पुणे हादसे में बाल बाल बचे मजदूर का दर्द, कहा- 'बिहार में काम मिलता तो बाहर क्यों जाते'
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पुणे हादसे में बाल बाल बचे मजदूर का दर्द, कहा- 'बिहार में काम मिलता तो बाहर क्यों जाते'

 इसी हादसे में बाल-बाल बचे मजदूर रंजय सहनी ने बताया कि बिहार में काम नहीं मिलने की वजह से ही उन्हें बिहार से बाहर काम की तालाश में जाना पडता है. अगर बिहार में ही काम मिल जाता तो बाहर जाने की नौबत ही नहीं आती.

 

पुणे हादसे में बिहार के 15 मजदूरों की जान चली गई है.

पटना: पुणे हादसे में बिहार के 15 मजदूरों की जान चली गई. अपनी रोजी रोटी की जुगार में ये मजदूर पुणे गए थे. इसी हादसे में बाल-बाल बचे मजदूर रंजय सहनी ने बताया कि बिहार में काम नहीं मिलने की वजह से ही उन्हें बिहार से बाहर काम की तालाश में जाना पडता है. अगर बिहार में ही काम मिल जाता तो बाहर जाने की नौबत ही नहीं आती.

पुणे में दीवार गिरने के हादसे में मजदूर रंजय सहनी बाल-बाल बच गए. वैशाली जिले के रंजय अपने बडे भाई के साथ पुणे में बिल्डिंग कंस्ट्रकशन कंपनी में काम करते हैं. दीवार गिरने के हादसे में रंजय ने अपने भाई 34 वर्षीय लक्ष्मीकांत को खो दिया है. रंजय बताते हैं कि वो घटना में बाल बाल बच गए.

मजदूर रंजय ने कहा कि 2000 में ही काम की तालाश में वो मुंबई गया था. तभी ये वहीं काम कर रहा है. घर में दो भाई ही थे. जिनकी कमाई से पूरा परिवार चलता था. भाई रंजय की पत्नी और दो बच्चे भी हैं. रंजय का भाई ही उनके परिवार का मुखिया था. अपने भाई की देख-रेख में ही रंजय ने काम काज सीखा था. लेकिन आज वो भाई भी साथ छोड गया.

रंजय ने कहा है कि बिहार में अगर काम मिल जाता तो उन्हें बाहर जाने की जरुरत नहीं पड़ती. बिहार में हालात बदले हैं लेकिन दूसरे राज्यों जैसा यहां काम मिलना आसान नहीं है. दुबारा पुणा जाने के सवाल पर रंजय कहता है कि अभी सोचा नही है क्या करना है. शायद अब दुबारा वहां न जाऊं.

इधर वैशाली और सारण जिले के मजदूरों की शव को लेने के लिए दोनों जिले के लेबर डिपार्टमेंट के अफसर पटना एयरपोर्ट सुबह ही पहुंच गये थे. वैशाली जिले लेबर अफसर राजीव कुमार ने कहा कि सरकारी योजना के मुताबिक मृतक परिवार को श्रम संसाधन विभाग की ओर से एक लाख रुपये सीएम सहायता कोष से दो लाख रुपये दिये जा रहे हैं. 

इसके अलावा महाराष्ट्र सरकार भी पीडित परिवार को 4 लाख रुपये तक की मदद कर रही है. उनकी कोशिश है कि पीडित परिवार को कोई कष्ट न हो. लेकिन बिहार के मजदूरों को भी ये सोचना होगा कि बिहार में हालात बदल गये हैं अब उन्हें मजदूरी करने के लिए बाहर जाने की बजाय बिहार में ही संभावनाएं तलाशनी चाहिए.  

 आपको बता दें कि पुणे के कोंडवा क्षेत्र में शनिवार को एक इमारत की दीवार गिरने से 15 लोगों की मौत हो गई. बताया जा रहा है कि सभी 15 लोग बिहार के कटिहार और छपरा जिले के रहने वाले थे. इस हादसे के बाद महाराष्ट्र सरकार ने जांच के आदेश दिए हैं. साथ ही 5-5 लाख रुपये मुआवजे का ऐलान किया है. वहीं, बिहार के सीएम नीतीश कुमार ने हादसे पर शोक जताया और उन्होंने भी 2-2 लाख रुपये मुआवजे का ऐलान किया है.