मनोज/पूर्णियाः पूर्णिया का बनमनखी चीनी मिल पर सियासत कोई नई बात नहीं है. पिछले तीन दशक से हर चुनाव में चीनी मिल के नाम पर जमकर सियासत हुई. 1970 से 1990 ईस्वी तक इस इलाके के समृद्धि की पहचान बनमनखी चीनी मिल के बंद होते ही लाखों किसानो से लेकर कामगार बेरोजगार हो गये. अब नए सिरे से चीनी मिल की जमीन पर कृषि से जुडा उद्योग लगाने की मांग उठने लगी है. 


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पूर्णिया के बनमनखी में 1970 ईस्वी में चीनी मिल चालू हुई थी. इस चीनी मिल के कारण पूर्णिया और कोसी प्रमंडल के लाखों किसान और कामगार खुशहाल थे. हजारों लोगों को चीनी मिल के कारण रोजगार मिला था लेकिन 1990 में घाटा की बात कहकर लालू यादव की सरकार ने चीनी मिल को सदा के लिये बंद कर दिया. अब तो हालत ये है कि चीनी मिल खंडहर में तब्दील हो गयी है.


मिल की कीमती मशीनें चोर ले जा रहे हैं. यहां की 119 एकड़ जमीन को सरकार ने बियाडा को सौंप दिया है. स्थानीय किसान नेता बिजेन्द्र यादव का कहना है कि अबतक चीनी मिल के नाम पर नेता वोट की राजनीति करते रहे हैं. उन्होंने मांग की कि इस इलाके में मकई, केला और आलू की उपज काफी होती है. सरकार अगर चीनी मील नहीं खोल सकती तो यहां की जमीन पर मकई या कृषि से जुडा कोई बडा उद्योग खोल दे. 


वहीं स्थानीय किसान सकुनदेव मंडल ने कहा कि इस ईलाके में चीनी मिल के बंद होने के बाद कोई बडा उद्योग नहीं है. इस लिये यहां कृषि से संबंधित उद्योग खोला जाय.


दो बार पूर्णिया के सांसद रहे और इसबार कांग्रेस के प्रत्याशी उदय सिंह ने चीनी मिल की इस दुर्दशा के लिए नीतीश सरकार को जिम्मेवार बताया. उन्होंने कहा कि उनकी सरकार बनी तो यहां बड़ा कृषि उद्योग खोला जायेगा.


पूर्णिया की राजनीती का केंद्र बिंदु रहा बनमनखी चीनी मिल की जमीन अब बियाडा को दे दी गयी है और लोगो में इस बात को लेकर उत्साह है कि जल्द बियाडा द्वारा इस जमीन पर कृषि आधारित उद्योग लगाए जाए ताकि इलाके के किसानो को फसल का सही मूल्य मिल सके. अब देखना यह है कि सरकार कब इस इलाके के किसानों का मांगे को पूरी करती है.