नीतीश कुमार ने नदियों को जोड़ने की योजना को हरी झंडी दे दी है. इसी साल आखिरी तक नदियों को जोड़ने का लक्ष्य रखा गया है.
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Bihar Politics: बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने इन दिनों पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी का सपना पूरा करने की जिम्मेदारी उठाई है. अटल बिहारी ने जो सपना वर्षों पहले देखा था, नीतीश कुमार उसे आज पूरा करने में जुटे हैं. दरअसल, वाजपेयी ने प्रधानमंत्री रहते एक सपना देखा था कि उनके शासनकाल में देश की नदियां आपस में जुड़ जाएं. इसका उद्देश्य था सूखे और बाढ़ की समस्या से निजात दिलाना. हालांकि उनका ये सपना अधूरा रह गया. यूपीए शासनकाल में भी इस पर ध्यान नहीं दिया गया. केंद्र में भले ही बीजेपी की सरकार हो, लेकिन अटल बिहारी के सपने को नीतीश कुमार पूरा करने जा रहे हैं.
बिहार में बागमती-बूढ़ी गंडक और गंडक-छाड़ी-गंगा नदी जोड़ने के काम को हरी झंडी मिल चुकी है. ये काम अगले साल 2023 में पूरा हो जाएगा. नीतीश कुमार की अध्यक्षता में मंगलवार को हुई कैबिनेट की बैठक में ये फैसला लिया गया. दोनों नदी जोड़ योजनाओं को पूरा होने का सीधा फायदा 5 जिला के लोगों को होगा. इनमें शिवहर सीतामढ़ी, पूर्वी चंपारण और मुजफ्फरपुर जिला शामिल हैं. इन नदी जोड़ योजनाओं के पूरा होने से सिंचाई सुविधाओं का विकास होगा. इससे बाढ़ से क्षतिग्रस्त होने वाले इलाकों का बचाव हो सकेगा.
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जल संसाधन विभाग ने दोनों योजनाओं की धीमी गति की रिपोर्ट के बाद तेजी से काम करवाने का अधिकारियों और इंजीनियरों को निर्देश दिया है. बागमती और बूढ़ी गंडक नदी जोड़ो योजना के तहत बेलवा- मीनापुर लिंक चैनल के निर्माण के लिए 131 करोड़ रुपये स्वीकृत किए गए हैं. इसी तरह नीतीश कुमार कैबिनेट ने गंडक- अकाली नाला -गंडकी-माही-गंगी नदी जोड़ो योजना के लिए 70 करोड़ का फंड स्वीकृत किया है. इससे बाढ़ से निजात मिल सकती है. इसके अलावा सिंधवारिणी जलाशय योजना और इसके नहरों के लिए 125.82 करोड़ की योजना स्वीकृत की गई. इससे मुंगेर में 1660 एकड़ में सिंचाई की सुविधा मिलेगी.
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वहीं केंद्र सरकार भी अब नदी जोड़ो परियोजना पर आगे बढ़ रही है. केंद्रीय जल शक्ति मंत्री गजेन्द्र सिंह शेखावत ने लोकसभा में एक प्रश्न के उत्तर में बताया था कि राष्ट्रीय जल विकास एजेंसी ने प्रायद्वीपीय नदियों के 16 लिंक और हिमालयी नदियों के 14 लिंक को चिन्हित किया है. उन्होंने बताया कि सभी लिंकों की पूर्व व्यवहार्यता रिपोर्ट पूरी कर ली गई है. उन्होंने बताया कि भारत सरकार ने 39,317 करोड़ रूपये की केंद्रीय सहायता के साथ 44,605 करोड़ रूपये की अनुमानित लागत वाली केन-बेतवा परियोजना के कार्यान्वयन को मंजूरी प्रदान कर दी है. उन्होंने कहा कि जल की उपलब्धता में क्षेत्रीय असंतुलन को कम करने के लिये नदियों को जोड़ने की परिकल्पना की गई है.