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जमुई: बिहार की पुलिस किसी ना किसी वजह से चर्चा में बनी रहती हैं. कुछ ऐसा ही मामला जमुई जिले में देखने को मिला है. जहां पूर्व मंत्री को गार्ड ऑफ ऑनर देने के लिए पहुंचे सिपाहियों अपना कारतूस अपने आवास पर ही भूल कर आए थे. सिपाही इसके बाद कारतूस लेने के लिए गए. इसके बाद एक घंटा 23 मिनट के बाद दूसरी बार जमुई के दिवंगत पूर्व मंत्री अर्जुन मंडल को गॉड ऑफ ऑनर दिया गया. गार्ड ऑफ ऑनर के इंतजार में पूर्व मंत्री का पार्थिव शरीर 1 घंटे 23 मिनट तक चिता के समीप रखा रहा. जिसके बाद दोबारा पूर्व मंत्री को गार्ड ऑफ ऑनर दिया गया और अंतिम संस्कार किया जा सका.
दरअसल सोमवार को संध्या चार बजे के करीब पूर्व मंत्री का पार्थिव शरीर उनके पैतृक गांव पहुंचा. इसके बाद 4:52 बजे उन्हें गार्ड ऑफ ऑनर दिया गया और अंतिम संस्कार की तैयारी की जाने लगी. लेकिन इस दौरान उन्हें केवल फॉर्मल तरीके से गार्ड ऑफ ऑनर दे दिया गया और उन्हें राइफल की सलामी नहीं दी गई. जिसके बाद इस बात की चारों तरफ चर्चा होने लगी. स्थानीय लोग सहित वहां मौजूद जनप्रतिनिधि और राजनीतिक कार्यकर्ताओं में भी इसकी चर्चा होने लगी.
पूछताछ की गई तो पता चला कि जो जवान पूर्व मंत्री को गार्ड ऑफ ऑनर देने आए थे, वह राइफल में लगने वाली कारतूस ही अपने साथ लेकर नहीं आए थे. हालांकि इसके बाद आनन-फानन में कारतूस मंगवाया गया. लेकिन पुलिस लाइन से कारतूस लेकर मंत्री के पैतृक गांव पहुंचने में समय लगा और 1 घंटे 23 मिनट बाद 6:15 बजे शाम को पूर्व मंत्री को राइफल की सलामी दी गई. जिसके बाद अंतिम संस्कार किया जा सका. इस दौरान 1 घंटे 23 मिनट तक पूर्व मंत्री का पार्थिव शरीर चिता के पास रख रहा और लोग बैठकर कारतूस आने का इंतजार करते रहे.
वहीं पूरे मामले को लेकर जमुई एसपी डॉक्टर सॉरी सुमन ने बताया कि दो बार गार्ड ऑफ ऑनर नहीं दिया गया है. पहली बार ट्रायल किया गया था, शाम होने के पहले ही उन लोगों के द्वारा गार्ड ऑफ ऑनर की शुरुआत कर दी गई थी. बाद में राजकीय तरीके से उन्हें सम्मान दिया गया है.