Pitru Paksha 2024 Dates: पितृपक्ष एक विशेष समय है जो पितरों को समर्पित होता है. आचार्य मदन मोहन के अनुसार पितृपक्ष में पितरों की आत्मा की शांति के लिए श्राद्ध (Shradh) किया जाता है. साथ ही कहा कि पितृपक्ष की शुरुआत भाद्रपद माह की पूर्णिमा (Purnima) से होती है और इसका समापन अश्विन माह की कृष्ण पक्ष की अमावस्या (Amavasya) पर होता है.


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श्राद्ध करना क्यों माना जाता है महत्वपूर्ण 
आचार्य मदन मोहन के अनुसार पितृपक्ष हिंदू धर्म में बहुत महत्वपूर्ण है. इस समय पितरों को श्रद्धा के साथ याद किया जाता है और उनके लिए श्राद्ध कर्म किए जाते हैं. पितरों को तर्पण (Tarpan) देने से उनकी आत्मा को शांति मिलती है और वे मोक्ष प्राप्त करते हैं. यह समय न केवल पितरों की मुक्ति के लिए है, बल्कि उनके प्रति सम्मान प्रकट करने का भी है. पितृपक्ष के दौरान पितरों को जल देना और श्राद्ध करना महत्वपूर्ण माना जाता है.


कब से शुरू हो रहा पितृपक्ष
आचार्य मदन मोहन के अनुसार इस बार पितृपक्ष 17 सितंबर 2024 से शुरू हो रहा है और 2 अक्टूबर 2024 तक चलेगा. पितृपक्ष के दौरान पितरों की आत्मा की शांति के लिए विभिन्न श्राद्ध और तर्पण क्रियाएं की जाती हैं. पितृपक्ष की शुरुआत 17 सितंबर 2024 से होगी और इसका अंत 2 अक्टूबर 2024 को अमावस्या तिथि पर होगा.


श्राद्ध की तिथियां इस प्रकार हैं


  • 17 सितंबर: पूर्णिमा श्राद्ध

  • 18 सितंबर: प्रतिपदा श्राद्ध

  • 19 सितंबर: द्वितीया श्राद्ध

  • 20 सितंबर: तृतीया श्राद्ध

  • 21 सितंबर: चतुर्थी श्राद्ध

  • 22 सितंबर: पंचमी श्राद्ध

  • 23 सितंबर: षष्ठी-सप्तमी श्राद्ध

  • 24 सितंबर: अष्टमी श्राद्ध

  • 25 सितंबर: नवमी श्राद्ध

  • 26 सितंबर: दशमी श्राद्ध

  • 27 सितंबर: एकादशी श्राद्ध

  • 28 सितंबर: किसी तिथि का श्राद्ध नहीं होगा

  • 29 सितंबर: द्वादशी श्राद्ध

  • 30 सितंबर: त्रयोदशी श्राद्ध

  • 1 अक्टूबर: चतुर्दशी श्राद्ध

  • 2 अक्टूबर: सर्व पितृ अमावस्या


पितृपक्ष के दौरान पितर लोक से पितर धरती पर आते हैं और उनके लिए श्राद्ध, तर्पण, और पिंडदान आदि किए जाते हैं. इन कर्मों से पितरों की आत्मा को शांति मिलती है और उन्हें मोक्ष प्राप्त होता है.


क्या है श्राद्ध का अर्थ
श्राद्ध का अर्थ है श्रद्धा के साथ अपने पितरों को प्रसन्न करना. यह मान्यता है कि मृत्यु के देवता यमराज इस समय जीव को मुक्त कर देते हैं ताकि वे अपने परिवार के पास जाकर तर्पण ग्रहण कर सकें. पितरों की आत्मा को शांति देने के लिए पितृपक्ष में श्राद्ध और तर्पण करना आवश्यक होता है.


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