Monkeypox से कैसे करें बचाव, डॉ.वीके मोंगा से समझिए मरीजों का कैसे रखें ध्यान
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Monkeypox से कैसे करें बचाव, डॉ.वीके मोंगा से समझिए मरीजों का कैसे रखें ध्यान

MonkeyPox Virus: विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने 14 अगस्त 2024 को मंकीपॉक्स (एमपॉक्स) को ‘अंतरराष्ट्रीय चिंता की सार्वजनिक स्वास्थ्य आपातकाल’ घोषित किया है. मंकीपॉक्स एक दुर्लभ जूनोटिक रोग है, यानी यह जानवरों से इंसानों में फैलता है. इसके सही स्रोत की जानकारी अभी तक नहीं मिली है, लेकिन यह माना जाता है कि गिलहरी और बंदर जैसे छोटे जानवर इसके वाहक हो सकते हैं.

Monkeypox से कैसे करें बचाव, डॉ.वीके मोंगा ने समझिए मरीजों का कैसे रखें ध्यान

Monkey pox: मंकीपॉक्स या एमपॉक्स एक वायरल बीमारी है जो हाल के महीनों में कई देशों में फैल चुकी है. इस वजह से हमारे देश के कुछ राज्यों में हेल्थ एडवाइजरी जारी की गई है. मंकीपॉक्स वायरस जिसे एमपीएक्सवी भी कहा जाता है, इस बीमारी का कारण है. विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने इसे एक अंतरराष्ट्रीय सार्वजनिक स्वास्थ्य आपदा घोषित किया है, इसलिए इस बीमारी के बारे में पूरी जानकारी होना और इससे बचने के उपाय करना बेहद जरूरी है.

मंकीपॉक्स कैसे फैलता है?
पब्लिक हेल्थ एक्सपर्ट डॉक्टर वीके मोंगा के अनुसार मंकीपॉक्स एक संक्रामक बीमारी है जो जानवरों से मनुष्यों में और एक संक्रमित व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में फैल सकती है. साथ ही मंकीपॉक्स वायरस के दो प्रकार हैं - क्लेड I और क्लेड II. यह वायरस आमतौर पर हल्की बीमारी का कारण बनता है, जो 2 से 4 सप्ताह में ठीक हो जाती है लेकिन कभी-कभी यह बीमारी गंभीर भी हो सकती है. खासकर छोटे बच्चों, गर्भवती महिलाओं और कमजोर इम्यूनिटी वाले लोगों में. यह वायरस संक्रमित व्यक्ति की खांसी या छींक से निकली बूंदों के संपर्क में आने से फैल सकता है. संक्रमित व्यक्ति के घाव, फफोले या चकत्ते के साथ शारीरिक संपर्क होने से भी यह फैल सकता है. इसके अलावा यदि आप किसी संक्रमित व्यक्ति द्वारा इस्तेमाल की गई वस्तुओं जैसे बिस्तर, तौलिया या कपड़े को छूते हैं, तो भी आप संक्रमित हो सकते हैं.

मंकीपॉक्स के लक्षण
पब्लिक हेल्थ एक्सपर्ट डॉक्टर वीके मोंगा बताते हैं कि मंकीपॉक्स के शुरुआती लक्षण फ्लू जैसे होते हैं. इसके लक्षण वायरस के संपर्क में आने के 5 से 21 दिन बाद दिखाई देने लगते हैं. शुरुआती लक्षणों में बुखार, सिरदर्द, ठंड लगना, जोड़ों और मांसपेशियों में दर्द, सूजी हुई लिंफ नोड्स और थकान शामिल हैं. इसके बाद शरीर पर दाने निकल सकते हैं, जो चेचक के फफोलों जैसे दिखते हैं. ये दाने चेहरे, हाथ, पैर, छाती, पीठ और अन्य जगहों पर हो सकते हैं और धीरे-धीरे पपड़ी बनकर गिर जाते हैं.

मंकीपॉक्स से बचाव और इलाज के उपाय
पब्लिक हेल्थ एक्सपर्ट डॉक्टर वीके मोंगा के अनुसार मंकीपॉक्स से बचने के लिए स्वच्छता का विशेष ध्यान रखना चाहिए. संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आने से बचें और भीड़भाड़ वाली जगहों पर जाने से परहेज करें. खांसते या छींकते समय अपने मुंह और नाक को ढकें और हाथों को नियमित रूप से साबुन और पानी से धोएं. अगर आपको कोई लक्षण महसूस हो रहे हों, तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें.

इस बीमारी में किस दवा का कर सकते है इस्तेमाल
पब्लिक हेल्थ एक्सपर्ट डॉक्टर वीके मोंगा के अनुसार मंकीपॉक्स के लिए कोई खास दवा नहीं है, लेकिन कुछ मामलों में एंटीवायरल दवाएं जैसे टेकोविरिमैट (Tecovirimat) का उपयोग किया जा सकता है. यह दवा विशेष रूप से स्मालपॉक्स के इलाज के लिए विकसित की गई थी, लेकिन मंकीपॉक्स के लिए भी इसे आपातकालीन स्थिति में उपयोग किया जा सकता है. इसके अलावा, चेचक के लिए इस्तेमाल होने वाले कुछ टीके मंकीपॉक्स के बचाव में भी मददगार हो सकते हैं.

सावधानियां और सुझाव
उन्होंने बताया कि मंकीपॉक्स के फैलाव को रोकने के लिए WHO ने सभी देशों को सतर्क रहने और जरूरी कदम उठाने की सलाह दी है. संक्रमित व्यक्ति को अलग कमरे में रखा जाए और उनकी इस्तेमाल की हुई वस्तुओं को अलग रखा जाए. संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आने वाले सभी लोगों को मास्क और दस्ताने पहनने चाहिए और संक्रमित व्यक्ति की देखभाल करते समय हर बार हाथ धोना चाहिए.

WHO की हेल्थ इमरजेंसी
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने 14 अगस्त 2024 को मंकीपॉक्स को 'पब्लिक हेल्थ इमरजेंसी ऑफ इंटरनेशनल कंसर्न' घोषित किया है. यह निर्णय इसलिए लिया गया क्योंकि इस बीमारी के मामले कई देशों में फैल रहे हैं और इसे रोकने के लिए जरूरी कदम उठाने की आवश्यकता है. मंकीपॉक्स एक दुर्लभ जूनोटिक रोग है, यानी यह जानवरों से इंसानों में फैलता है. अभी तक इस वायरस के स्रोत की पूरी जानकारी नहीं है, लेकिन छोटे स्तनधारी जैसे गिलहरी और बंदर इसके वाहक हो सकते हैं.

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