Bihar News: थावे मंदिर की महिमा के बारे में क्या आपको पता है, जहां लालू प्रसाद ने परिवार के साथ की पूजा अर्चना?
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Bihar News: थावे मंदिर की महिमा के बारे में क्या आपको पता है, जहां लालू प्रसाद ने परिवार के साथ की पूजा अर्चना?

RJD सुप्रीमो लालू प्रसाद और पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी तीन साल बाद सोमवार को अपने पैतृक घर गोपालगंज पंहुचे थे. यहां सुबह उन्होंने अपनी पत्‍नी और अपने बड़े बेटे तेजप्रताप यादव  के साथ सुबह थावे दुर्गा मंदिर में पूजा की.

 (फाइल फोटो)

Patna: RJD सुप्रीमो लालू प्रसाद और पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी तीन साल बाद सोमवार को अपने पैतृक घर गोपालगंज पंहुचे थे. यहां सुबह उन्होंने अपनी पत्‍नी और अपने बड़े बेटे तेजप्रताप यादव  के साथ सुबह थावे दुर्गा मंदिर में पूजा की. यहां पूजा खत्म होने के बाद वो अपने पैतृक गांव फुलवरिया के लिए रवाना हो गए. फुलवरिया में वे परिवार के सदस्यों और गांव के लोगों से मुलाकात करेंगे. 

बता दें कि इससे पहले लालू प्रसाद और पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी तीन साल बाद सोमवार को अपने पैतृक घर गोपालगंज आए थे. यहां पर उन्होंने सर्किट हाउस में रात गुजारी थी.  इस दौरान पार्टी कार्यकर्ताओं ने उनका भव्य स्वागत किया वही लालू यादव ने प्रेस को सम्बोधित भी किया था. उन्होंने बीजेपी पर इस दौरान हमला बोला था और कहा था कि 2024 में बीजेपी की सरकार फिर से वापस नहीं आएगी.

 

बीजेपी पर साधा था निशाना 

लालू प्रसाद ने गोपालगंज पंहुचने के बाद सर्किट हाउस में पत्रकारों से बातचीत करते हुए एनडीए पर जमकर निशाना साधा. उन्‍होंने कहा कि 'देश से नरेंद्र मोदी और भाजपा हटाओ, देश बचाओ' नारों का संकल्प हो चुका है. उसमें 18 से 19 पॉलिटिकल पार्टियां शामिल हैं, जो लोकतंत्र में विश्‍वास रखती हैं.

जानें क्या है रहा है मंदिर का इतिहास 

इस मंदिर का इतिहास रहषु स्वामी और चेरो वंश के क्रूर राजा से जुड़ा है. 1714 के पूर्व यहां पर रो वंश के राजा मनन सेन राज करते थे. ऐसा कहा जाता है कि भक्त रहषु स्वामी पर क्रूर राजा ने दबाव डाला था, जिस पर भक्त की पुकार सुनकर मां भवानी कामरूप कामाख्या से चलकर थावे आ गई थी. उनके यहां आते ही  राजा मनन सिंह का महल खंडहर में बदल गया था. इसके बाद मां ने भक्त रहषु के सिर से अपना कंगन युक्त हाथ प्रकट कर राजा को दर्शन दिए थे. इसके बाद ही राजा मनन सेन का भी प्राणांत हो गया था. इसके बाद से ही लोगों ने यहां पूजा करना शुरू कर दिया है. यह स्थान जाग्रत पीठ के रूप में मान्य है.

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