कोर्ट ने कहा कि, लोकायुक्त सरकार के प्रशासनिक कार्रवाई, न्यायिक पुनर्विचार नहीं कर सकती है, जिसे हाईकोर्ट संविधान के अनुच्छेद 226 के तहत अपने शक्ति में इस्तेमाल करती है.
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पटना: पटना हाईकोर्ट (Patna High Court) ने एक फैसले में यह तय किया है कि, राज्य के लोकायुक्त संस्था लोकायुक्त/लोकपाल कानून से बाहर जाकर कोई निर्णय नहीं ले सकती हैं.
कोर्ट ने कहा कि, किसी लोक सेवक के खिलाफ कोई भ्र्ष्टाचार निरोध कानून के तहत किए गए अपराध या पद के दुरूपयोग या आर्थिक लाभ की शिकायत मिले, तब उस की जांच के बाद, आरोप सही पाए जाने पर ही लोकायुक्त संस्था कानून सम्मत कार्रवाई करे, न कि क्षेत्राधिकार से बाहर जाकर.
हाइकोर्ट ने टिप्पणी किया कि, कोई भी संस्था अपने क्षेत्राधिकार के भीतर ही काम करती हैं. कोर्ट ने कहा कि, लोकायुक्त (Lokayukta) सरकार के प्रशासनिक कार्रवाई, न्यायिक पुनर्विचार नहीं कर सकती है, जिसे हाईकोर्ट संविधान के अनुच्छेद 226 के तहत अपने शक्ति में इस्तेमाल करती है.
जस्टिस सीएस सिंह ने बिपिन बिहारी सिंह की रिट याचिका को मंज़ूर करते हुए, बिहार के लोकायुक्त, न्यायिक सदस्य के 4 अप्रैल, 2019 के आदेश को निरस्त कर दिया. दरअसल, लोकायुक्त के उपरोक्त आदेश के तहत, बिहार के निबंधक सहयोग समिति को निर्देश दिया गया था कि, याचिकाकर्ता पंडारक का अंचलाधिकारी था और उसके विरुद्ध विभागीय जांच कर, सजा की कार्रवाई करें.