पटना: बिहार में शराबबंदी का आदेश लागू है, लेकिन इस आदेश के बावजूद शराब की खुलेआम बिक्री जारी है. हाल ही में जिला मुख्यालय में एक सरकारी कर्मचारी को शराब के नशे में गिरफ्तार किया गया, जिसने शराबबंदी के नियमों की खुलेआम धज्जियां उड़ाई. यह घटना समाहारनालाय के कल्याण विभाग के कार्यालय में हुई, जहां एक कर्मचारी अमन आनंद शराब के नशे में हंगामा कर रहा था.


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जानकारी के अनुसार अमन आनंद जो सीतामढ़ी का रहने वाला है और अनुकम्पा पर सरकारी नौकरी में कार्यरत था. वह शराब के नशे में कार्यालय पहुंचा और हंगामा शुरू कर दिया. उसका व्यवहार इतना असंयत था कि अधिकारियों को मजबूरन मधनिषेध विभाग को सूचित करना पड़ा. सूचना मिलते ही उत्पाद विभाग की टीम मौके पर पहुंची और कर्मी का ब्रेथ एनालाइजर से परीक्षण किया, जिसमें शराब पीने की पुष्टि हुई.


पुलिस ने अमन आनंद को गिरफ्तार कर लिया और उसकी गिरफ्तारी के बाद यह सवाल उठने लगा कि जब बिहार में शराब पूरी तरह से प्रतिबंधित है, तो इस सरकारी कर्मचारी को शराब कहां से मिली. जिला मुख्यालय जहां बड़े अधिकारी बैठते हैं, मैं ऐसी घटना घटित होना प्रशासन की नाकामी को उजागर करता है. अमन आनंद ने अपनी गिरफ्तारी के दौरान यह माना कि उसने कोई अपराध नहीं किया, बल्कि वह सिर्फ शराब पीकर आया था. उसका कहना था कि शराब वह चोरी से नहीं लाया था और न ही कोई अपराध किया था.


बता दें कि यह घटना बिहार में शराबबंदी की सख्त जरूरत की ओर इशारा करती है. जहां एक ओर राज्य सरकार शराबबंदी को लेकर कड़े कदम उठा रही है, वहीं दूसरी ओर बाजार में शराब की बिक्री चोरी-छिपे जारी है. यह स्थिति शासन और प्रशासन के लिए एक गंभीर चुनौती बन चुकी है. अब यह सवाल उठता है कि अगर शराब पूरी तरह से प्रतिबंधित है, तो शराबी इसे कहां से प्राप्त कर रहे हैं और राज्य सरकार इस पर काबू कैसे पाएगी. अमन आनंद की गिरफ्तारी के बाद अब यह देखना होगा कि प्रशासन इस स्थिति पर काबू पाने के लिए किस प्रकार के कदम उठाता है. नए साल का जश्न अब उसके लिए सलाखों के पीछे होगा, लेकिन यह घटना शराबबंदी की सख्ती और राज्य की कानून-व्यवस्था पर गंभीर सवाल खड़ा करती है.


इनपुट- जी बिहार झारखंड ब्यूरो


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