Old Pension Scheme: दिल्ली हाईकोर्ट ने 11 जनवरी को सुनाए अपने फैसले में साफ कहा था कि केंद्र सरकार पुरानी पेंशन योजना को फिर से लागू करे और नई पेंशन नीति जो अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार ने 2004 में लागू की थी उसे समाप्त करे. यह फैसला सीएपीएफ को लेकर आया जिसमें कहा गया कि सशस्त्र बलों की बहाली चाहे आज हो या कभी भी हो उसमें इस पुरानी पेंशन योजना को सरकार लागू करे.
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Old Pension Scheme: एक तरफ देशभर के 5 राज्यों में फिर से पुरानी पेंशन योजना को लागू करने का फैसला लिया गया है. वहीं भाजपा शासित राज्यों से भी अब इसकी मांग तेज हो गई है. आपको बता दें कि झारखंड, राजस्थान, छत्तीसगढ़, हिमाचल प्रदेश और पंजाब की सरकारों ने इस योजना को पुनः लागू कर दिया है. वहीं अब कर्नाटक की सरकार की तरफ से एक टीम का गठन कर इन राज्यों में भेजा जा रहा है ताकि वह इसको कैसे लागू हो रहा है इसके बारे में गहन जानकारी जुटा सके. मतलब साफ है कि चुनाव से पहले भाजपा शासित राज्यों पर भी इसको लेकर दबाव बढ़ने वाला है. दरअसल भाजपा को भी पता चल गया है कि हिमाचल प्रदेश में उनकी सत्ता जाने के पीछे का मुख्य कारण OPS ही रहा है. कांग्रेस ने यहां सत्ता में आने के साथ कर्मचारियों की इस मांग पर विचार कर इसे लागू करने का फैसला ले लिया है.
ऐसे में अब होनेवाले कर्नाटक और मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव में भाजपा कोई जोखिम लेने के मुड में नहीं है. ऐसे में राज्यों की भाजपा इकाई केंद्र पर इस बात को लागू करने को लेकर दबाव भी बना सकती है क्योंकि उनको अपनी सत्ता खोने का डर सता रहा है.
इधर केंद्र सरकार को अदालतों से भी इसे लागू करने के लिए दबाव बढ़ाया जा रहा है. दिल्ली हाईकोर्ट ने अपने एक फैसले में केंद्र सरकार से इस योजना को 8 सप्ताह के भीतर लागू करने का निर्देश दिया था. यह समय सीमा होली से पहले समाप्त हो गई ऐसे में केंद्र सरकार ने अदालत से इसपर विचार करने के लिए 12 हफ्ते का और अतिरिक्त समय मांगा है. ऐसे में केंद्र सरकार के पास या तो सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाने का ऑप्शन है या फिर सरकार कानून के दायरे में रहकर इसके लिए कोई दूसरा रास्ता खोज सकती है.
दिल्ली हाईकोर्ट ने 11 जनवरी को सुनाए अपने फैसले में साफ कहा था कि केंद्र सरकार पुरानी पेंशन योजना को फिर से लागू करे और नई पेंशन नीति जो अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार ने 2004 में लागू की थी उसे समाप्त करे. यह फैसला सीएपीएफ को लेकर आया जिसमें कहा गया कि सशस्त्र बलों की बहाली चाहे आज हो या कभी भी हो उसमें इस पुरानी पेंशन योजना को सरकार लागू करे. हालांकि संसद में इस पर सरकार ने कहा था कि यह फैसला गृहमंत्रालय के अंदर आता है. ऐसे में अबी इस पर कोई विचार नहीं किया गया है. वित्त मंत्रालय ने कहा कि यह मामला इतना सरल नहीं है ऐसे में इसपर अभी सीधे कोई विचार नहीं किया गया है और इस पर अभी जवाब नहीं दिया जा सकता है. जबकि विपक्ष के कई नेता इसको लागू करने के लिए आवाज बुलंद कर रहे हैं.
केंद्र सरकार ने इस पुरानी पेंशन योजना को कुछ शर्तों के साथ लागू करने का फैसला पहले ही केंद्रीय कर्मचारियों के लिए सुनाया है लेकिन फिर भी यह मांग तेज हो गई है. इसे बिना शर्त लागू किए जाने की मांग हो रही है ताकि इसका लाभ सभी को मिल सके. केंद्र सरकार ने 22 दिसंबर 2003 से पहले निकली भर्ती के जरिये सरकारी नौकरी में शामिल हुए सभी केंद्रीय कर्मचारियों के लिए पुरानी पेंशन योजना की बहाली का तोहफा तो दिया लेकिन इसके बाद के सभी कर्मचारी नई पेंशन योजना में शामिल किए गए जिसको मानने से केंद्रीय कर्मचारी सीधे तौर पर इनकार कर रहे हें.
केंद्र सरकार के इस फैसले के आने के साथ ही देश के 5 राज्यों में इस पुरानी पेंशन योजना को लागू करने का फैसला लिया गया है. जिसमें राजस्थान ने सबसे पहले इस योजना को लागू करने की घोषणा की है. पुरानी पेंशन योजना में जहां कर्मचारियों को सेवानिवृति के बाद उनके अंतिम वेतन का आधा पेंशन के रूप में प्रतिमाह दिया जाता था वहीं नई पेंशन योजना में यह अंशदान पर आधारित व्यवस्था है जिसमें कर्मचारी और सरकार अपना-अपना हिस्सा देते हैं.
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