बिहार के डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव को क्यों देनी पड़ी मंत्रियों को नसीहत?
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बिहार के डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव को क्यों देनी पड़ी मंत्रियों को नसीहत?

तेजस्वी यादव लगातार राजद की छवि सुधारने की कोशिश में लगे हैं. लेकिन बावजूद इसके उनके मंत्री अपने नेता की नसीहत को नजरअंदाज करते दिख रहे हैं.

(तस्वीर साभार-@yadavtejashwi)

पटना: नई गाड़ी न लें, उपहार में किताब-कलम ही लें और किसी को पांव न छूने दें. ये लिस्ट और बड़ी है. दरअसल, बिहार के डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव ने बाकायदा सोशल मीडिया पर एक पोस्ट डालकर अपनी पार्टी से मंत्री बने नेताओं को नसीहत दी है. इसमें लिखा है. 

  1. तेजस्वी यादव का राजद मंत्रियों को निर्देश
  2. तेजस्वी यादव ने क्यों दिए निर्देश?

1. मंत्री कोई नई गाड़ी नहीं खरीदेंगे.
2. मंत्री उम्र में बड़े कार्यकर्ता, शुभचिंतक, समर्थक या किसी भी अन्य व्यक्ति को पांव नहीं छूने देंगे. हाथ जोड़कर प्रणाम, नमस्ते और आदाब की परंपरा को ही बढ़ावा देंगे.
3. सभी मंत्री शालीनता से पेश आएं. 
4. सकारात्मक बातचीत करें
5. जरुरतमंदों की मदद करें.
6. फूल के बजाय किताब-कलम उपहार में लें और दें. 
7. मुख्यमंत्री के नेतृत्व में ईमानदारी, पारदर्शिता, तेज एक्शन की कार्यशैली को बढ़ावा दें.
8. सभी मंत्री सरकार के कामों और योजनाओं का सोशल मीडिया पर प्रचार करें.

ऐसे में ये सवाल उठना लाजिमी है कि आखिर ऐसा क्या हुआ कि तेजस्वी यादव को अपने ही मंत्रियों को नसीहत देनी पड़ी?

इन आठ नसीहतों के बाद के दो सवाल उठते हैं
पहला-तेजस्वी को क्यों सार्वजनिक प्लेटफॉर्म पर मंत्रियों को नसीहत देनी पड़ी? ये बातें तो पार्टी के अंदर भी कही जा सकती थीं? या फिर कही गई थीं और मंत्रियों ने अनसुनी कर दी तो मजबूरन तेजस्वी को सोशल मीडिया पर आना पड़ा?

दूसरा सवाल- आखिर तेजस्वी को ये नसीहत देनी ही क्यों पड़ी?
दरअसल जब से ये नीतीश और तेजस्वी की सरकार बनी है, रोज कोई न कोई बखेड़ा खड़ा हो रहा है. पहले बीजेपी ने कार्तिकेय सिंह को कानून मंत्री बनाए जाने पर आपत्ति जताई. बीजेपी का कहना था कि वो अपहरण के एक मामले में वांछित हैं. फिर तेज प्रताप यादव ने अपने जीजा को विभागीय बैठक में शामिल कर लिया. 

शुक्रवार को ही गया के बेलागंज से विधायक और सहकारिता मंत्री सुरेंद्र यादव ने मीडिया के सामने अभद्र भाषा का इस्तेमाल किया. उनसे किसी ने कान में कुछ कहा तो वो कैमरे के सामने ही बोल पड़े-बोका समझे हो क्या? 

इन सभी मौकों को बीजेपी लपक ले रही है और नए गठबंधन पर हमलावर हो जा रही है. जाहिर है तेजस्वी नहीं चाहते कि ये छोटी-छोटी घटनाएं मिलकर गठबंधन में कड़वाहट की वजह बन जाए. क्योंकि बीजेपी जितना ही आरजेडी पर सवाल उठाएगी, नीतीश उतना ही दबाव में आएंगे. 

2017 में गठबंधन की सरकार का जो हश्र हुआ उसके बाद शायद तेजस्वी संभले हुए हैं. सार्वजनिक मंच पर नसीहत देने की एक वजह ये हो सकती है कि वो सही करना ही नहीं, वोटर के सामने सही करते हुए दिखना भी चाहते हैं. 

बिहार के वोटर ने उनका ये सोशल मीडिया पोस्ट देख लिया, अब उनके मंत्री इन नसीहतों पर कितना अमल करेंगे, ये भी दिख ही जाएगा.

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