बनारस में जेडीयू की बड़ी रैली और फूलपुर से चुनाव लड़ने के बारे में तो नीतीश कुमार भूल ही गए होंगे
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बनारस में जेडीयू की बड़ी रैली और फूलपुर से चुनाव लड़ने के बारे में तो नीतीश कुमार भूल ही गए होंगे

Bihar News: नीतीश कुमार के बारे में तो यह भी कहा जा रहा था कि यूपी में जो भी कुर्मी बाहुल्य लोकसभा सीटें हैं, वहां नीतीश कुमार की नजरें हैं और वह इंडिया ब्लॉक के बैनर तले इन सीटों पर दावा ठोक सकते हैं. इन सीटों में फूलपुर के अलावा जिन सीटों के बारे में बात की जा रही थी, उनमें मिर्जापुर, अंबेडकरनगर, पीलीभीत और बरेली आदि शामिल हैं.

बनारस में जेडीयू की बड़ी रैली और फूलपुर से चुनाव लड़ने के बारे में तो नीतीश कुमार भूल ही गए होंगे

पटना : नीतीश कुमार जब इंडिया ब्लॉक में थे, तब उनके बारे में दो खबरें प्रमुख रूप से सुर्खियां बन रही थीं. एक पीएम मोदी के क्षेत्र बनारस में जेडीयू की विशाल रैली करना और दूसरी पंडित जवाहरलाल नेहरू के संसदीय क्षेत्र रहे फूलपुर से लोकसभा का चुनाव लड़ना. दिल्ली में या जब कहीं भी नीतीश कुमार की सपा प्रमुख अखिलेश यादव से मुलाकात होती तो ये दोनों खबरें खास तौर से लोगों की जुबां पर तैरने लगतीं. खासतौर से सोशल मीडिया पर तो एक से बढ़कर एक जानकारी दी जाती थी. यह भी बताया जाता था कि फूलपुर कुर्मी बाहुल्य इलाका है और नीतीश कुमार भी जाति से कुर्मी हैं, लिहाजा उनके वहां से जीतने के चांसेज बढ़ जाएंगे. जेडीयू के कुछ नेताओं ने पिछले साल कई बार फूलपुर का दौरा किया था और वहां से नीतीश कुमार के चुनाव लड़ने की संभावनाएं टटोली थीं.

नीतीश कुमार की पार्टी के अलावा समाजवादी पार्टी और कांग्रेस के नेता भी नीतीश कुमार के फूलपुर से चुनाव लड़ने की खबरों से खासे उत्साहित थे. उनका दावा यह था कि पीएम मोदी को टक्कर देने के लिए पीएम मोदी के गढ़ में चुनाव लड़ना जरूरी है. इसलिए अगर नीतीश कुमार फूलपुर से चुनाव लड़ते हैं तो समाजवादी पार्टी और कांग्रेस की ओर से उन्हें समर्थन दिया जाएगा. सपा नेता भी दबी जुबान से यह बात स्वीकार करने में कोताही नहीं करते थे और कांग्रेस के नेता भी इस बात को मानने में कोई गुरेज नहीं करते थे. 

नीतीश कुमार के बारे में तो यह भी कहा जा रहा था कि यूपी में जो भी कुर्मी बाहुल्य लोकसभा सीटें हैं, वहां नीतीश कुमार की नजरें हैं और वह इंडिया ब्लॉक के बैनर तले इन सीटों पर दावा ठोक सकते हैं. इन सीटों में फूलपुर के अलावा जिन सीटों के बारे में बात की जा रही थी, उनमें मिर्जापुर, अंबेडकरनगर, पीलीभीत और बरेली आदि शामिल हैं. माना जा रहा था कि नीतीश कुमार इन सीटों में से किसी एक सीट से चुनाव लड़ सकते या फिर अपनी पार्टी के किसी उम्मीदवार को यहां से चुनाव लड़ाते. बदले में वह समाजवादी पार्टी को बिहार से सटे इलाके में सीट दे देते. 

अब जबकि नीतीश कुमार ने एनडीए का दामन थाम लिया है और 9वीं बार मुख्यमंत्री पद की शपथ ले ली है तो ये सब बेकार की बातें हो गई हैं. न तो नीतीश कुमार बनारस में कोई रैली करने जा रही हैं, जिससे पीएम मोदी को तकलीफ हो या कोई परेशानी हो और न ही नीतीश कुमार उत्तर प्रदेश के फूलपुर से चुनाव लड़ने जा रहे हैं. इसके अलावा वे उत्तर प्रदेश में भाजपा के लिए कोई परेशानी भी पैदा करने नहीं जा रहे हैं. जो स्थिति 2022 तक थी, नीतीश कुमार उसी को फॉलो कर सकते हैं. हालांकि ऐसा कब तक रहता है, अब राजनीतिक विशेषज्ञ भी यह बताने की स्थिति में नहीं दिख रहे हैं.

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