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Patna: बिहार की नीतीश कुमार सरकार का बाहर से समर्थन कर रही भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी-लेनिनवादी)-लिबरेशन ने शनिवार को कटिहार जिला प्रशासन के उस दावे को खारिज कर दिया जिसके मुताबिक इस सप्ताह के शुरुआत में पुलिस की गोलीबारी में दो लोगों की मौत नहीं हुई है. भाकपा(माले)-एल नेता और विधायक सुदामा प्रसाद ने 26 जुलाई को हुई घटना की उच्च स्तरीय न्यायिक जांच कराने की मांग की है.
सुदामा प्रसाद ने हाल में तथ्यान्वेषी दल का नेतृत्व करते हुए बरसोई गए थे. सुदामा प्रसाद ने आरोप लगाया, 'हमने संबंधित सब डिवीजनल मजिस्ट्रेट को हटाने की मांग की थी क्योंकि हमने पाया कि वह इलाके में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) का एजेंडा आगे बढ़ा रहे थे.'
उन्होंने कहा, 'हमारे विधायक दल के नेता और स्थानीय विधायक महबूब आलम ने प्रशासन को भाजपा और उसके सहयोगियों द्वारा 26 जुलाई को इलाके में गड़बड़ करने की योजना की जानकारी दे दी थी, लेकिन उसपर गौर नहीं किया गया.' उन्होंने रेखांकित किया कि बिजली आपूर्ति की मांग को लेकर प्रदर्शन आलम के इसी मुद्दे पर दो दिवसीय धरना प्रदर्शन संपन्न करने के एक दिन बाद किया गया. प्रसाद ने आरोप लगाया कि भाजपा-आरएसएस (राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ) के स्थानीय नेता 26 जुलाई के प्रदर्शन में शामिल थे ताकि हमारी पार्टी और विधायक को बदनाम किया जा सके.
भाकपा (माले)-एल नेता ने आरोप लगाया कि प्रशासन अब बली का बकरा ढूंढ रहा है ताकि अपनी नाकामी छिपा सके. उन्होंने कहा, 'अगर हम उन्हीं अधिकारियों द्वारा कुछ दिन पहले दिए गए बयानों की तुलना कल दिए गए बयानों से करें, तो यह स्पष्ट हो जाता है कि वे जो कह रहे हैं वह बाद में सोचा गया है.' बिहार विधानसभा में भाकपा (माले)-एल के 12 विधायक हैं जो राज्य की ‘महागठबंधन’ सरकार का समर्थन कर रहे हैं.
(इनपुट भाषा के साथ)