कैसे बनता है कुंडली में 'षडाष्टक योग', कहीं आप भी तो नहीं है इस वजह से परेशान?
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कैसे बनता है कुंडली में 'षडाष्टक योग', कहीं आप भी तो नहीं है इस वजह से परेशान?

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार कुंडली में ग्रहों की स्थिति और उनके बीच की युति कई तरह के योगों का निर्माण करती है. इसमें से कई योग जहां बेहद शुभ और राजयोग की श्रेणी में आते हैं तो वहीं कई योग कुंडली में अशुभ संकेत देते हैं और जातक के जीवन में इसकी वजह से परेशानियां बढ़ जाती हैं.

(फाइल फोटो)

Shadashtak Yoga: ज्योतिष शास्त्र के अनुसार कुंडली में ग्रहों की स्थिति और उनके बीच की युति कई तरह के योगों का निर्माण करती है. इसमें से कई योग जहां बेहद शुभ और राजयोग की श्रेणी में आते हैं तो वहीं कई योग कुंडली में अशुभ संकेत देते हैं और जातक के जीवन में इसकी वजह से परेशानियां बढ़ जाती हैं. ऐसे ही एक योग के बारे में ज्योतिष शास्त्र में बताया गया है. जिसे 'षडाष्टक योग' कहा जाता है. ऐसे में हर योग का शुभ या अशुभ प्रभाव सभी 12 राशियों पर देखने को मिलता है. आपको बता दें कि इस बार 17 जून को शनि वक्री होकर राशि परिवर्तन कर चुके हैं और 141 दिन तक इसी हाल में रहेंगे. वहीं 30 जून को मंगल का गोचर कर्क राशि में हो रहा है. ऐसे में मंगल और शनि अभी मिलकर 30 जून तक षडाष्टक योग का निर्माण कर रहे हैं.

अब आपको बताते हैं कि 'षडाष्टक योग' को ज्योतिष शास्त्र में अशुभ योग में गिना जाता है. ऐसे में इस योग के बनने के बाद कई राशि के जातकों को परेशानी का सामना इस दौरान जीवन में करना पड़ेगा. ऐसे में इस बार इस 'षडाष्टक योग' की वजह से चार राशियां सर्वाधिक परेशान होंगी और इनपर इस योग का खासा असर देखने को मिलेगा. ये चार राशियां हैं सिंह, धनु, कर्क और कुंभ राशि जिसपर इस 'षडाष्टक योग' का बुरा प्रभाव पड़नेवाला है. 

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अब आपको बताते हैं कि आखिर ये 'षडाष्टक योग' बनता कैसे है तो पहले यह जानिए की दो ग्रहों की युति से इस योग का निर्माण होता है. ऐसे में इस 'षडाष्टक योग' के बारे में बताया जाता है कि किसी भी कुंडली में जब दो ग्रह एक दूसरे से छठे और आठवें भाव में आते हैं तो इसका निर्माण होता है. बता दें कि लग्न से या किसी भी भाव से जो छठा भाव होता है  दुःख, रोग, ऋण, चिंता जैसे परिणामों से भरा होता है. वहीं आठवां भाव उस जातक के लिए दुर्भाग्य, नष्टता, भयंकर कष्ट, संकट आदि के परिणाम देता है. ऐसे में जब दो ग्रह कुंडली में इन भावों में आएंगे तो परिणाम हमेशा नकारात्मक ही मिलेंगे. 
 
ऐसे में  'षडाष्टक योग' बनने पर जातक की कुंडली में ग्रहों की स्थिति कितनी ही शुभ फलदायी हो उसे दुख, रोग, कर्ज, चिंता, दुर्भाग्य और कष्टों जैसी समस्या का ही सामना करना पड़ता है. इस योग का जिन 4 राशियों पर नकारात्मक प्रभाव पड़नेवाला है वह इससे बचने के लिए भगवान शिव की पूजा अराधना करने के साथ ही भगवान विघ्नहर्ता गणेश और पवनसुत हनुमान की भी पूजा अर्चना पूरी निष्ठा से करें. इसके साथ ही ऐसे जातक को लाल मसूर की दाल, जामुन, चीकू के अलावा खट्टे फल या पदार्थ का दान करना चाहिए. इसके साथ ही गौमाता की सेवा करनी चाहिए और उसे हरी घास के साथ ही बूंदी के लड्ड़ू भी खिलाना चाहिए. 

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