Santan Prapti Ke Upay: गर्भ में संतान किसके भाग्य के अनुसार आती है? माता-पिता क्या सावधानी रखें? जानें यहां सबकुछ
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Santan Prapti Ke Upay: गर्भ में संतान किसके भाग्य के अनुसार आती है? माता-पिता क्या सावधानी रखें? जानें यहां सबकुछ

Santan Prapti Ke Upay: स्वामी प्रेमानंद महाराज जी ने कहा कि भजन ही ऐसा एक कर्म है जिससे तुम अपने भी भाग्य को बदल सकते हो और उसके भी भाग्य को भी बदल सकते हो.

संतान प्राप्ति के उपाय (File Photo)

Santan Prapti Ke Upay: माता-पिता को संतान का सुख जीवन का सबसे बड़ा सुख होता है. इसके लिए शादीशुदा दंपत्ति बहुत ही प्रयास करते हैं. ताकि जीवन का सार यूं ही चलता रहे. हर परिवार चाहता है कि उनके घर के आंगन में बच्चे की किलकारी गूंजे. अपने बच्चों के बड़े होते, तरक्की करते देखें. इस बीच हम आज इस ऑर्टिकल में गर्भ में संतान किसके भाग्य के अनुसार आती है? माता-पिता क्या सावधानी रखें? और स्वामी प्रेमानंद महाराज जी क्या कहते हैं.

दरअसल, स्वामी प्रेमानंद महाराज जी का दर्शन करने एक शख्स पहुंचे. उन्होंने स्वामी प्रेमानंद महाराज जी से पूछा हमारी संतान जो जन्म लेती है क्या वह अपने कर्मों से या माता-पिता के पूर्व कर्मों के अनुसार होगी? इस स्वामी प्रेमानंद महाराज जी ने बहुत ही शानदार और बेहतर उत्तर दिया है. उन्होंने ऐसा समझाया कि भजन का असली मतलब सबके समझ में आया होगा.  

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स्वामी प्रेमानंद महाराज जी ने कहा कि वह तो आएगा अपने ही कर्मों से, उसमें दुख या सुख तुम्हारें कर्मों से होगा. अगर अच्छे कर्म होंगे तो सुख होगा. अगर बुरे कर्म होंगे तो जीवन नर्क कर देगा. स्वामी प्रेमानंद महाराज जी ने कहा कि भजन ही ऐसा एक कर्म है जिससे तुम अपने भी भाग्य को बदल सकते हो और उसके भी भाग्य को भी बदल सकते हो. ये भजन ही ऐसा कर्म है जो सब सुधार देगा.

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स्वामी प्रेमानंद महाराज जी ने इस दौरान एक कहानी सुनाई. उन्होंने कहा कि मार्कंडेय ऋषि के पिता महाराज मृकंड ने देखा कि पांच वर्ष में मेरे पुत्र की मृत्यु हो जाएगी. उन्होंने सोचा कि बहुत भजन किया. उनको लगा कि क्या करे कि पांच वर्ष का बालक बचा रहे है. उन्होंने विचार किया कि अगर संतों की संगत मिले तो मैं उसकी आयु को बढ़ा सकता हूं. आपको क्या पता कौन सा महात्मा किस भेष में आपको कहां मिलेगा. 

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प्रेमानंद महाराज ने बताया कि चारों संत भेष में थे. संतों ने मार्कंडेय ऋषि को कहा चिरंजीव भव:. इस पर वह बोले ये तो अभागा है. इसका मतलब आपका आशीर्वाद मिथ्या या इसका भाग्य मिथ्या. चारों ब्रह्म कुमार दरवाजे पर बैठ गए. मृत्यु का वक्त हो गया. जब धर्मराज आए तो उन्होंने कहा आप आदेश करें तो मैं ले जाऊं. इस इस उन्होंने कहा मैंने चिरंजीव का आशीर्वाद दिया. तब तक भगवान शंकर प्रकट हो गए. शंकर जी ने का की मेरे पांच वर्ष ले लो. शंकर भगवान के पांच वर्ष की आयु लेकर आज तक मार्कंडेय जी जीवित है. पिता का भजन करना पुत्र के भाग्य को बदल सकता है. कर्म ही सुख-दुख देता है. 

 

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