Bihar Politics: अगर हिंदीभाषी तीनों राज्यों में कमल खिलता है तो इसका सीधा असर बिहार की राजनीति पर भी देखने को मिल सकता है. दरअसल, पिछले कुछ महीनों से महागठबंधन सरकार में खींचतान देखने को मिल रही है. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की राजद कोटे के मंत्रियों के साथ तालमेल में अभाव देखने को मिल रहा है.
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Assembly elections result 2023 side effect: मध्य प्रदेश, राजस्थान, छत्तीसगढ़ और तेलंगाना में आज यानी रविवार (03 दिसंबर) को मतगणना जारी है. रुझानों में मध्यप्रदेश और राजस्थान में बीजेपी को बहुमत मिलता दिख रहा है. वहीं छत्तीसगढ़ में कांग्रेस की वापसी होती दिख रही है. तो तेलंगाना में पहली बार कांग्रेस की सरकार बनती दिख रही है. तेलंगाना में केसीआर और ओवैसी के गठबंधन पर कांग्रेस भारी दिख रही है. इन चुनावों को लोकसभा चुनाव 2024 का सेमीफाइनल कहा जा रहा है, लिहाजा इन परिणामों पर पूरे देश की नजरें टिकी हैं.
अगर हिंदीभाषी तीनों राज्यों में कमल खिलता है तो इसका सीधा असर बिहार की राजनीति पर भी देखने को मिल सकता है. दरअसल, पिछले कुछ महीनों से महागठबंधन सरकार में खींचतान देखने को मिल रही है. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की राजद कोटे के मंत्रियों के साथ तालमेल में अभाव देखने को मिल रहा है. राजद के सरकार बनाने के बावजूद मुख्यमंत्री लगातार अपनी जनसभाओं में लालू के जंगलराज की याद दिला रहे हैं. उधर नीतीश कुमार की ओर से बीजेपी पर डायरेक्ट हमला नहीं किया जा रहा है.
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जेडीयू नेताओं के बयानों में भी उतना तीखापन देखने को नहीं मिल रहा है. कहते हैं कि राजनीति में कोई ना तो स्थाई दोस्त होता है और ना स्थाई दुश्मन. नीतीश कुमार इस कहावत को पूरी तरह से सार्थक करते हैं. उन्हें जहां से भी अपना फायदा नजर आता है वो तुरंत उसकी तरफ खड़े हो जाते हैं. अब अगर हिंदी भाषी प्रदेशों में बीजेपी जीतती है तो इसका असर बिहार की राजनीति में पड़ना तय है. हो सकता है कि नीतीश कुमार एक बार फिर से बीजेपी के साथ खड़े दिखाई दें.
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बता दें कि बीजेपी से अलग होने के बाद नीतीश कुमार ने बिखरे विपक्ष को एकजुट किया था लेकिन बाद में उसे कांग्रेस पार्टी ने हाईजैक कर लिया. राजद अध्यक्ष लालू यादव पहले नीतीश कुमार को अगुवाकार बता रहे थे. बाद में वह भी कांग्रेस नेता राहुल गांधी का समर्थन करने लगे. उन्होंने तो राहुल से साफ कह दिया कि तुम बारात निकालो हम लोग बाराती बनने को तैयार हैं. कांग्रेस के कारण नीतीश कुमार को विपक्षी गठबंधन का संयोजक तक नहीं बनाया गया. इससे नीतीश कुमार को बड़ा झटका लगा था. इससे बाद नीतीश कुमार के फिर से एनडीए में वापसी की अटकलें तेज हो गई थीं.