Chhapra:  छपरा जिला के मांझी में दूसरों को सुरक्षा देने वाले पदस्थापित पुलिस कर्मी पुराने भवन में रहते हुए खुद असुरक्षित महसूस कर रहे हैं. दरअसल, पचास वर्ष पुरानी मांझी थाना भवन में रहने वाले पुलिस कर्मियों के ऊपर छत के नीचे से प्लास्टर व कंकड़ का बड़ा-बड़ा टुकड़ा अक्सर गिरते रहता है.


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पुलिसकर्मी खुद को मजबूर समझकर किसी तरह ड्यूटी बजाने को विवश हैं. बार-बार आग्रह के बावजूद विभाग भवन की मरम्मती की दिशा में कोई ठोस कदम नहीं उठा रहा है.दरअसल, मांझी थाने में पदस्थापित जवान जिस मकान में रहते हैं, वह जर्जर हालत में पहुंच गया है. खिड़की दरवाजे के साथ-साथ छत के चट्टान भी टूट टूट कर गिरने लगे हैं.


बारिश का पानी छत से रिस कर कमरे के अंदर गिर रहा है. छत को बल्लियों का सहारा दिया गया है। ताकि, कभी कोई अनहोनी न होने पाए. विपरीत परिस्थितियों में रह रहे इन जवानों को न सिर्फ परेशानी का सामना करना पड़ रहा है, बल्कि हादसे का भी डर बना रहता है.


भवन की खस्ता हालत को लेकर आला अधिकारियों को कई बार अवगत भी कराया गया, लेकिन ठोस निर्णय नहीं लिए गए, जिससे उनकी परेशानी हल नहीं हो पाया है. 


अंग्रेजों के जमाने में ही इस थाने की हुई थी शुरुआत


जानकारी के अनुसार, आजादी के समय में थाने की स्थापना हुई थी. उसी समय स्टाफ क्वार्टर भी बनाए गए थे. वर्षों पूर्व बने ये भवन पूरी तरह से जर्जर हो गए हैं. कभी भी कोई अनहोनी हो सकती है. यहां दर्जनों की संख्या में पुलिसकर्मी पदस्थापित हैं लेकिन विभाग के पास उस अनुपात में भवन नहीं हैं.


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पुराने बैरक भी अब खंडहर में तब्दील हो गए 
शुरुआती दौर में जो बैरक बनाए गए थे, वे भी अब खंडहर में तब्दील हो गए हैं. जवानों की माने तो थाने में भोजन बनाने तक की जगह नहीं बचती है. स्वच्छता को लेकर प्रशासन स्तर से कई योजनाएं शुरू की गई है लेकिन थाना परिसर में समुचित शौचालय तक की व्यवस्था नहीं है. इस वजह से महिला पुलिसकर्मियों को काफी मुश्किल होती है.


पुराने भवन में महत्वपूर्ण कागजात बचाने की भी चुनौती
छत से पानी रिस रहे कार्यालय में महत्वपूर्ण कागजात को बचाने के लिए पुलिसकर्मियों को प्लास्टिक टांग कर कागजातों की सुरक्षा करनी पड़ रही है. छत से घुसकर बारिश का पानी कमरों में टपकने लगता है, जिससे बचने के लिए उनके पास कोई उपाय नहीं है.


(इनपुट- राकेश कुमार सिंह)