World Anti Trafficking Day: कैलाश सत्यार्थी ने कहा, ‘मुझे गर्व है कि भारत ह्यूमन ट्रैफिकिंग के खिलाफ प्रस्तावित कानून के साथ इस अपराध से निपटने की वैश्विक लड़ाई में एक ऐतिहासिक कदम उठाने के लिए तैयार है.
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Patna: विश्व ट्रैफिकिंग विरोधी दिवस के अवसर पर कैलाश सत्यार्थी चिल्ड्रेन्स फाउंडेशन (Kailash Satyarthi Children Foundation) और बचपन बचाओ आंदोलन (Bachpan Bachao Andolan) ने संयुक्त रूप से ‘ह्यूमन ट्रैफिकिंग के उन्मूलन’ (Eradication of Human Trafficking) पर एक राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन किया.इसमें कोरोना महामारी के कारण ट्रैफिकिंग के उभरते नए रूपों को एक ओर जहां उजागर किया गया, वहीं, दूसरी ओर केंद्र सरकार द्वारा प्रस्तावित ट्रैफिकिंग ऑफ पर्सन्स (प्रीवेंशन, प्रोटेक्शन एंड रिहैबिलिटेशन) बिल-2021 ((Trafficking of Persons (Prevention, Protection and Rehabilitation) Bill 2021)) का पुरजोर समर्थन किया गया.
संसद में पेश होगा बिल
इस बिल को संसद के मौजूदा मानसून सत्र में पेश होना है. सत्र का उद्घाटन नोबेल शांति पुरस्कार (Nobel Peace Prize) से सम्मानित कैलाश सत्यार्थी (Kailash Satyarthi) और केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्री स्मृति ईरानी (Smriti Irani) ने किया. इस कार्यक्रम का उद्देश्य ट्रैफिकिंग की रोकथाम और नियंत्रण के साथ-साथ पीड़ितों के संरक्षण और पुनर्वास के लिए जिम्मेदार विभिन्न हितधारकों को एक साथ लाना है.
मजबूत एंटी ट्रैफिकिंग कानून की जरुरत
इस दौरान कैलाश सत्यार्थी ने कहा, ‘मुझे गर्व है कि भारत ह्यूमन ट्रैफिकिंग के खिलाफ प्रस्तावित कानून के साथ इस अपराध से निपटने की वैश्विक लड़ाई में एक ऐतिहासिक कदम उठाने के लिए तैयार है. एक संवेदनशील और सतर्क समाज द्वारा समर्थित एक मजबूत एंटी ट्रैफिकिंग कानून हमारी नैतिक और संवैधानिक जिम्मेदारी है. यह राष्ट्र-निर्माण और आर्थिक प्रगति की दिशा में एक आवश्यक कदम है. हजारों महिलाएं और बच्चे न्याय और स्वतंत्रता की प्रतीक्षा कर रहे हैं. हमें इस कानून को तुरंत पारित करना चाहिए और बाकी दुनिया के लिए एक मिसाल कायम करना चाहिए.'
ट्रैफिकिंग को संगठित अपराध के रूप में चिन्हित करने की जरुरत
वहीं, स्मृति ईरानी ने कैलाश सत्यार्थी से अपने दो दशक पुराने रिश्ते को याद करते हुए, उन्हें बच्चों की सुरक्षा और इस दिशा में उनके द्वारा किए गए अथक कार्यों के लिए बधाई दी. ईरानी ने एंटी ट्रैफिकिंग बिल की चर्चा करते हुए कहा, 'हम देश में पहली बार ट्रैफिकिंग को एक संगठित अपराध के रूप में चिन्हित कर रहे हैं. यह बिल ट्रैफिकिंग के विभिन्न रूपों की, जो अपनी प्रकृति में गंभीर है, एक व्यापक सूची का प्रस्ताव तैयार करेगा और उसी के अनुसार उसकी सजा को बढ़ाने का काम करेगा. यह बिल अपराध की रिपोर्टिंग करने को भी अनिवार्य बनाता है और जो अपराध को रिपोर्ट नहीं करेंगे वे सजा के दायरे में आएंगे.’
अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बढ़ाएंगे सहयोग
ईरानी ने आगे कहा कि बिल के पारित होने के साथ ही हम अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी उस सहयोग को बढ़ाएंगे, जिसके तहत महिलाओं एवं बच्चों की सीमापार से ट्रैफिकिंग होती है और जो हमारी चिंता का एक प्रमुख कारण है. अंत में स्मृति इरानी ने कहा, मैं एक बार फिर से उम्मीद करती हूं कि आज की यह संगोष्ठी नए विचारों को सामने लाएगी ताकि हमारा कार्यान्वयन न केवल प्रशासनिक स्तर पर सुचारू हो बल्कि वह उपयोगी और प्रभावी भी हो.
कोविड में बढ़ी है ट्रैपिकिंग
दरअसल, कोरोनाकाल में ट्रैफिकिंग बढ़ रही है, बचपन बचाओ आंदोलन के आंकड़े भी इसकी तस्दीक करते हैं. बीबीए ने कोरोना महामारी के दौरान ट्रैफिकिंग के शिकार 9000 से अधिक बच्चों को मुक्त किया है. पिछले दो महीनों में ही उसने पूरे देश से 806 बच्चों को आजाद कराया है. इस हफ्ते में ही बीबीए ने झारखंड के गिरिडीह में छह नाबालिग लड़कियों को छुड़ाने के साथ ही रांची से दिल्ली लाए जा रहे चार नाबालिग बच्चों को भी छुड़ाया है. इसके अलावा तेलंगाना से चार किशोर बच्चों को छुड़ाया गया. एंटी ट्रैफिकिंग डे की पूर्व संध्या पर अंबाला स्टेशन से अमृतसर जाने वाली ट्रेन से 25 बच्चों को बचाया गया. वहीं, दिल्ली के सीलमपुर इलाके की गारमेंट इकाईयों से बाल मजदूरी कर रहे 20 बच्चों को छुड़ाया गया.