पटना: बिहार में ठंड का असर दिखना शुरू हो गया है. वहीं पछुवा हवा ने कंपकंपी और बढ़ा दिया है. इसके साथ लोगों ने गर्म कपड़ों का इस्तेमाल भी शुरू कर दिया है. ठंड के इस मौसम में कई लोग ऐसे भी हैं जो अपने घर को छोड़कर काम की तलाश में बाहर निकलते हैं. दरअसल राजधानी पटना के कई इलाकों में सुबह मजदूरों का मेला लगता है. जहां हजारों की संख्या में मजदूर इकट्ठा होते हैं. दो-तीन घंटे तक वह किसी एक जगह पर जमा होते हैं और उसके बाद ज्यादातर मजदूर खाली हाथ घर को लौट जाते हैं.


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काम की तलाश में ये मजदूर शहर के प्रमुख चौराहे पर इकट्ठा होकर इंतजार करते हैं कि कोई आकार उन्हें अपने साथ ले जाए और काम दे. गांव से शहर की तरफ रोजगार की तलाश में आए मजदूरों को महीने में 10 से 12 दिन ही दिहाड़ी मजदूरी पर रोजगार मिल पाता है. प्रतिदिन 500 और 600 के हिसाब से लोग उन्हें काम करने के लिए ले जाते हैं. ठंड बढ़ने के साथ इन मजदूरों की समस्या बढ़ने लगी है.


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शहर में ज्यादा संख्या में रैन बसेरा ना होने की वजह से मजदूरों को फुटपाथ पर रात में सोना पड़ता है. वहीं अत्यधिक ठंड की वजह से आसपास के इलाकों से लकड़ी इकट्ठा कर यह सभी लोग आग के सहारे रात गुजारते हैं. मजदूरों ने सरकार से गुहार लगाई कि मनरेगा सहित कई तरह की सरकारी योजनाएं चलती है लेकिन इन दिनों बंद होने की वजह से उनके सामने बेरोजगारी की समस्या उत्पन्न हो गई है और यही वजह है कि ठंड में घर को छोड़कर राजधानी के फुटपाथ पर सोने को मजबूर हैं.


इनपुट- सन्नी


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