बिहार में एक बार फिर बाढ़ से चौतरफा बर्बादी दिख रही है. गंगा और कोसी समेत कई नदियां उफान पर हैं. राजधानी पटना पर भी संकट मंडरा रहा है.
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Patna: बिहार में एक बार फिर बाढ़ से चौतरफा बर्बादी दिख रही है. गंगा और कोसी समेत कई नदियां उफान पर हैं. राजधानी पटना पर भी संकट मंडरा रहा है. बाढ़ के बढ़ते हुए प्रकोप की वजह से राज्य के 16 जिलों की 70 लाख से ज्यादा की आबादी प्रभावित है.
संकट से गुजर रहे हैं लोग
बिहार में बाढ़ की वजह से लोगों को परेशान का सामना करना पड़ रहा है. इस वजह से सूबे के 16 जिलों की 70.40 लाख आबादी मुश्किलों का सामना कर रही है. वहीं, अब तक इससे 24 लोग अपनी जान गंवा चुके हैं.बाढ़ प्रभावित जिलों में सुपौल, सारण, समस्तीपुर, सीवान, शिवहर, सीतामढ़ी, किशनगंज, दरभंगा, मुजफ्फरपुर, गोपालगंज, पूर्वी और पश्चिमी चंपारण, खगड़िया, मधुबनी, मधेपुरा और सहरसा शामिल हैं. कई नदियां कहर ढा रही हैं. गंगा, बूढ़ी गंडक, सोन, पुनपुन, बागमती, कोसी अलग-अलग जगहों पर खतरे के निशान को पार कर चुकी हैं.
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने अधिकारियों के साथ बुधवार को बाढ़ से प्रभावित इलाकों का जायजा लिया. पटना सिटी में गंगा घाटों का मुआयना करने के बाद मीडिया से बातचीत में उन्होंने कहा, 'हमने सभी जगह देखा, कहां क्या स्थिति है. गंगा नदी का जलस्तर ऊंचा हो रहा है इसलिए देखा जा रहा है कि लोगों की सुरक्षा के लिए और क्या किया जाना चाहिए. सभी विभागों के अधिकारी साथ में हैं. एक-एक चीज को देखा जा रहा है.'
मुश्किल में लोग
राजधानी पटना में गंगा का विकराल रूप दिख रहा है, जिससे यहां भी बाढ़ का संकट मंडराने लगा है. गांधी घाट पर बुधवार सुबह गंगा का जलस्तर एक से सवा मीटर ऊपर दर्ज किया गया था. हर दो घंटे में गंगा का जलस्तर औसतन एक सेंटीमीटर बढ़ रहा है. पटना के सटे कई निचले इलाके बाढ़ की चपेट में आ चुके हैं. मनेर के कई गांवों में बाढ़ का पानी भर चुका है. लोग सुरक्षित जगह की ओर पलायन कर रहे हैं.
वहीं, पटना का दीघा बिंद टोली गांव पूरी तरह जलमग्न हो चुका है. गांव के लोगों ने पैसे जोड़कर कर नाव की व्यवस्था की है, जिससे आवाजाही हो रही है. पटना से सटे जल्ला इलाके में दोहरी मार पड़ी है. गंगा और पुनपुन नदी का पानी खेतों और घरों में भर चुका है.
पटना के जिलाधिकारी डॉ. चंद्रशेखर सिंह ने इस मामले पर कहा कि जिले में मनेर से लेकर मोकामा तक 14 दियारा हैं, जो पानी से घिर चुके हैं. खेतों और रास्तों पर पानी जमा हो गया है. नाव उपलब्ध करवाई जा रही है. बाकी जरूरतें पूरी की जा रही है. मेडिकल टीम भी भेजी जा रही है.'
उन्होंने आगे कहा कि लोग अभी घर छोड़कर बाहर आने के लिए तैयार नहीं हैं. जो कुछ लोग बाहर आए हैं, उनके लिए सामुदायिक रसोई की व्यवस्था की गई है. नकटा दियारा वो खुद गए थे. उन लोगों का कहना था कि घर में पानी घुसने के बाद वो ही वो इसे छोड़ेंगे.'
गांधी सेतु के सुपर स्ट्रक्चर का काम रुका
गंगा का जलस्तर बढ़ने से तेरसिया इलाके में गांधी सेतु के पूर्वी लेन पर सुपर स्ट्रक्चर का काम लगभग रुक गया है. वहीं, गांधी सेतु के समानांतर बन रहे पुल के कंक्रीट मिक्सर प्लांट में पानी घुस जाने के कारण उसका काम पूरी तरह ठप पड़ गया है. गांधी सेतु का सुपर स्ट्रक्चर अगले वर्ष 2022 में मार्च तक बनकर तैयार हो जाना था, लेकिन अब बाढ़ के कारण थोड़ा विलंब हो सकता है. इसके अलावा गांधी सेतु के समानांतर बन रहे फोरलेन पुल को वर्ष 2024 तक पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है, अब इसमें भी देर हो सकती है.
बक्सर के 6 गांव पानी से घिरे
बक्सर में गंगा के साथ सहायक नदियों का भी प्रकोप दिख रहा है. चौसा प्रखंड के 6 गांव पानी से घिर चुके हैं. चौसा-मोहनिया मुख्य मार्ग पर पानी भरने से आवाजाही मुश्किल हो चुकी है, ऐसे में नाव ही सहारा है. प्रशासन की ओर से कुछ नावों की व्यवस्था की गई है, लेकिन जरूरत की बाकी सुविधाएं नदारद हैं. बाढ़ पीड़ितों के लिए कम्युनिटी किचन की व्यवस्था भी नहीं हो पाई है.
बीमार लोगों के लिए और ज्यादा मुश्किल
बाढ़ प्रभावित जिलों में इस समय से सबसे ज्यादा मुसीबत का सामना बीमार लोगों को करना पड़ रहा है. भागलपुर के नवगछिया में कोसी का कहर दिख रहा है. वहां के एक गांव मदरौनी में एक बीमार शख्स को खाट पर लिटाकर अस्पताल ले जाने की तस्वीर सामने आई है. इस दौरान जो लोग बीमार को लेकर जा रहे थे, वे खुद कमर भर पानी में डूबे थे.
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