बिहार कांग्रेस का एक और स्तंभ ढहा, सियासी तूफान में भी दीपक की लौ बनकर डटे रहे थे सदानंद बाबू
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बिहार कांग्रेस का एक और स्तंभ ढहा, सियासी तूफान में भी दीपक की लौ बनकर डटे रहे थे सदानंद बाबू

सदानंद सिंह पहली बार 1969 में विधायक बने थे, उसके बाद उन्होंने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा. बिहार में सियासत की हर बुलंदी उनके हिस्से आई. कहलगांव सीट से उन्होंने 12 बार चुनाव लड़ा, जिसमें वे 9 बार जीते. 

दीपक की लौ बन डटे रहे सदानंद सिंह. (फाइल फोटो)

Patna: इस समय बिहार कांग्रेस में सबसे बड़े नेता कौन हैं? इस सवाल के जवाब में सबसे पहला नाम अगर किसी का आता है तो वह सदानंद सिंह उर्फ सदानंद बाबू (Sadanand Singh) का ही है. इस समय बिहार कांग्रेस में फिलहाल सदानंद सिंह से बड़ा कोई चेहरा नहीं नजर आता है. ऐसे में हम कह सकते हैं कि कांग्रेस में सदानंद सिंह का निधन, बिहार कांग्रेस के सबसे बड़े नेता का निधन है.

दीपक की लौ बन डटे रहे सदानंद सिंह 
76 वर्षीय सदानंद सिंह ने पटना के अस्पताल में आखिरी सांस ली. सदानंद सिंह का लंबा राजनीतिक जीवन और पार्टी के प्रति उनकी निष्ठा ये बताती है कि दल-बदल के इस दौर में 50 साल से ज्यादा किसी एक विचार और एक पार्टी के प्रति समर्पण के मायने क्या हैं. वे बिहार कांग्रेस के सबसे वरिष्ठ नेता थे. पिछले कुछ सालों से कांग्रेस ने बिहार में बुरा से बुरा दौर देखा लेकिन सदानंद सिंह हमेशा हर सियासी तूफान के आगे भी किसी दीपक की लौ बनकर डटे रहे.

सदानंद सिंह के हिस्से आई सियासत की हर बुलंदी
बता दें कि सदानंद सिंह पहली बार 1969 में विधायक बने थे, उसके बाद उन्होंने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा. बिहार में सियासत की हर बुलंदी उनके हिस्से आई. कहलगांव सीट से उन्होंने 12 बार चुनाव लड़ा, जिसमें वे 9 बार जीते. 1985 में जब कांग्रेस ने उनका टिकट काट दिया तो वे निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर मैदान में उतरे और जीत हासिल की. 

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हमेशा पार्टी हित का रास्ता अख्तियार करते थे सदानंद 
कांग्रेस से टिकट नहीं मिलने के बावजूद उन्होंने पार्टी का दामन नहीं छोड़ा. वे 2000 से लेकर 2005 तक बिहार विधानसभा के स्पीकर भी रहे, कई बार बिहार सरकार में मंत्री रहे, जिसमें सिंचाई और ऊर्जा जैसा महत्वपूर्ण महकमा भी संभाला. वे बिहार कांग्रेस के अध्यक्ष दो-दो बार रहे. सदानंद सिंह बाहिर कांग्रेस की तरकश में उस तीर की तरह थे जिसे पार्टी कभी भी कहीं भी इस्तेमाल कर सकती थी. सदानंद सिंह की राजनीति बेलौस थी, बेबाक थी. वे किसी गुट में नहीं रहते थे और हमेशा पार्टी हित का रास्ता ही अख्तियार करते थे.

पक्ष-विपक्ष के कई दिग्गज नेताओं शोक प्रकट किया
सदानंद सिंह के निधन पर शोक की लहर दौड़ गई. सभी दल के नेताओं ने उनके निधन पर शोक जाहिर किया. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (Nitish Kumar), राज्य सरकार के मंत्री अशोक चौधरी, सम्राट चौधरी ने सदानंद सिंह के निधन पर शोक प्रकट किया. कांग्रेस नेता मदन मोहन झा ने उन्हें पिता तुल्य कहा तो विधान पार्षद प्रेमचंद मिश्रा ने उन्हें बिहार कांग्रेस का सबसे बड़ा नेता कहा. नेता विपक्ष तेजस्वी यादव (Tejashwi Yadav) ने भी सदानंद सिंह के निधन पर शोक जाहिर किया है.

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