Lok Sabha Election 2024: जहां जो मजबूत, वहीं ड्राइविंग सीट पर बैठेगा, क्या INDI Alliance में सीट शेयरिंग पर RJD के फार्मूले को मानेगी कांग्रेस?
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Lok Sabha Election 2024: जहां जो मजबूत, वहीं ड्राइविंग सीट पर बैठेगा, क्या INDI Alliance में सीट शेयरिंग पर RJD के फार्मूले को मानेगी कांग्रेस?

Lok Sabha Election 2024: राजद प्रवक्ता शक्ति यादव ने कहा कि कांग्रेस देश की बड़ी पार्टी है और जिन राज्यों वह मजबूत स्थिति में है, वहां वही गठबंधन को लीड करेगी. अन्य राज्यों में वह सबके साथ मिलकर चलेगी. 

लालू यादव

Lok Sabha Election 2024: विपक्षी गठबंधन 'इंडियन नेशनल डेवलपमेंटल इन्क्लूसिव अलायंस' (I.N.D.I.A.) में शामिल दलों के प्रमुख नेताओं की आज (19 दिसंबर) को दिल्ली में बैठक है. इस बैठक में अगले लोकसभा चुनाव के लिए सीट के बंटवारे, साझा जनसभाओं और नए सिरे से रणनीति बनाने समेत कई मुद्दों पर चर्चा हो सकती है. बैठक से पहले लालू यादव की पार्टी राजद ने सीट शेयरिंग को लेकर बड़ा बयान दिया है. I.N.D.I.A. में सीट शेयरिंग को लेकर राजद प्रवक्ता शक्ति यादव ने कहा कि जिस राज्य में जो पार्टी मजबूत है, वहां वही ड्राइविंग सीट पर बैठेगी. 

शक्ति यादव ने दावा किया कि इस बैठक के बाद सीट शेयरिंग का मुद्दा सुलझा लिया जाएगा. उन्होंने कहा कि जिन राज्यों में क्षेत्रीय पार्टियां मजबूत हैं, वहां वही नेतृत्व करेंगी और सभी को साथ लेकर चलेंगी. उन्होंने कहा कि कांग्रेस देश की बड़ी पार्टी है और जिन राज्यों वह मजबूत स्थिति में है, वहां वही गठबंधन को लीड करेगी. अन्य राज्यों में वह सबके साथ मिलकर चलेगी. उन्होंने कहा कि लोकसभा चुनाव में गठबंधन के नेताओं के साझा कार्यक्रम होंगे और रैलियां होंगी. राजद प्रवक्ता ने कहा कि हर पार्टी को एहसास है कि सीट से ज्यादा देश महत्वपूर्ण है, लोकतंत्र महत्वपूर्ण है. 

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राजद प्रवक्ता ने जो फार्मूला दिया, कांग्रेस शायद ही इस पर सहमत हो. अगर ये फार्मूला लागू होता है तो बिहार में ड्राइविंग सीट पर राजद और जदयू बैठेंगी. यूपी में समाजवादी पार्टी पूरे गठबंधन को लीड करेगी. पश्चिम बंगाल में टीएमसी और लेफ्ट का बोलबाला देखने को मिलेगा. इसी तरह से दिल्ली और पंजाब में आम आदमी पार्टी ही बड़े भाई की भूमिका निभाएगी और महाराष्ट्र में उद्धव गुट और पवार गुट की मर्जी चलेगी. इसी तरह से दक्षिण भारत के तमिलनाडु में डीएमके ही सीटें शेयरिंग पर फैसला करेगी. इस तरह से अधिकांश राज्यों में कांग्रेस की भूमिका छोटे भाई की हो जाएगी. ऐसी स्थिति में उसकी तवज्जो काफी कम हो सकती. 

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