Navratri Vrat Paran Vidhi: आज है नवरात्रि व्रत का पारण, जानिए विधान और महत्व
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Navratri Vrat Paran Vidhi: आज है नवरात्रि व्रत का पारण, जानिए विधान और महत्व

Navratri Vrat Paran Vidhi: शास्त्रों के अनुसार, दशमी तिथि को ही व्रत खोलने का विधान है. यदि नवमी तिथि बढ़ती है तो पहली नवमी को व्रत रखते हैं और दूसरे दिन पारण करते हैं. दशमी तिथि में पारण करने से मां दुर्गा भक्तों के दुख हर लेती हैं,

Navratri Vrat Paran Vidhi: आज है नवरात्रि व्रत का पारण, जानिए विधान और महत्व

पटनाः Navratri Vrat Paran Vidhi:नवरात्रि में मां आदिशक्ति जगदम्बा, मां दुर्गा, मां भवानी आदि नामों से प्रसिद्ध देवी की पूजा पूरे नौ दिनों तक की जाती है. नवरात्रि का आरंभ घटस्थापना के साथ किया जाता है तो वहीं समापन व्रत पारण के साथ किया जाता है.  ऐसी मान्यता है कि जब तक व्रत रखने वाला व्यक्ति पूरे विधि विधान के साथ पारण नहीं करता, उसे व्रत का पूरा फल नहीं मिलता. तो आइए जानते हैं चौत्र नवरात्रि व्रत का पारण मुहूर्त और विधि.

नवरात्रि पारण का महत्व
शास्त्रों के अनुसार, दशमी तिथि को ही व्रत खोलने का विधान है. यदि नवमी तिथि बढ़ती है तो पहली नवमी को व्रत रखते हैं और दूसरे दिन पारण करते हैं. दशमी तिथि में पारण करने से मां दुर्गा भक्तों के दुख हर लेती हैं, उनके सभी अमंगल दूर कर देती हैं. जीवन में सुख और समृद्धि आती है.

पारण विधि
- पारण को लेकर अलग-अलग परंपराएं देखने को मिलती हैं. कुछ भक्त नवरात्रि के व्रत का पारण अष्टमी, जिसे महाअष्टमी के नाम से भी जाना जाता है, तिथि में करते हैं. वहीं कुछ लोग नवमीं यानी कि दुर्गा नवमीं को मां सिद्धिदात्री की पूजा करने के बाद कन्या पूजन और हवन कर व्रत का पारण करते हैं. लेकिन पारण के लिए नवमी तिथि के अस्त होने से पहले का समय ही सर्वश्रेष्ठ माना गया है. इसके साथ ही दशमी की तिथि को भी उपयुक्त माना गया है.
- मां दुर्गा की पूजा कर लें और आपके द्वारा भूल चूक की माफी मांग लें. अगर नवमी के दिन हवन हो गया है तो उस हवन सामग्री के साथ जौ, मिट्टी और पूजा संबंधी सभी सामग्री को बहते जल में प्रवाहित कर दें.
- वहीं कलश के पानी को पूरे घर में आम के पत्ते की मदद से छिड़क देना चाहिए. इससे घर का वातावरण शुद्ध होने के साथ नकारात्मक ऊर्जा बाहर निकल जाती है, साथ ही इस जल को घर के हर सदस्य के ऊपर छिड़क देना चाहिए. इससे सभी रोगों से मुक्ति मिलेगी. इसके बाद बचे पानी को पेड़-पौधों में डाल देना चाहिए.

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