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Lord Shri Krishna: श्रीकृष्ण का दिल आज भी धड़कता है जगन्नाथ मंदिर में, जानिए इसका रहस्य

Lord Shri Krishna: हिंदू धर्मग्रंथों के अनुसार, महाभारत के युद्ध के कुछ समय बाद भगवान श्रीकृष्ण भी अपने बैंकुठ धाम वापस लौट गए थे. धर्मग्रंथों के अनुसार, एक बहेलिया की तीर से श्रीकृष्ण भगवान अपने लोक वापस चले गए थेमान्यता है कि श्रीकृष्ण का दिल आज भी भगवान जगन्नाथ के मंदिर में है

भगवान का देहावसान

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भगवान का देहावसान

महाभारत के युद्ध के 36 साल बाद, श्रीकृष्ण एक पेड़ के नीचे योग समाधि में थे. तभी जरा नाम का एक शिकारी, जो एक हिरण का पीछा कर रहा था, वहाँ आ पहुँचा. जरा ने श्रीकृष्ण के हिलते हुए पैरों को हिरण समझ कर तीर चला दिया. जब वह उनके पास आया तो उसने उनसे माफी मांगी. श्रीकृष्ण ने उसे समझाया कि उनकी मृत्यु पहले से ही निश्चित थी.

पिछले जन्म से संबंध

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पिछले जन्म से संबंध

श्रीकृष्ण ने जरा से कहा त्रेता युग में लोग मुझे राम के नाम से जानते थे. राम ने सुग्रीव के बड़े भाई बाली का छिपकर वध किया था और उसी कर्म का फल मुझे इस जन्म में मिला है. दरअसल, जरा पिछले जन्म में बाली था. यह कहकर श्रीकृष्ण ने अपना शरीर त्याग दिया.

भगवान का हृदय बच गया

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भगवान का हृदय बच गया

जब अर्जुन द्वारका पहुंचे, तो उन्होंने देखा कि श्रीकृष्ण और बलराम दोनों का निधन हो चुका है. अर्जुन ने उनकी आत्मा की शांति के लिए उनका अंतिम संस्कार किया. कहा जाता है कि श्रीकृष्ण और बलराम का पूरा शरीर जलकर राख हो गया लेकिन श्रीकृष्ण का हृदय नहीं जला. 

कहां है भगवान कृष्ण का हृदय?

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कहां है भगवान कृष्ण का हृदय?

पांडवों के जाने के बाद, पूरी द्वारका नगरी समुद्र में डूब गई. भगवान कृष्ण का जलता हुआ हृदय भी सब कुछ के साथ पानी में बह गया. कहा जाता है कि द्वारका के ये अवशेष आज भी समुद्र के नीचे मौजूद हैं, और श्रीकृष्ण का हृदय अब लोहे के एक मुलायम पिंड में बदल चुका है.

राजा इंद्रद्युम्न को आया था सपना

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राजा इंद्रद्युम्न को आया था सपना

अवंतिकापुरी के राजा इंद्रद्युम्न भगवान विष्णु के भक्त थे और उनके दर्शन करना चाहते थे. एक रात उन्होंने सपना देखा कि भगवान विष्णु नीले माधव के रूप में प्रकट होंगे. राजा ने उन्हें खोजा, और मिलने पर भगवान जगन्नाथ मंदिर की स्थापना की.

राजा को मिला था लोहे का पिंड

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राजा को मिला था लोहे का पिंड

नदी में नहाते समय राजा इंद्रद्युम्न को लोहे का एक मुलायम पिंड मिला, जो पानी में तैर रहा था. उसे छूते ही उन्हें भगवान विष्णु की आवाज सुनाई दी. भगवान ने कहा, "यह मेरा हृदय है, जो लोहे के मुलायम पिंड के रूप में हमेशा धरती पर धड़कता रहेगा.

 

किसी को भी छूने की इजाजत नहीं

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किसी को भी छूने की इजाजत नहीं

राजा इंद्रद्युम्न ने उस पिंड को भगवान जगन्नाथ मंदिर में मूर्ति के पास रख दिया और किसी को उसे देखने या छुने नहीं दिया.

 

श्रीकृष्ण का दिल आज भी धड़कता है

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श्रीकृष्ण का दिल आज भी धड़कता है

मान्यता है कि श्रीकृष्ण का दिल आज भी भगवान जगन्नाथ के मंदिर में है और इसे किसी ने नहीं देखा नवकलेवर के समय मूर्तियों को बदलते समय पुजारी की आंखों पर भी पट्टी बांधी जाती है.