Bihar Politics: बिहार की माटी है अभिनेता कब अपना किरदार बदलकर नेता बन जाएं कहा नहीं जा सकता. बिहार ने बॉलीवुड के प्रयोगकर्मी अभिनेताओं की बड़ी पौध तैयार की है. एक से एक बढ़कर नाम पंकज त्रिपाठी, संजय मिश्रा से लेकर मनोज बाजपेयी जैसे.
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बेतिया: Bihar Politics: बिहार की माटी है अभिनेता कब अपना किरदार बदलकर नेता बन जाएं कहा नहीं जा सकता. बिहार ने बॉलीवुड के प्रयोगकर्मी अभिनेताओं की बड़ी पौध तैयार की है. एक से एक बढ़कर नाम पंकज त्रिपाठी, संजय मिश्रा से लेकर मनोज बाजपेयी जैसे. ऐसे में बिहार के पश्चिम चंपारण जिले के एक छोटे से गांव बेलवा बहुअरी में जन्मे मनोज बाजपेयी की शिक्षा दीक्षा इसी प्रदेश में हुई. फिर मनोज आगे की पढ़ाई के लिए दिल्ली पहुंचे और फिर तमाम कोशिशों के बावजूद भी NSD में प्रवेश परीक्षा में सफलता हासिल नहीं कर पाए. लेकिन, इंसान के अंदर का अभिनेता कहां मरता है. उन्होंने थियेटर को अपना सहारा बनाया और फिर छोटे पर्दे से होते हुए वह 70mm के पर्दे पर ऐसे छाये की आज भी पूरा बॉलीवुड उनके अभिनय का लोहा मानता है.
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मनोज बाजपेयी अभिनेता कमाल के हैं इसमें दो राय नहीं लेकिन वह नेता कैसे होंगे इसको लेकर तमाम तरह के सवाल बिहार की फिजाओं में गूंजने लगे हैं. दरअसल मनोज बाजपेयी को लेकर चर्चा यह है कि वह जल्द ही सक्रिय राजनीति में प्रवेश पाने वाले हैं. इसका प्रवेश द्वारा राजद बना है. वह बिहार की यात्रा पर होते हैं तो उनकी मुलाकात राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव से जरूर होती है. बिहार की सियासत में इसके बाद से ही इस तरह के कयास लगाए जाने शुरू हो गए हैं.
अभी भी मनोज बाजपेयी चंपारण में हैं. वह बेतिया में एक स्कूल पहुंचे तो वहां भोजपुरी भाषा और एकदम ठेठ अंदाज में छात्रों से संवाद किया. वह बिहार की धरती पर 25 दिसबंर को ही मायानगरी से आकर कदम रख चुके थे. वह तीन दिनों तक गांव के खेत-खलिहान, नदी, पहाड़ और जंगलों का रास्ता नाप रहे थे और फिर अचानक छात्रों के बीच पहुंच गए. वह लग्जरी गाड़ी की सवारी छोड़ ट्रैक्टर पर सवार होकर अपने बेटी के साथ गांव का भ्रमण करने में लगे हुए हैं.
हालांकि यहां स्कूल में बच्चों के बीच उन्होंने साफ कह दिया कि वह जिस क्षेत्र में हैं वहां बेहद खुश हैं और राजनीति में आने के बारे में ना तो पहले सोचते थे और ना ही अभी उनकी मंशा ऐसी है. हालांकि उनकी मुलाकात हाल के दिनों में राजद सुप्रीमो लालू यादव से हुई और यह चर्चा का विषय बन गया.
कयास लगाए जाने लगे कि वह 2024 का लोकसभा चुनाव लालू यादव की पार्टी राजद के टिकट पर लड़ सकते हैं. उन्हें पार्टी पश्चिमी चंपारण से अपना उम्मीदवार बना सकती है. हालांकि मनोज बाजपेयी के राजनीति में राजद की तरफ से आने की चर्चा कोई आज की नहीं है जून में भी इसी साल वह लालू प्रसाद यादव से मिले थे और इस चर्चा को हवा तब ही मिल गई थी. तब भी बाजपेयी ने साफ किया था कि उनका चुनाव लड़ने का कोई इरादा नहीं है. लेकिन, सोशल मीडिया पर बाजपेयी को लेकर कहा जाने लगा है कि वह एक सामाजिक कार्यकर्ता बनने की कोशिश कर रहे हैं क्योंकि चुनाव नजदीक है और लालू जी की पार्टी से टिकट का वादा मिला है. हालांकि सोशल मीडिया पर किए गए ऐसे सवालों का मनोज बाजपेयी ने बड़ा झन्नाटेदार जवाब भी दिया. फिर भी राजनीति का मंच जब सजता है तो पता भी नहीं चलता कि माला कब किसके गले में पड़ जाए और हाथ ऊपर उठकर प्रणाम की मुद्रा में आ जाए. यह तो वक्त ही बताएगा कि बाजपेयी को लेकर फैली इस खबर में कितनी सच्चाई है लेकिन वह तो अभी तक इससे इंकार ही करते रहे हैं.