इधर नीतीश कुमार विपक्षी एकता की गोटियां सेट कर रहे, उधर राजद से आ गई एक बड़ी डिमांड, क्या बन पाएगी सहमति
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इधर नीतीश कुमार विपक्षी एकता की गोटियां सेट कर रहे, उधर राजद से आ गई एक बड़ी डिमांड, क्या बन पाएगी सहमति

राजद नेत्री कांति सिंह ने डिमांड कर दी है कि पंचायत चुनाव की तर्ज पर लोकसभा चुनाव में भी आधी सीटों पर महिला उम्मीदवार खड़े किए जाएं. 

राजद

Lok Sabha Election 2024: लोकसभा चुनाव को लेकर सभी दल अब तैयारियों में जुट गए हैं. विपक्षी गठबंधन को आकार में देने में सीएम नीतीश कुमार और तेजस्वी यादव लगे हुए हैं. कोलकाता से लेकर मुंबई तक सभी दलों को एक मंच पर लाने के लिए कवायद चल रही है. माना जा रहा है कि कर्नाटक विधानसभा चुनाव परिणाम आने के बाद पटना में विपक्षी दल एक मंच पर नजर आएंगे. इसके लिए निमंत्रण भिजवाए जाने लगे हैं. इस बीच राजद से एक बड़ी डिमांड सामने आ गई है, जिससे महागठबंधन में महाभारत हो सकता है. राजद नेत्री कांति सिंह ने डिमांड कर दी है कि पंचायत चुनाव की तर्ज पर लोकसभा चुनाव में भी आधी सीटों पर महिला उम्मीदवार खड़े किए जाएं. 

कांति सिंह का कहना है कि बिहार में 40 लोकसभा सीटों में से 20 पर आधी आबादी को मौका दिया जाना चाहिए. माना जा रहा है कि कांति सिंह की मांग को लेकर महागठबंधन में रार हो सकता है. ऐसे समय में जब विपक्षी दलों को एक मंच पर लाने की कवायद चल रही है, पटना में बड़ी बैठक की तैयारी चल रही है तो ऐसे में कांति सिंह की इस मांग से सीटों के बंटवारे में रार मच सकती है. कांति सिंह का बयान महागठबंधन के नेताओं की टेंशन बढ़ाने के लिए काफी है. 

कांति सिंह ने अपनी बात के समर्थन में कहा है कि 2015 में जितनी महिलाओं को मैदान में उतारा गया, सभी जीतकर विधानसभा पहुंची थीं. हालांकि 2020 में यह संख्या कम हो गई थी. उन्होंने कहा कि महिलाएं सजग हैं और जल्द ही कमियों को पूरा कर लेंगी. उन्होंने कहा कि बिहार में पंचायती राज में महिलाओं को 33 प्रतिशत से बढ़ाकर 50 फीसद आरक्षण मिल गया है. यदि महिलाओं को वाकई सम्मान देना है तो लोकसभा चुनाव में भी 50 प्रतिशत सीटों पर महिला उम्मीदवारों को उतारना चाहिए. 

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कांति सिंह राजद की वरिष्ठ नेता हैं वह 11वीं, 13वीं और 14वीं लोकसभा में चुनाव जीतकर संसद पहुंच चुकी हैं और यूपीए सरकार में कई मंत्रालयों का जिम्मा भी संभाल चुकी हैं. राजद में भी वह कई महत्वपूर्ण जिम्मेदारियां संभाल चुकी हैं और उनकी मांग को हल्के में नहीं लिया जा सकता.

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