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पटना: Lok Sabha Election 2024: लालू यादव पूर्णतः स्वस्थ नहीं है लेकिन फिर भी वह पटना आए हैं और यहां उनका लंबा प्रवास नहीं है क्योंकि इसके बाद उनको वापस दिल्ली जाना है जहां से उन्हें सिंगापुर के लिए रवाना होना है. सात महीने से ज्यादा समय से बिहार से बाहर रह रहे लालू यादव के अचानक पटना वापसी ने सभी राजनीतिक दलों को चौकन्ना कर दिया है. लालू के बारे में सबको पता है कि वह कई बार सरकार बनाने में किंग मेकर की भूमिका निभा चुके हैं और अभी के हालात में विपक्षी एकता को साधने में लालू से ज्यादा मुफीद चेहरा और कोई नहीं हो सकता है. ट
वहीं आपको बता दें की नीतीश कुमार लगातार विपक्षी दलों को एक मंच पर लाने के अपने प्रयास में जुटे हुए हैं. वह बाहर से अपने आप को विपक्ष के पीएम के चेहरे से अलग रखने की बात तो खूब कर रहे हैं लेकिन राजनीतिक जानकारों का कहना है कि उनके मन में तो लड्डू फूट ही रहा है. यही वजह रही कि लालू के पटना पहुंचते ही आनन-फानन में नीतीश कुमार उनसे मिलने राबड़ी आवास पहुंच गए. ऐसे में राजनीतिक पंडित यह कयास लगाने लगे हैं कि नीतीश को दिल्ली भेजने और बेटे तेजस्वी को बिहार की गद्दी थमाने के ख्याल से ही लालू पटना आए हैं.
राजद पहले से ही नीतीश को विपक्ष का पीएम फेस बनाने की जुगत में लगी हुई है. क्योंकि राजद के नेताओं को पता है कि जबतक नीतश बिहार की सत्ता को छोड़कर जाएंगे नहीं तेजस्वी की ताजपोशी यहां संभव नहीं है. अब तो राजद के नेता तक कहने लगे हैं कि बिहार के लोग बिहारी पीएम देखना चाहते हैं. राजद के नेताओं के कहने के साफ सियासी मायने लोगों को भी समझ में आने लगे हैं.
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इधर नीतीश मन ही मन सोच रहे हैं कि उनके नाम की घोषणा उनकी पार्टी या उनके गठबंधन सहयोगी दलों की तरफ से पीएम फेस के लिए होगी तो अच्छा नहीं रहेगा ऐसे में अन्य विपक्षी दलों के द्वारा नाम आए तो बात बने. ऐसे में लालू से ज्यादा बेहतर इस काम को कौन अंजाम दिला सकता है.
नीतीश दिल्ली भी जाते हैं तो पहले लालू से मिलते हैं. वह लालू के साथ सोनिया से भी मिल चुके हैं. केसीआर से भी नीतीश मिल चुके हैं, राहुल गांधी, मल्लिकार्जुन खड़गे, डी राजा, अरविंद केजरीवाल, ममता बनर्जी, सीताराम येचुरी, अखिलेश यादव जैसे तमाम नेताओं से उनकी मीटिंग हो गई है. अब बारी हेमंत सोरेन सहित दक्षिण के अन्य नेताओं से मिलने की है. नीतीश के पास गठबंधन में सरकार चलाने का लंबा अनुभव है ऐसे में उनकी स्वीकार्यता भी विपक्षी दलों में बढ़ी है.
वहीं लालू यादव का भी पटना आगमन केवल यहां घूमने आने के उद्देश्य से तो नहीं हुआ है. लालू को पता है कि नीतीश के सहारे ही वह बिहार की सत्ता पर बेटे तेजस्वी को फिट कर सकते हैं. ऐसे में वह विपक्षी नेताओं को नीतीश के नाम पर राजी करना चाहते हैं. अगर यह दाव फिट बैठ गया तो नीतीश की मजबूरी होगी कि वह तेजस्वी को बिहार के सीएम की कुर्सी सौंप दें. अगर लालू विपक्ष को नीतीश के नाम पर तैयार कर लेते हैं तो नीतीश उनके एहसान के तले दबाव महसूस करेंगे और उन्हें तेजस्वी के पक्ष में फैसला लेना होगा.