मोदी सरकार का मिथिला को एक और तोहफा, मिथिलाक्षर के संवर्धन के लिए बनेगा केंद्र
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मोदी सरकार का मिथिला को एक और तोहफा, मिथिलाक्षर के संवर्धन के लिए बनेगा केंद्र

संजय झा ने कहा कि यह सिर्फ दरभंगा के लिए ही नहीं पूरे मिथिला के लिए खुशी की बात है. उन्होंने इसके लिए केंद्र सरकार को धन्यवाद कहा.

केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर के साथ जेडीयू नेता संजय झा. (फाइल फोटो)

नई दिल्ली/दरभंगा : मिथिलाक्षर के संरक्षण, संवर्धन और विकास के लिए दरभंगा में केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्रालय लिपि और पांडुलिपि केंद्र की स्थापना करेगी. मंत्रालय ने मिथिलाक्षर को लेकर बनी कमेटी की रिपोर्ट के आधार पर यह फैसला लिया है. इस केंद्र की स्थापना दरभंगा स्थित ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय और कामेश्वर सिंह दरभंगा संस्कृत विश्वविद्यालय में से किसी एक परिसर में होगी.

जनता दल यूनाइटेड के राष्ट्रीय महासचिव संजय झा ने कहा कि यह सिर्फ दरभंगा के लिए ही नहीं पूरे मिथिला के लिए खुशी की बात है. उन्होंने इसके लिए केंद्र सरकार को धन्यवाद कहा.

संजय झा ने कहा है कि मिथिलाक्षर के संरक्षण, संवर्धन और विकास के लिए कमेटी की स्थापना से लेकर सदस्यों के चयन के साथ-साथ रिपोर्ट में दिए गए सुझावों को लेकर लगातार मानव संसाधन विकास मंत्रालय के संपर्क में रहे और समय-समय पर चर्चा की. हाल ही में 30 जनवरी को भी उन्होंने केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री प्रकाश जावड़ेकर से इसके लिए दरभंगा में एक सेंटर बनाने की बात की थी. उन्होंने का कि मंत्री ने आश्वस्त किया था कि केंद्र सरकार इसके लिए एक सेंटर बनाएगी. उन्होंने प्रकाश जावड़ेकर को इसके लिए धन्यवाद दिया साथ ही कमेटी में शामिल सभी सदस्यों की भी सराहना की.

मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने इसी दिशा में दो और महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं. मिथिलाक्षर का उपयोग आसान हो इसके लिए लिपि को 'भारतीय भाषाओं के लिए प्रौद्योगिकी विकास संस्थान' के द्वारा जल्द से जल्द कम्यूटर की भाषा (यूनिकोड) में परिवर्तित करने का काम पूरा किया जाएगा. साथ ही मिथिलाक्षर लिपि का को सीखने के लिए ऑडियो-विजुअल तकनीक भी विकसीत की जाएगी.

संजय झा ने बताया कि मिथिला के विद्वानों ने मिथिलाक्षर में अनेक शास्त्र-पुराण लिखे हैं. यहां तक कि संस्कृत के विद्वान भी मिथिलाक्षर का ही प्रयोग किया करते थे. बहुत दुख की बात है कि हम लोगों ने मिथिलाक्षर लिखना-पढ़ना छोड़ दिया. आज परिस्थिति ऐसी हो गई है कि मिथिलाक्षर लिखने-पढ़ने वाले लोग गिनती मात्र के बचे हैं, जिस कारण हम पूर्वजों द्वारा लिखे गए इतिहास को ठीक ढंग से समझ नहीं सके. इसलिए केंद्र की एनडीए सरकार का यह फैसला मिथिला और मैथिली के लिए महत्वपूर्ण है. अब हर मैथिल अपने इतिहास के बारे में जान और समझ पाएंगे.

ज्ञात हो कि 19 मार्च, 2018 को इसी मुद्दे पर संजय झा ने केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री प्रकाश जावड़ेकर को एक ज्ञापन सौंपा था, जिसमें मैथिली के विकास के लिए एक कमेटी गठित करने की मांग उन्होंने रखी थी. मंत्रालय के के पहल पहल पर महज एक वर्ष में ही इस बड़े काम को अंजाम दे दिया गया.