2020 की तरह 2024 में भी जिद पर अड़ी है कांग्रेस! क्या तेजस्वी यादव विधानसभा चुनाव की गलती दोहराएंगे?
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2020 की तरह 2024 में भी जिद पर अड़ी है कांग्रेस! क्या तेजस्वी यादव विधानसभा चुनाव की गलती दोहराएंगे?

Lok Sabha Election 2024: 2020 के बिहार विधानसभा चुनाव के नतीजे जारी होने के बाद रामनीतिक जानकारों का कहना था कि तेजस्वी यादव ने कांग्रेस को उसकी योग्यता से ज्यादा सीटें दे दी थी. अगर ऐसा नहीं होता और राजद और अधिक सीटों पर फाइट में होती तो मुकाबला और कड़ा हो सकता था.

राहुल गांधी-तेजस्वी यादव

Lok Sabha Election 2024: याद कीजिए 2020 का बिहार विधानसभा चुनाव... कांग्रेस तब 70 सीटों पर चुनाव लड़ी थी और केवल 19 सीटों पर जीत हासिल कर पाई थी. इस तरह कांग्रेस का स्ट्राइक रेट 27.14 प्रतिशत का ही रहा था. महागठबंधन में अगर सबसे खराब स्ट्राइक रेट अगर किसी दल का था तो वह कांग्रेस थी. बाद में राजद नेताओं ने यह दावा भी किया था कि अगर कांग्रेस कम सीटों पर चुनाव लड़ती तो भाजपा और जेडीयू को सत्ता में आने से रोका जा सकता था. अब एक बार फिर बिहार में महागठबंधन के बीच सीटों को लेकर रस्साकशी तेज होती दिख रही है. बताया जा रहा है कि कांग्रेस नीतीश कुमार के इंडिया ब्लॉक से निकल जाने की सूरत में 15 सीटें मांग रही हैं, लेकिन लालू प्रसाद यादव और तेजस्वी यादव कांग्रेस की मांग मानने के मूड में नहीं दिखाई दे रहे. यह बात जगजाहिर है कि नीतीश कुमार के इंडिया ब्लॉक में रहते कांग्रेस 10 से 12 सीटें मांग रही थी. अब जब नीतीश कुमार एनडीए के साथ चले गए हैं तो कांग्रेस ने अपनी डिमांड को बढ़ा दिया है. अब देखना यह है कि महागठबंधन में सीटों के बीच खींचतान कितना जल्दी सुलझता है. 

2020 के बिहार विधानसभा चुनाव के नतीजे जारी होने के बाद रामनीतिक जानकारों का कहना था कि तेजस्वी यादव ने कांग्रेस को उसकी योग्यता से ज्यादा सीटें दे दी थी. अगर ऐसा नहीं होता और राजद और अधिक सीटों पर फाइट में होती तो मुकाबला और कड़ा हो सकता था और तेजस्वी यादव की सरकार बिहार में बन गई होती. 2020 के विधानसभा चुनाव में राजद 144, कांग्रेस 70, सीपीएम 4, सीपीआई 6 और सीपीआई एमएल को 19 सीटें दी गई थीं. 

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तब तेजस्वी यादव ने 10 लाख लोगों को सरकारी नौकरियां देने का वायदा किया था और उनकी रैलियों में भारी भीड़ उमड़ रही थी लेकिन उनकी तुलना में राहुल गांधी की रैलियों में भीड़ नही आ रही थी. एक साल पहले ही पूरे देश ने राहुल गांधी की पीएम पद के लिए उम्मीदवारी को बुरी तरह खारिज कर दिया था. हालत यह हो गई थी कि लोकसभा और विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की ओर से शत्रुघ्न सिन्हा और शरद यादव की बेटी सुभाषिनी के अलावा लव सिन्हा भी चुनाव हार गए थे.

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जानकारों का यह भी कहना था कि ठीक यही गलती समाजवादी पार्टी के नेता अखिलेश यादव ने 2017 में की थी. तब अखिलेश यादव ने भी कांग्रेस के साथ गठबंधन किया था और 403 में से 105 सीटों पर चुनाव लड़ने दिया था. कांग्रेस ने अपनी सीटों पर बहुत खराब प्रदर्शन किया और यह समाजवादी पार्टी की हार का प्रमुख कारण साबित हुआ. यहां तक कि कांग्रेस ने उपचुनावों में भी खराब प्रदर्शन किया था.  

अगर तेजस्वी यादव 2020 की गलती दोहराते हैं तो फिर परिणाम भी वैसे ही आ सकते हैं, जैसे 2020 में आया था. अगर तेजस्वी यादव और लालू प्रसाद यादव ने सूझबूझ दिखाते हुए कांग्रेस को 10 से कम सीटों पर समेट दिया तो संभव है कि राजद कई सीटों पर बिहार में एनडीए को कड़ी टक्कर दे सकता है. 

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