मुजफ्फरपुर: Bihar Politics: बिहार के शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव केके पाठक इन दिनों काफी चर्चा में है. एक तरफ तो केके पाठक और शिक्षा मंत्री डॉ चंद्रशेखर के बीच विवाद की वजह से उनको खूब सुर्खियां मिली. वहीं दूसरी तरफ जिस तरह से वह पूरे प्रदेश भर के सरकारी शिक्षण संस्थानों का औचक निरीक्षण कर रहे हैं और लगातार वहां किसी ना किसी की वजह से शिक्षण संस्थानों के कर्मियों पर एक्शन लेते नजर आ रहे हैं उसकी वजह से भी उनको खूब चर्चा मिल रही है.  


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बता दें कि अब सरकारी स्कूलों के शिक्षक और प्रधानाचार्य भी उनके काम करने के तरीके पर सवाल खड़े कर रहे हैं. वहीं दूसरी तरफ बिहार में मीड डे मील के बोरे को बेचने का एक फरमान शिक्षा विभाग की तरफ से प्रधानाचार्यों के नाम जारी किया गया है इसको लेकर भी बिहार में सियासत तेज है और केके पाठक इस वजह से भी सुर्खियां बटोर रहे हैं. 


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इस सब के बीच बिहार के शिक्षा मंत्री की तरफ से कुछ शिक्षकों के साथ अपशब्दों के प्रयोग को लेकर सरकार की तरफ से इस पर विचार करने की बात कही गई तो वहीं दूसरी तरफ बिहार की सियासत में भी इस वजह से उबाल आ गया है. शिक्षा विभाग को लेकर ताबड़तोड़ एक्शन ले रहे केके पाठक को लेकर राजनीति शुरू हो गई है.जहां एक तरफ शिक्षा मंत्री डॉ चंद्रशेखर केके पाठक के इस रवैये से नाराज हैं, वहीं अब मुजफ्फरपुर के मीनापुर विधानसभा के राजद विधायक मुन्ना यादव ने केके पाठक की जमकर तारीफ की है. वह केके पाठक के काम करने और उनके एक्शन की सराहना कर रहे हैं और उनका समर्थन करते नजर आ रहे हैं. 


राजद विधायक मुन्ना यादव ने कहा कि केके पाठक ने स्कूलों की हालत सुधार दी है, ऐसे अधिकारी की आवश्यकता थी. उनके काम की प्रशंसा होनी चाहिए. पहले सरकारी स्कूलों की हालत क्या थी ये सब हमलोग देख चुके हैं. यूनिवर्सिटी में सत्र लेट हैं तो वीसी का वेतन रोका गया, ऐसे में अब सब सुधर जाएंगे. वहीं शिक्षा मंत्री को लेकर उन्होंने कहा कि उन्हें सामंजस्य बनाकर चलना चाहिए, जितनी तारीफ केके पाठक की हो रही है, उतनी उनकी भी होती. मतलब साफ है कि केके पाठक के मामले में पार्टी के नेता ही डॉ चंद्रशेखर के साथ खड़े नजर नहीं आ रहे हैं. 
रिपोर्ट - मणितोष कुमार