Jharkhand: हकमारी से परेशान हैं गुमला के मजदूर, आजमगढ़ में झारखंड के मजदूरों का शोषण
Advertisement

Jharkhand: हकमारी से परेशान हैं गुमला के मजदूर, आजमगढ़ में झारखंड के मजदूरों का शोषण

Jharkhand News: सिसई प्रखंड के सैकड़ों प्रवासी मजदूर मजदूरी करने उत्तरप्रदेश के आजमगढ़ ईंट भट्ठा में काम करने गए थे. जहां 6 से 8 महीना काम करवाने के बाद भी मालिक के द्वारा मजदूरी का भुगतान नहीं किया गया.

 

हकमारी से परेशान हैं गुमला के मजदूर (फाइल फोटो)

Jharkhand: गुमला के सिसई के प्रवासी मजदूर (Migrant Labor) अपनी मेहनत की कमाई के लिए श्रम विभाग से गुहार लगा रहे हैं. मजदूरों का आरोप है कि उत्तरप्रदेश (Uttar pradesh) के आजमगढ़ (Azamgarh) में 6 से 8 महीने तक काम करवाने के बाद वहां के एक ईंट भट्ठा मालिक ने इन लोगों को बिना मजदूरी दिए निकाल दिया. इसके बाद मजदूर अपने घर वापस लौट आए और अब अपनी खून पसीना की कमाई के लिए दर-दर की ठोकरें खा रहे हैं. 

अपने हक के पैसे के लिए दर-दर की ठोकरें खाते गुमला के सिसई प्रखंड के दर्जनों मजदूरों ने उनके साथ परदेस में हुई ज्यादती के खिलाफ न्याय और मजदूरी भुगतान के लिए जिला श्रम अधीक्षक से गुहार लगाई है. दरअसल, सिसई प्रखंड के सैकड़ों प्रवासी मजदूर मजदूरी करने उत्तरप्रदेश के आजमगढ़ ईंट भट्ठा में काम करने गए थे. जहां 6 से 8 महीना काम करवाने के बाद भी मालिक के द्वारा मजदूरी का भुगतान नहीं किया गया.

आरोप है कि मजदूरी की मांग करने पर मजदूरों के साथ भट्ठा मालिक द्वारा मारपीट भी की गई, जिसके बाद अपने घर से कोसों दूर फंसे प्रवासी मजदूर उधार पर पैसा लेकर कर घर आने को मजबूर हुए. अब अपनी जमीन पर पहुंचने के बाद मजदूर अपने साथ हुई ज्यादती और हकमारी के खिलाफ गोलबंद हुए हैं।  और फिर मजदूरी भुगतान के लिए गुमला के श्रम अधीक्षक से गुहार लगाई है.

मजदूरों का आरोप है कि वो लोग नौकरी की तलाश में उत्तर प्रदेश के आजमगढ़ जिले के संजय पुर गए हुए थे. जहां ईंट भट्ठा मालिक मुन्नू ताहिर और शाह मूसा के ईंट भट्ठा में उनलोगों ने काम शुरू किया. लेकिन 6 से 8 महीने मजदूरी करने के बाद भी इनकी मजदूरी का सही भुगतान नहीं किया गया. जब बरसात शुरू हुई और तो ईंट का काम मंदा पड़ गया तब भट्ठा मालिक के द्वारा बकाया पैसा का भुगतान किए बगैर इनलोगों को नौकरी से निकाल दिया गया.

वहीं, जब ये लोग अपनी मेहनत की कमाई मांगने गए तो इनसे मारपीट की गई. मजदूरों का ये भी आरोप है कि काम के दौरान सप्ताह खर्ची के लिए प्रति मजदूर 500 रुपए दिए जाते थे और 6 महीने से ज्यादा काम कराने के बाज मजदूरों से उनके पेमेंट के रजिस्टर पर अंगूठा लगवा लिया गया, और किसी को 3000 रुपए तो किसी को 4000 देकर जाने को कहा गया.

जब मजदूरों ने भट्ठा मालिक की मनमानी का विरोध किया तो इनके साथ मारपीट की गई और जान से मारने की धमकी देकर भगा दिया गया. अब अपनी ज़मीन पर आकर ये मजदूर अपनी मजदूरी की मांग को लेकर गोलबंद हुए हैं. मजदूरों ने गुमला के श्रम अधीक्षक से अपनी समस्याएं बताई जिसके बाद गुमला के श्रम अधीक्षक ने उत्तरप्रदेश के आजमगढ़ जिले के श्रम विभाग से बात कर उनकी मेहनत की कमाई वापस कराने का भरोसा दिलाया है. श्रम विभाग भले ही मजदूरों को भरोसा दिला रहा है, लेकिन उनकी खून-पसीने की कमाई का पैसा मजदूरों को कब मिल पाएगा इसका इंतजार सिसई के दर्जनों मजदूरों को है.

Trending news