आरक्षण केस में क्यों आया पटना हाईकोर्ट का ऐसा फैसला, याचिकाकर्ता के वकील ने बताया
Advertisement
trendingNow0/india/bihar-jharkhand/bihar2300934

आरक्षण केस में क्यों आया पटना हाईकोर्ट का ऐसा फैसला, याचिकाकर्ता के वकील ने बताया

Patna High Court: दीन बाबू ने बताया कि जातीय जनगणना के बाद आरक्षण को 50 प्रतिशत से बढ़ाकर 65 प्रतिशत कर दिया गया, जबकि सामान्य श्रेणी के लोगों पर केंद्र सरकार ने पहले ही 10 प्रतिशत का आरक्षण लागू किया है. इसके चलते राज्य में आरक्षण का दायरा 75 प्रतिशत हो गया, जबकि बचे हुए 25 प्रतिशत में सभी वर्ग के लोग सरकारी नौकरी के लिए आवेदन कर सकते हैं जो कि न्यायसंगत नहीं है.

पटना हाईकोर्ट (File Photo)

Patna High Court: पटना हाई कोर्ट से बिहार सरकार को बड़ा झटका लगा है. हाईकोर्ट ने बिहार में सरकारी नौकरी और शैक्षणिक संस्थानों के दाखिले में जातीय आधारित आरक्षण को बढ़ाने वाले कानून को रद्द कर दिया. याचिकाकर्ता के वकील ने बताया कि इसे क्यों रद्द किया गया.

याचिकाकर्ता के वकील दीन बाबू ने बताया कि पटना हाईकोर्ट ने आरक्षण का दायरा 50 प्रतिशत से 65 प्रतिशत बढ़ाने का फैसला रद्द कर दिया है. अदालत ने कहा कि जनसंख्या के आधार पर आरक्षण का दायरा नहीं बढ़ाया जा सकता. ऐसा करना संविधान के आर्टिकल 14 का उल्लंघन होगा.

दीन बाबू ने बताया कि जातीय जनगणना के बाद आरक्षण को 50 प्रतिशत से बढ़ाकर 65 प्रतिशत कर दिया गया, जबकि सामान्य श्रेणी के लोगों पर केंद्र सरकार ने पहले ही 10 प्रतिशत का आरक्षण लागू किया है. इसके चलते राज्य में आरक्षण का दायरा 75 प्रतिशत हो गया, जबकि बचे हुए 25 प्रतिशत में सभी वर्ग के लोग सरकारी नौकरी के लिए आवेदन कर सकते हैं जो कि न्यायसंगत नहीं है.

यह भी पढ़ें: Bihar Reservation: पटना हाई कोर्ट से नीतीश सरकार को झटका, सरकारी नौकरियों में 65 फीसदी आरक्षण रद्द

बता दें कि नीतीश कुमार की सरकार ने जातीय जनगणना के बाद बिहार आरक्षण एक्ट 1991 के सेक्शन 4 में संशोधन कर आरक्षण का दायरा 50 प्रतिशत से बढ़ाकर 65 प्रतिशत कर दिया था. जातीय जनगणना के बाद अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और पिछड़ों की जनसंख्या लगभग 75 प्रतिशत अनुमानित की गई थी. इसके बाद बिहार सरकार ने आरक्षण का दायरा बढ़ाने का फैसला किया था, जिसे अब हाई कोर्ट ने असंवैधानिक करार दिया है.

इनपुट: आईएएनए

Trending news