हरियाली तीज व्रत में सुहागन स्त्रियां माता पार्वती से अखंड सौभाग्य का वरदान मांगती हैं और निर्जला व्रत रहती हैं. इस दौरान, 24 घंटे के बाद व्रत पूरा होने के बाद पारण किया जाता है.
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पटनाः Hariyali Teej Story: 31 जुलाई यानी हरियाली तीज व्रत मनाया जा रहा है. इस दिन भगवान शिव और मां पार्वती की पूजा की जाती है. सुहागन स्त्रियां माता पार्वती से अखंड सौभाग्य का वरदान मांगती हैं और निर्जला व्रत रहती हैं. इस दौरान, 24 घंटे के बाद व्रत पूरा होने के बाद पारण किया जाता है. मां पार्वती की बिहार में महिलाएं पिड़किया का भोग लगाती हैं और प्रसाद चढ़ाती हैं. इसी प्रसाद से व्रत भी खोला जाता है. व्रत के दौरान शिव-पार्वती के मिलन की कथा कही जाती है.
यह तो सभी जानते हैं कि सती दाह के बाद आदिशक्ति ने पर्वतराज हिमालय की पुत्री के रूप में जन्म लिया था. देवी ने महादेव शिव को पति रूप में पाने के लिए कई हजार वर्षों तक कठिन तप किया था. इस तप के दौरान महादेव शिव ने कई बार उनकी परीक्षा ली थी. इन सभी परीक्षाओं में देवी पार्वती सफल होती जाती थीं और तप के कारण उनकी कान्ति और भी बढ़ती जाती है. ऐसी एक कथा मगरमच्छ की भी है, जो शिव-पार्वती से जुड़ी हुई है.
पार्वती जी करती थीं शिव पूजन
एक दिन माता पार्वती जब शिव पूजा में लीन थीं, तो उसी दौरान पास की नदी से एक करुण स्वर सुनाई दिया. कोई मदद की गुहार लगा रहा था. देवी पार्वती चिंतित हुईं और नदी के पास गईं. यहां उन्होंने देखा कि एक
मगरमच्छ ने एक बालक को पकड़ लिया था और गहरे जल में घसीट ले जा रहा था. बच्चे की आवाज सुनकर पार्वती जी नदी के किनारे पहुंची और बच्चे को बचाने का उपाय सोचने लगीं. बच्चे ने भी माता पार्वती को देखकर कहा कि मेरी न मां है न बाप, न कोई मित्र ही है. माता आप ही मेरी रक्षा करें.
देवी मां ने बचाए बच्चे के प्राण
इस पर पार्वती जी मगरमच्छ के सामने खड़ी हो गईं और बालक का हाथ पकड़कर खींचने लगीं. इस पर मगरमच्छ बोल उठा कि, मैं एक दैत्य हूं और श्राप के कारण मगरमच्छ बन गया हूं. इसलिए बोल सकता हूं. फिर उसने कहा कि आप इसे छुड़ाने के लिए व्यर्थ परेशान हो रही हैं. विधाता ब्रह्मा ने यह तय किया है कि दिन के छठे पहर जो मुझे मिलता है उसे आहार बनाना मेरा नियम है. पार्वती जी के विनती करने पर मगरमच्छ ने लड़के को छोड़ने के बदले में पार्वती जी के तप से प्राप्त वरदान का पुण्य फल मांग लिया. इस पर पार्वती जी तैयार हो गईं. मगरमच्छ ने बालक को छोड़ दिया और तेजस्वी बन गया.
इस तरह महादेव का मिला वरदान
अपने तप का फल दान करने के बाद पार्वती जी ने बालक को बचा लिया और एक बार फिर भोलेनाथ को प्रसन्न करने के लिए तप करने बैठ गईं. इस पर भोलेनाथ दोबारा प्रकट हुए और पूछा कि तुम अब क्यों तप कर रही हो, मैंने तम्हें पहले ही मनमांगा दान दे दिया है. इस पर पार्वती जी ने अपने तप का फल दान करने की बात कही. इस पर शिवजी प्रसन्न होकर बोले मगरमच्छ और लड़के दोनों के स्वरूप में मैं ही था. मैं तुम्हारी परीक्षा ले रहा था कि तुम्हारा चित्त प्राणिमात्र में अपने सुख दुख का अनुभव करता है या नहीं. इस तरह भगवान शिव की परीक्षा में मां पार्वती एक बार फिर सफल हुईं. इस तरह उन्होंने महादेव को पति रूप में पा लिया.