक ही गठबंधन को चला रहे हैं.
लालू ने महागठबंधन में सीटों का बंटवारा करते समय कांग्रेस के साथ बड़ा खेला कर दिया. महागठबंधन में कांग्रेस के खाते में किशनगंज, कटिहार, भागलपुर, मुजफ्फरपुर, पश्चिमी चंपारण, पटना साहिब, सासाराम, महाराजगंज और समस्तीपुर सीट आई हैं. राजद अध्यक्ष की लीडरशिप में कांग्रेस के तमाम दिग्गज नेता बेटिकट हो गए. इतना ही नहीं राजद ने उन सभी सीटों को अपने पास रख लिया जो कांग्रेस की परंपरागत सीटें मानी जाती थीं. कांग्रेस को जो सीटें दी गई हैं, वहां से जीतने की उम्मीद ना के बराबर है. इतना सबकुछ होने के बाद भी कांग्रेस आलाकमान खामोश रहे. जब गांधी परिवार की तरफ से लालू को नहीं रोका जा सका तो बिहार कांग्रेस अध्यक्ष अखिलेश प्रसाद सिंह का भला क्या वजूद था.
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अब कांग्रेस आलाकमान ने भी लालू पर पलटवार किया है. कांग्रेस की पहली लिस्ट में इसकी झलक भी दिखाई दे रही है. कांग्रेस ने मंगलवार (2 अप्रैल) को अपने हिस्से की 9 में से 3 सीटों पर कैंडिडेट उतार दिए हैं. इनमें से 2 सीटों (कटिहार और किशनगंज) पर मुस्लिम नेताओं को टिकट मिला है. कटिहार से तारिक अनवर तो किशनगंज से सिंटिंग सांसद मोहम्मद जावेद पर भरोसा जताया गया है. वहीं बिहार की सियासत में लालू यादव ने 90 के दशक में यादव-मुस्लिम (M-Y) का ऐसा राजनीतिक समीकरण बनाया, जिसके दम पर उनकी पार्टी ने 15 साल तक राज किया. आरजेडी भले ही करीब 17 साल से सत्ता से बाहर है, इसके बाद भी मुस्लिम-यादव ने उनका साथ नहीं छोड़ा है.
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लालू के एमवाई समीकरण के तिलिस्म को तोड़ने के लिए विरोधियों की ओर से कोई कसर नहीं छोड़ी गई है. नीतीश कुमार से लेकर असदुद्दीन ओवैसी तक सभी लालू के वोटबैंक में सेंधमारी करने की कोशिश कर रहे हैं. इस सबके बीच अब कांग्रेस पार्टी भी इसमें शामिल हो गई है. सियासी जानकारों का कहना है कि लालू यादव ने अगर कांग्रेस की परंपरागत सीटें छीनें हैं तो कांग्रेस की नजर अब राजद के वोटबैंक पर है.