रांची: झारखंड विधानसभा के मॉनसून सत्र के अंतिम दिन शुक्रवार को भाजपा विधायकों ने स्पीकर रबींद्रनाथ महतो के खिलाफ मोर्चा खोल दिया. भाजपा विधायकों ने स्पीकर रबींद्रनाथ महतो पर पक्षपातपूर्ण तरीके से काम करने और संवैधानिक दायित्वों का निर्वहन करने में विफल रहने का आरोप लगाया. साथ ही विधायकों ने इस संबंध में विधानसभा के प्रभारी सचिव को पत्र लिखते हुए झारखंड विधानसभा की प्रक्रिया एवं कार्य संचालन के नियम 158 (1) के तहत स्पीकर को उनके पद से हटाने के लिए संकल्प की सूचना दी है. 


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स्पीकर ने गुरुवार को भाजपा के 18 विधायकों को अमर्यादित और असंसदीय आचरण के लिए सदन से शुक्रवार दोपहर दो बजे तक के लिए सस्पेंड कर दिया था. सस्पेंशन की अवधि खत्म होने के बाद सत्र की दूसरी पाली में भाजपा के विधायक सदन में पहुंचे. 



नेता प्रतिपक्ष अमर कुमार बाउरी ने स्पीकर से कहा कि भाजपा विधायकों ने युवाओं को नौकरी और अनुबंध कर्मियों के स्थायीकरण को लेकर आवाज उठाई और सीएम से जवाब देने की मांग की तो आपने उन्हें निलंबित कर दिया. ऐसा सदन में पहली बार हुआ है। जब तक सीएम सदन में आकर जवाब नहीं देते, उनका विरोध जारी रहेगा. 


इसके बाद भाजपा विधायकों ने वेल में पहुंचकर नारेबाजी और थोड़ी देर बाद सदन से बाहर चले गए.
अब भाजपा विधायकों ने स्पीकर को हटाने के जिस संकल्प की सूचना विधानसभा के प्रभारी सचिव को दी है, उसमें कहा गया है कि उन्होंने (स्पीकर) अपने पद का विवेकपूर्ण उपयोग नहीं किया और हेमंत सरकार के इशारे पर भाजपा के 18 विधायकों को निलंबित कर दिया.


विधायकों ने आरोप लगाया कि स्पीकर ने सरकार के इशारे पर झामुमो विधायक सुदिव्य कुमार की ओर से दिए गए निलंबन प्रस्ताव पर यह कार्रवाई की, जबकि अमूमन इस प्रकार का प्रस्ताव संसदीय कार्य मंत्री सदन में लाते हैं और उसके पूर्व कार्य मंत्रणा समिति की बैठक होती है, लेकिन कोई बैठक नहीं हुई. 


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पत्र में भाजपा विधायकों ने लिखा है कि स्पीकर ने अपनी भूमिका से ज्यादा झामुमो के कार्यकर्ता के रूप में कार्य किया. 2024 में संपन्न हुए लोकसभा चुनाव में उन्होंने दुमका से झामुमो प्रत्याशी नलिन सोरेन जी के पक्ष में झामुमो का झंडा लगाकर चुनाव प्रचार किया, यह इसका प्रमाण है.


पत्र में आरोप लगाया गया है कि स्पीकर ने लगभग चार वर्ष तक भाजपा विधायक दल के नेता बाबूलाल मरांडी सहित कई भाजपा विधायकों को पूर्वाग्रह से ग्रसित रहकर सदन के अंदर बोलने तक नहीं दिया और पूरे सत्र के दौरान कई विधायकों के ध्यानाकर्षण की सूचना एक बार भी ग्रहण नहीं की. उन्होंने लगातार केंद्र सरकार की आलोचना की, यहां तक कि भाजपा के गोड्डा के सांसद के व्यक्तिगत बयान की भी सदन में चर्चा कर झामुमो और कांग्रेस के विधायकों को उकसाने का काम किया.



पत्र में आगे कहा गया है कि नेता प्रतिपक्ष ने युवाओं को पांच लाख नौकरी और अनुबंध कर्मियों को स्थायी करने के हेमंत सरकार के वादों पर सीएम से जवाब दिलवाने की मांग की तो स्पीकर ने नेता प्रतिपक्ष के साथ दुर्व्यवहार किया, जिसे विधानसभा के सीसीटीवी फुटेज में देखा जा सकता है. इन बातों से स्पष्ट है कि स्पीकर अपने पद और झारखंड विधानसभा के संवैधानिक दायित्व का निर्वहन करने में असफल रहे हैं.