पटना: बिहार के राज्यपाल राजेंद्र विश्वनाथ आर्लेकर राज्य के उच्च शिक्षा में आमूल चूल परिवर्तन कर यहां के पुराने गौरव को बहाल करने की दिशा में काम कर रहे हैं. इस दिशा में उनके सामने कई चुनौतियां भी आ रही है. राज्यपाल राजेंद्र विश्वनाथ आर्लेकर ने कहा कि अगले एक वर्ष के अंदर सभी परीक्षा समयबद्ध करने की उनकी प्रतिबद्धता है. यूनिवर्सिटी के माहौल से लेकर शिक्षकों की प्रोन्नति और आगे की योजनाओं पर वो काम कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि मेरा लक्ष्य है कि उच्च शिक्षा के क्षेत्र में बिहार का जो स्थान था वह गौरव प्राप्त हो. देश विदेश से छात्र यहां उच्च शिक्षा के लिए आते थे वह स्थान फिर से प्राप्त हो. मैंने खुद से प्रश्न पूछा कि देश भर में बिहार का जो साथ था वह फिर से आनी चाहिए और इसका जवाब सकारात्मक पाया.


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राज्यपाल राजेंद्र विश्वनाथ आर्लेकर ने आगे कहा कि यहां मेधा है और शिक्षक भी बेहतर करना चाहते हैं सिर्फ इसे चैनलाइज करना है और यह प्रयास मैं पिछले एक वर्ष से कर रहा हूं. इसका अब परिणाम भी दिख रहा है कि शैक्षणिक माहौल बन रहा है. राष्ट्रीय शिक्षा नीति को लागू करने की जरूरत थी. इसके लिए सबसे बात करके एक प्रयास किया है जिसमें सब साथ दे रहे हैं. हर यूनिवर्सिटी में डीन स्टूडेंट वेलफेयर होता है और डीन एकेडमिक भी, डीन एकेडमिक यहां नहीं था जिसे लागू करने का हमने सुझाव दिया और यह हो रहा है. इसके अलावा सभी यूनिवर्सिटी को शोध करने के लिए भी एक संकाय का सुझाव दिया है.


राज्यपाल ने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति को यहां लागू किया है, सेमेस्टर पद्धति लागू की है. नए सिलेबस के लिए कमेटी बनाई थी यह भी हो गया है फिलहाल शत प्रतिशत नहीं हो पाया कुछ कमियां है उसको अब पूरा कर रहे हैं. अब हमारे पास आधारभूत संरचना की कमी है इसे ठीक कर रहे हैं. हमारे यूनिवर्सिटी के रैंकिंग सुधार की जरूरत है.यूनिवर्सिटी डरती है कि नैक में जाए या न जाएं अब इसके लिए हमने सभी को निर्देश दिए हैं और ट्रेनिंग भी देने का प्रयास है. परीक्षा में देरी को दुरुस्त करना एक चुनौती है और यह हमारी जिम्मेवारी भी है. अगले एक वर्ष के अंदर सभी परीक्षा समय से होगी यह हमारा दावा है.


राजभवन और शिक्षा विभाग के बीच पिछले दिनों हुए खींच तान को लेकर उन्होंने कहा कि सचिव के पद पर नियुक्ति होती है तो उम्मीद की जाती है कि वे काम सामंजस्य से करें लेकिन सभी उंगलियां समान नहीं होती. सभी अधिकारी के सोच सामान्य नहीं होते हैं. इससे समस्या आती है. जिसका मैंने सामना भी किया लेकिन समस्या का समाधान भी होता है. शिक्षा के लिए सही सोच वाले अधिकारी होने चाहिए. टकराव की स्थिति नहीं है. अधिकारी एक व्यक्ति है और समन्वय का परिणाम यह हुआ कि अब अच्छे सोच वाले अधिकारी आए हैं. छात्रों का भविष्य उज्जवल है. उन्हें पढ़ाई के अलावा कुछ और नहीं सोचना चाहिए. पिछले दिनों परीक्षा के दौरान एक हत्या भी हो गई. ऐसी बातों के लिए बिहार का नाम नहीं आना चाहिए. छात्र हमारे मित्र हैं उनसे निवेदन है कि शिक्षा का माहौल बनाना उनका भी काम है वे पढ़ाई करें इधर उधर की बातों में न आएं.


इनपुट- रजनीश


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