हाजीपुर लोकसभा सीट को लेकर पेंच फंसता नजर आ रहा है. एक तरफ खबर आ रही है कि चिराग पासवान भी हाजीपुर सीट पर अपना दांवा ठोक रहे हैं तो वहीं दूसरी तरफ पशुपति पारस भी इस सीट को छोड़ने के लिए तैयार नहीं हैं.
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Chirag Paswan Vs Pashupati Paras: एनडीए की बैठक से एक दिन पहले लोजपा (रामविलास) सुप्रीमो चिराग पासवान भी बीजेपी के साथ आ गए हैं. उन्होंने सोमवार (17 जुलाई) को दिल्ली में केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह और बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा से मुलाकात की. जेपी नड्डा ने चिराग की एनडीए में शामिल होने का ऐलान किया. चिराग की एनडीए में भले ही वापसी हो गई हो, लेकिन उनकी चाचा पशुपति पारस के साथ तल्खी बरकरार है. चिराग और पशुपति दोनों हाजीपुर लोकसभा सीट को लेकर आमने-सामने हैं. अब दोनों के बीच सुलह कराना, बीजेपी के लिए बड़ी चुनौती है.
हाजीपुर लोकसभा सीट को लेकर पेंच फंसता नजर आ रहा है. एक तरफ खबर आ रही है कि चिराग पासवान भी हाजीपुर सीट पर अपना दांवा ठोक रहे हैं तो वहीं दूसरी तरफ पशुपति पारस भी इस सीट को छोड़ने के लिए तैयार नहीं हैं. पशुपति पारस ने साफ कहा है कि उनके बड़े भाई और दिवंगत नेता रामविलास ने उन्हें हाजीपुर की विरासत सौंपी थी. उन्होंने कहा कि रामविलास पासवान जब जीवित थे तो उन्होंने पहले चिराग को हाजीपुर से चुनाव लड़ने के लिए कहा था, लेकिन चिराग ने इंकार कर दिया था. इसके बाद उन्होंने मुझे इस सीट से चुनाव लड़ने का आदेश दिया, जिसके बाद में चुनाव लड़ा और जीतकर केंद्र में मंत्री भी बना.
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उधर चिराग पासवान कहते हैं कि हाजीपुर लोकसभा सीट उनके पिता का गढ़ रही है. इसलिए इस सीट को वो किसी भी कीमत नहीं छोड़ सकते. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, हाजीपुर से चिराग अपनी मां को चुनाव लड़वाना चाहते हैं. चाचा-भतीजे के इस झगड़े से बीजेपी काफी परेशान है. वो चाहती है कि किसी की तरह से दोनों एक साथ आ जाएं. चिराग के साथ बीजेपी की क्या डील हुई है, ये भी अभी क्लियर नहीं है. उधर दूसरी ओर जैसे ही चिराग की एनडीए में वापसी की घोषणा हुई, पशुपति पारस गुट की सांसद वीणा देवी चिराग से मिलने पहुंच गईं. अब इस मुलाकात को लेकर भी तरह-तरह के कयास लगाए जा रहे हैं.