चिराग पासवान के रास्ते पर चलेंगे पप्पू यादव! निर्दलीय चुनाव लड़ेंगे पर सोनिया-राहुल के नाम का कर पाएंगे इस्तेमाल?
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चिराग पासवान के रास्ते पर चलेंगे पप्पू यादव! निर्दलीय चुनाव लड़ेंगे पर सोनिया-राहुल के नाम का कर पाएंगे इस्तेमाल?

Lok Sabha Election 2024: बिहार में 2020 के विधानसभा चुनाव में देखने को मिला था. तब चिराग पासवान ने एनडीए से अलग होने का फैसला किया था लेकिन पीएम मोदी के नाम पर वे वोट मांगते दिखे थे. उन्होंने तो पूरे चुनाव खुद को पीएम मोदी के हनुमान के रूप में प्रचारित भी किया था. 

पप्पू यादव

Lok Sabha Election 2024: लोकसभा चुनाव 2024 के लिए पूर्णिया से पप्पू यादव ने निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में नामांकन दाखिल कर दिया है. कांग्रेस उनसे नामांकन वापस लेने को कह रही है लेकिन पप्पू यादव ऐसा नहीं किया. तकनीकी रूप से देखें तो कांग्रेस पार्टी उन पर कोई कार्रवाई नहीं कर सकती, क्योंकि पप्पू यादव ने बाकायदा कांग्रेस की सदस्यता नहीं है. भले ही उन्होंने अपनी जन अधिकार पार्टी का कांग्रेस में विलय कर दिया है. अब सवाल यह उठता है कि क्या पप्पू यादव निर्दलीय उम्मीदवार होते हुए भी सोनिया गांधी और राहुल गांधी के नाम पर वोट मांग सकते हैं. ऐसा एक उदाहरण बिहार में ही 2020 के विधानसभा चुनाव में देखने को मिला था. तब चिराग पासवान ने एनडीए से अलग होने का फैसला किया था लेकिन पीएम मोदी के नाम पर वे वोट मांगते दिखे थे. उन्होंने तो पूरे चुनाव खुद को पीएम मोदी के हनुमान के रूप में प्रचारित भी किया था. 

बिहार विधानसभा चुनाव 2020 में एनडीए के सहयोगी दलों में सीट शेयरिंग पर सामंजस्य स्थापित नहीं हो पाया था और इसके बाद चिराग पासवान की तब की पार्टी लोजपा ने बिहार की 143 सीटों पर चुनाव लड़ने का फैसला किया था. उस समय चिराग पासवान को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से नाराजगी थी तो उन्होंने सभी जेडीयू प्रत्याशियों के खिलाफ अपने प्रत्याशी उतार दिए थे और पीएम मोदी के नाम और चेहरे पर वोट मांगने का ऐलान किया था. चिराग पासवान ने नारा भी दिया था कि मोदी से बैर नहीं और नीतीश कुमार की खैर नहीं. हालांकि भाजपा ने इस पर ऐतराज जताया था. 

जेडीयू ने इसे लेकर भाजपा से नाराजगी जताई तो भाजपा का कहना था कि एलजेपी के साथ न तो पटना और न ही अब दिल्ली में गठबंधन है. भाजपा ने नीतीश कुमार के नेतृत्व में बिहार में चुनाव लड़ने का फैसला किया है और लोजपा को पीएम मोदी और भाजपा के नाम का उपयोग नहीं करना चाहिए. इस मामले में अमित शाह, पार्टी अध्यक्ष जेपी नड्डा और भाजपा के तत्कालीन बिहार प्रभारी भूपेंद्र यादव ने भी अपनी स्थिति स्पष्ट कर दी थी. 

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इसके जवाब में लोजपा का कहना था कि प्रधानमंत्री किसी पार्टी के नहीं होते. वे देश के प्रधानमंत्री हैं और हमारे लिए विकास के मॉडल हैं. हमारे लिए पीएम मोदी विकसित देश के विचार के रूप में सामने हैं. वे एक तरह से देश के प्रतीक हैं. हम उनका इस्तेमाल नहीं कर रहे हैं, बल्कि उनके विचारों को लेकर चुनाव मैदान में जा रहे हैं. लोजपा का यह भी कहना था कि हम बिहारियों के नाज के लिए लड़ रहे हैं और पीएम मोदी भी चाहते हैं बिहारी अस्मिता को सम्मान मिले. लोजपा ने यह भी कहा था कि भाजपा से एलजेपी के रिश्ते अच्छे हैं और बिहार में हम उनके साथ रहकर चुनाव लड़ेंगे और साथ में सरकार भी बनाएंगे.

उधर, पप्पू यादव के लिए बिहार प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अखिलेश प्रसाद सिंह ने चेतावनी दी थी. उनका कहना था कि पप्पू यादव को नामांकन वापस लेना चाहिए. उन्होंने यह भी कहा कि कांग्रेस पार्टी किसी को यह इजाजत नहीं देती कि हमारी ओर से कोई निर्दलीय चुनाव लड़े. अखिलेश प्रसाद सिंह ने यह भी कहा था कि 8 अप्रैल तक नामांकन वापसी की अंतिम तिथि है और पप्पू यादव को नामांकन वापस लेना चाहिए. दूसरी ओर, पप्पू यादव ने खुलेआम ऐलान कर दिया है कि सब कुछ बर्दाश्त है लेकिन पूर्णिया छोड़ने की बात बर्दाश्त नहीं की जा सकती. मुझे 14 दिनों से टॉर्चर किया जा रहा है. 

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उधर, जानकारों का कहना है कि पप्पू यादव ने निर्दलीय नामांकन किया है और कांग्रेस को कोई हक नहीं कि वह पप्पू यादव के नामांकन को लेकर किसी प्रकार की दखल दे. कांग्रेस ज्यादा से ज्यादा यह कर सकती है कि वह पप्पू यादव को पार्टी से निकाल दे, लेकिन इसमें भी तकनीकी पहलू यह है कि पप्पू यादव अभी औपचारिक रूप से कांग्रेस के सदस्य भी नहीं हैं. ऐसे में कांग्रेस से निकालने की बात हास्यास्पद हो सकती है. जानकारों का यह भी कहना है कि पप्पू यादव कांग्रेस का झंडा, बैनर, चुनाव चिह्न और पोस्टर आदि का इस्तेमाल नहीं कर सकते, लेकिन वे सोनिया गांधी और राहुल गांधी के अलावा प्रियंका गांधी के प्रति श्रद्धा दिखाते हुए वोट मांग सकते हैं. कांग्रेस इस पर नियमानुसार कोई कार्रवाई नहीं कर सकती है या फिर कोई आपत्ति दर्ज नहीं कर सकती है.

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