पटनाः Gopashtami Puja Today: गोपाष्टमी का त्योहार पूरे भारत वर्ष में बहुत धूमधाम से मनाया जाता है. इस दिन गौ माता की पूजा की जाती है, साथ ही भगवान श्रीकृष्ण के बालरूप के पूजन का भी विधान है. इस दिन घरों में पक्का भोजन, पूड़ी-सब्जी, कचौरी बनाकर भगवान को इसका  भोग लगाया जाता है औऱ गौ माता को खिलाया जाता है. किसान इस दिन अपने पशुधनों को नहलाते-धुलाते और खिलाते हैं. वहीं ग्वाला वर्ग और गोपालक इसे एक उत्सव की तरह मनाते हैं. भारत में गोपाष्टमी की मान्यता गौ पूजन के अलावा गो उत्सव की तरह भी है. इस दिन भगवान श्रीकृष्ण का व्रत भी रखा जाता है. गोपाष्टमी की ये है पूजन विधि


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ऐसे करते हैं गाय माता की पूजा
गोपाष्टमी के दिन पूजन करने के लिए खास विधि है. गोपाष्टमी के दिन प्रात: जल्दी जल्दी उठ जाएं. सुबह उठकर गायों और बछड़ों को स्नान कराया जाता है. उनकी साफ-सफाई की जाती है. इसके बाद गौ माता के शरीर पर हाथों से मेहंदी, हल्दी, रोली के थापे लगाए जाते हैं. उनकी सींगों को हल्दी से रंगा जाता है. इसके बाद धूप, दीप, गंध, पुष्प, अक्षत, रोली, गुड़, वस्त्र आदि सामग्री से गाय की पूजा की जाती है. 


गाय के खुरों के नीचे चारों धाम
अंत में गाय माता की आरती कर उन्हें चारा खिलाया जाता है. पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, गाय की पूजा करने के बाद उसकी परिक्रमा कर कुछ दूरी तक उसके साथ चलना चाहिए. इसके बाद गौमाता की चरण रज को माथे पर लगाना चाहिए. ऐसा करने से सुख-सौभाग्य में वृद्धि होती है साथ ही भगवान विष्णु की कृपा भी प्राप्त होती है. गाय माता के चरणों की धूल से जन्म-जन्मांतर के पाप कट जाते हैं. ऐसा माना जाता है कि गाय के खुरों के नीचे आने वाला स्थान गोतीर्थ हो जाता है. इस तरह गाय के चारों चरणों के नीचे चारधाम हो जाते हैं.