एक रुपये में मिल रहा Sanitary Pad, लड़कियों की लगी लंबी लाइन
Advertisement
trendingNow0/india/bihar-jharkhand/bihar1291286

एक रुपये में मिल रहा Sanitary Pad, लड़कियों की लगी लंबी लाइन

Sanitary Pad: बिहार के एक बालिका उच्च विद्यालय में सैनिटरी पैड मशीन लगाई है. ये मशीनें बच्चियों को महज एक रुपये में सैनिटरी पैड उपलब्ध करा रही हैं.

एक रुपये में मिल रहा Sanitary Pad, लड़कियों की लगी लंबी लाइन

पटना: Sanitary Pad: लड़कियों की शिक्षा को लेकर अब परिवेश बदलने लगा है. लेकिन गांवों में आज भी कई बच्चियां बहुत से कारणों से बीच में ही पढ़ाई छोड़ देती हैं. इन्हीं में से एक कारण है पीरियड्स. दरअसल मासिक धर्म स्वच्छता के मुद्दों के कारण बिहार में लड़कियों के हाई स्कूल छोड़ने की प्रवृति आम है. 

'NOBAGSR' ने बदली ज़िंदगी
एनएफएचएस-5 की रिपोर्ट के मुताबिक हाई स्कूल नहीं जाने वाली केवल 32 प्रतिशत लड़कियां सेनेटरी नैपकिन का इस्तेमाल करती हैं. जबकि 80 प्रतिशत लड़कियां पुराने ढर्रे को ढोह रही हैं. ऐसे में सुरक्षित और स्वच्छ प्रथाओं को बढ़ावा देने के उद्देश्य से NOBAGSR यानी 'नेतरहाट पूर्ववर्ती छात्र संगठन ग्लोबल सोशल रेस्पोंसिबिलिटी' संगिनी ने एक पहल की. संस्था ने कोसी और सीमांचल के बालिका उच्च विद्यालयों में सैनिटरी पैड मशीन लगाई. जो आज इनके लिए मील का पत्थर साबित हो रही है.

एक रुपये में सेनेटरी पैड
'नेतरहाट पूर्ववर्ती छात्र संगठन ग्लोबल सोशल रेस्पोंसिबिलिटी' ने अपने नाम के मुताबिक अपनी रिस्पॉन्सिबिलिटी समझी और बालिका उच्च विद्यालय में सैनिटरी पैड मशीन लगाई. ये मशीनें बच्चियों को महज एक रुपये में सैनिटरी पैड उपलब्ध करा रही हैं. वहीं सेनेटरी पैड मशीन से न सिर्फ हाई स्कूल में पढ़ने वाली बच्चियों की नियमित स्कूल आने में वृद्धि हुई है बल्कि बच्चियों में विद्यालय छोड़ने की जो प्रवृति थी, उसमें अप्रत्याशित कमी आई. ये शिक्षा महकमे के लिए बहुत बड़ी उपलब्धि है.

'स्कूलों में अब तक का सबसे सुंदर प्रयोग'
कन्या उच्च विद्यालय कचहरी की शिक्षिका इसे स्कूलों में किया गया अब तक का सबसे अच्छा और सुंदर प्रयोग मानती हैं. वे कहती हैं इससे बच्चियों में काफी जागरूकता आ रही है. लड़कियां स्वच्छता को लेकर जागरूक हो रही है. जिससे कई खतरनाक बीमारियों से भी उनका बचाव हो रहा है. 

समाज में आएगी जागरूकता
फिलहाल जिले में 12 सैनिटरी नैपकिन वेंडिंग मशीनें लगाई गई है. जिसे नोबा प्रभारी सह शिक्षाविद् रमेश चन्द्र मिश्र संयोजित कर रहे हैं. रमेश चन्द मिश्र का मानना है कि इससे समाज में जागरूरता आएगी.  

(इनपुट-मनोज शर्मा)

Trending news