Bihar Mandar Parvat: बांका जिले में स्थित मंदार पर्वत जिक्र पौराणिक कथाओं में मिलता है. कहानी के अनुसार, देवताओं ने दैत्यों के साथ मिलकर इस पर्वत से समुद्र मंथन किया, जिससे अमृत समेत 14 रत्न निकले.
मंदार पर्वत को भगवान विष्णु का निवास स्थान माना जाता है. इस पर्वत का जिक्र हिंदू धर्म के ग्रंथों में है, जहां इसे समुद्र मंथन के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले पर्वत के रूप में पहचाना गया है. यहां के सांप के निशान और प्राचीन तालाब इस पौराणिक कथा का प्रमाण माने जाते हैं.
हर साल मकर संक्रांति के दिन भगवान विष्णु की प्रतिमा को बौंसी स्थित मंदिर से मंदार पर्वत तक की यात्रा कराई जाती है. यह परंपरा इस विश्वास पर आधारित है कि भगवान विष्णु ने मधुकैटभ राक्षस से वादा किया था कि वे हर साल इस दिन उसे दर्शन देने मंदार पर्वत आएंगे.
मंदार पर्वत पर स्थित पापहरणी तालाब को लेकर मान्यता है कि कर्नाटक के एक कुष्ठपीड़ित चोलवंशीय राजा ने मकर संक्रांति के दिन यहां स्नान किया और वह ठीक हो गए. इसी वजह से इसे 'पापहरणी' कहा जाता है, जबकि पहले इसे 'मनोहर कुंड' के नाम से जाना जाता था.
पौराणिक कथाओं के अनुसार, समुद्र मंथन के दौरान निकले कालकूट विष को भगवान शिव ने पिया और उसे अपने कंठ में रोक लिया, जिससे उनका कंठ नीला हो गया और वे नीलकंठ कहलाए. विष के प्रभाव को कम करने के लिए देवी-देवताओं ने उन्हें जल चढ़ाया.
मंदार पर्वत भगवान शिव का पहला निवास स्थान माना जाता है. इसे हिमालय से भी प्राचीन कहा जाता है. त्रिपुरासुर से बचने के लिए शिव यहां रहने आए थे, और अंततः देवी पार्वती के कहने पर उन्होंने त्रिपुरासुर का वध किया.
मंदार पर्वत के शिखर पर कई मंदिर हैं, जिनमें लक्ष्मी नारायण मंदिर और जैन धर्म के मंदिर शामिल हैं, जो पर्यटकों को आकर्षित करते हैं.