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पटना: 10 Decisions of KK Pathak: बिहार की शिक्षा व्यवस्था को लेकर जिस तरह की बातें होती थी. उसका पैमाना आजकल बदला हुआ सा नजर आ रहा है. दरअसल बिहार में शिक्षा व्यवस्था की सेहत में सुधार का वादा लेकर चले बिहार शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव केके पाठक के काम करने के तरीके ने उन्हें सुर्खियों में ला दिया है. बिहार में पहली बार 1 लाख 70 हजार से ज्यादा शिक्षक पदों पर निकाली गई वैकेंसी का सफलतापूर्वक आयोजन कराकर शिक्षकों की पोस्टिंग तक की व्यवस्था सुचारू रूप से करा देने वाले केके पाठक और इसके तुरंत बाद 1 लाख 20 हजार से ज्यादा और शिक्षकों की वैकेंसी की नोटिस जारी करवा देने वाले पाठक जी का नाम सबकी जुबान पर है. लगातार स्कूलों कॉलेजों और अन्य शिक्षण संस्थाओं का औचक निरिक्षण कर वहां की व्यवस्थाओं का जायजा ले रहे केके पाठक मीडिया की सुर्खियों में हैं.
सीएम नीतीश कुमार ने जब केके पाठक को बिहार की शिक्षा व्यवस्था की सेहत सुधारने की जिम्मेदारी दी थी तो किसी को यह अनुमान भी नहीं था कि पाठक जी के एक के बाद एक ताबड़तोड़ फैसले कैसे युगांतकारी परिवर्तन लाने वाले हैं और वह कैसे नीतीश कुमार के भरोसे पर खरा उतरने वाले हैं. अब मीडिया उनके द्वारा लिए गए फैसलों को बताकर अघाती तक नहीं है.
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ऐसे में केके पाठक के उन 10 फैसलों को जान लीजिए जिसने बिहार की शिक्षा व्यवस्था को लो ब्लड प्रेशर वाली परेशानी से निकालकर हाई स्पीड ट्रैक पर लाकर खड़ा कर दिया है.
स्कूल से गायब रहे शिक्षक तो वेतन में कटौती का फैसला
बिहार में स्कूल हो लेकिन वहां सभी शिक्षक उपस्थित हों ऐसा हो ही नहीं सकता था. ऐसे में जो शिक्षक स्कूल में उपस्थित नहीं रहते थे उसकी वेतन कटौती का आदेश केके पाठक की तरफ से आया. ऐसे आदेश के बाद अब शिक्षक कम ही स्कूलों से गायब नजर आने लगे हैं.
ट्रांसफर और प्रतिनियुक्ति पर रोक
पहले बिहार में शिक्षकों के द्वारा पहुंच के आधार पर अधिकारियों से गुहार लगाकर अपनी पोस्टिंग अपनी पसंद की जगहों पर करा ली जाती थी. ऐसे में केके पाठक ने इसपर आदेश के जरिए पूरी तरह से रोक लगा दिया.
नवनियुक्त शिक्षकों के लिए नया टास्क
बिहार में बीपीएससी के जरिए हाल ही में नियुक्त किए गए शिक्षकों को पहले प्रदेश के गांवों में कुछ साल बच्चों को पढ़ाने का आदेश दिया गया. केके पाठक ने साफ कह दिया कि जिनको पसंद नहीं उनके लिए यह नौकरी नहीं है. वह इस नौकरी से इस्तीफा देकर जा सकते हैं.
विकास कोष की राशि का स्कूलों के विकास पर खर्च करने का आदेश
बिहार सरकार की तरफ से स्कूलों के विकास के लिए हर साल मोटी रकम दी जाती है. जिसका स्कूलों के द्वारा कभी भी सही उपयोग नहीं किया जाता है. ऐसे में केके पाठक की तरफ से आदेश दिया गया कि विकास कोष और विकास शुल्क जो छात्रों से वसूला जाता है अगर वह राशि स्कूलों के विकास पर खर्च नहीं होते हैं तो उसे वापस सरकार के खजाने में जमा करा दिया जाएगा.
शिक्षकों की छुट्टियां काटी गईं
बिहार में शिक्षकों को पहले 23 छुट्टियां मिलती थी. केके पाठक ने शिक्षा में सुधार और छात्रों के उज्ज्वल भविष्य के निर्माण की राह में आ रही परेशानी को देखते हुए इन छुट्टियों में कटौती का आदेश दिया और इसे कमकर 11 कर दिया गया.
स्कूल से अनुपस्थित रहने वाले छात्रों पर चला पाठक का डंडा
बिहार के स्कूलों में शिक्षक तो शिक्षक छात्र भी कम ही उपस्थिति दर्ज कराते रहे. या तो वह स्कूल आते ही नहीं या फिर सरकारी स्कूलों में एडमिशन के जरिए वहां के फायदे लेते रहे और शिक्षा प्राइवेट स्कूलों में ग्रहण करते रहे. ऐसे में केके पाठक ने आदेश दिया कि 15 दिन से ज्यादा स्कूल में अनुपस्थित रहनेवाले छात्रों का नामांकन रद्द कर दिया जाए. लाखों छात्र इसकी जद में आ गए. इसकी वजह से स्कूलों में उपस्थिति भी बढ़ी.
स्कूलों में छात्रों के लिए 75 फीसदी उपस्थिति किया अनिवार्य
स्कूलों में शिक्षा की सेहत में सुधार हो इसके लिए छात्रों की 75 फीसदी उपस्थिति केके पाठक के आदेश के बाद अनिवार्य घोषित कर दी गई.
जो पढ़ाई में कमजोर बच्चे उनके लिए चलाया दक्ष अभियान
बिहार में केके पाठक के निर्देश के बाद पढ़ाई में कमजोर बच्चों के लिए दक्ष अभियान की शुरुआत की गई. जिसमें 10 हजार शिक्षकों को प्रति शिक्षक पांच बच्चे यानी 50 हजार छात्रों को गोद लेना है. इसमें 10वीं और 12वीं के छात्रों को शामिल किया गया.
बच्चों को मिले हर सुविधा
स्कूल में जमीन पर बैठकर पढ़ाई करने वाले बच्चों को लेकर स्कूल के प्रधानाध्यापक के खिलाफ केके पाठक सख्त नजर आए. उनके लिए बेंच-डेस्क की व्यवस्था का निर्देश दे डाला.
कैसे हो स्कूल में साफ-सफाई
केके पाठक को पता है कि स्कूल शिक्षा का मंदिर है और मंदिर की पवित्रता हमेशा साफ-सफाई से ही बरकरार रह सकती है. ऐसे में वह स्कूलों की साफ-सफाई को लेकर भी सख्त नजर आए. स्कूलों में शौचालय और बागवानी जरूर हो यह उनका निर्देश रहा है.