कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और कल्कि पीठाधीश्वर आचार्य प्रमोद कृष्णम का कहना है, आप कहते हैं दिल्ली और पंजाब छोड़ दो. अखिलेश यादव कह रहे हैं यूपी छोड़ दो. ममता का कहना है बंगाल छोड़ दो. केसीआर चाह रहे तेलंगाना छोड़ दो.
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Bihar Politcs: बाबूजी ने कहा- गांव छोड़ दो, सबने कहा- पारो को छोड़ दो, पारो ने कहा- शराब छोड़ दो. आज तुमने कह दिया- हवेली छोड़ दो. एक दिन आएगा जब वो कहेगा, दुनिया ही छोड़ दो. देवदास फिल्म का यह ऐतिहासिक डाॅयलाॅग आज कांग्रेस पार्टी पर बिल्कुल सटीक बैठ रहा है. आए दिन कांग्रेस को इस तरह की नसीहतें या फिर धमकियां मिल रही हैं. पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री बोल रही हैं- बंगाल छोड़ दो अगर मुझसे गठबंधन करना है तो. अखिलेश यादव कह रहे हैं- यूपी में हम 80 में से 80 लड़ेंगे और जीतेंगे, कांग्रेस अन्य राज्यों की ओर देखे. आम आदमी पार्टी का कहना है- पंजाब और दिल्ली छोड़ दो तो हम गुजरात और मध्य प्रदेश छोड़ देंगे. सब तरफ से कांग्रेस को यही नसीहतें मिल रही हैं.
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और कल्कि पीठाधीश्वर आचार्य प्रमोद कृष्णम का कहना है, आप कहते हैं दिल्ली और पंजाब छोड़ दो. अखिलेश यादव कह रहे हैं यूपी छोड़ दो. ममता का कहना है बंगाल छोड़ दो. केसीआर चाह रहे तेलंगाना छोड़ दो. जगनमोहन चाह रहे आंध्र छोड़ दो. स्टालिन चाह रहे तमिलनाडु छोड़ दो. किसी दिन पवार भी बोल देंगे महाराष्ट्र छोड़ दो. ये विपक्षी एकता है या फिर कांग्रेस मुक्त भारत का नूतन स्वरूप.
दरअसल, देश में विपक्षी एकता को लेकर 23 जून को पटना में समागम होने जा रहा है. इस समागम से पहले विपक्षी दल कांग्रेस पर तमाम तरह से दबाव बनाने की कोशिश कर रहे हैं. पहले तो यह बैठक पटना में बुलाई जा रही है और इसकी मेजबानी मुख्यमंत्री नीतीश कुमार कर रहे हैं, जो हाल तक कांग्रेस विरोध की राजनीति रहे थे. हालांकि 2015 में भी नीतीश कुमार ने कांग्रेस और राजद के साथ मिलकर महागठबंधन सरकार का नेतृत्व किया था.
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पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने नीतीश कुमार को सलाह दी थी कि विपक्षी एकता के लिए वे पटना में बैठक का आयोजन करें और नीतीश कुमार ने ठीक वैसा ही किया. विपक्षी एकता के लिए बैठक ऐसी जगह हो रही है, जहां कांग्रेस की सत्ता नहीं है. इस बात का भी अपना अलग सांकेतिक महत्व है. फिर भी कांग्रेस बैठक में शामिल हो रही है. अब जैसे कांग्रेस इस बैठक में शामिल होने के लिए मजबूर हुई, उसी तरह विपक्षी दल तरह-तरह से दबाव बनाकर उससे और कुर्बानी मांग रहे हैं.
बताया जा रहा है कि राहुल गांधी पहले पटना में होने वाली बैठक में जाने के लिए राजी नहीं थे, लेकिन उन्हें लालू प्रसाद यादव ने सलाह दी कि बैठक में मल्लिकार्जुन खड़गे के साथ उन्हें भी शामिल होना चाहिए. इसके बाद राहुल गांधी ने बैठक में शामिल होने की सहमति दी. इससे पहले दिल्ली में जब नीतीश कुमार मल्लिकार्जुन खड़गे से मिलने गए थे, तब भी बताया जाता है कि लालू प्रसाद यादव के कहने पर ही राहुल गांधी खड़गे के आवास पर पहुंच गए और वार्ता में शामिल हुए.
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दरअसल, विपक्षी दल समझ रहे हैं कि विपक्षी एकता कांग्रेस की मजबूरी है और इसी मजबूरी के बहाने उससे ज्यादा से ज्यादा कुर्बानी मांगी जा सकती है. तभी तो ममता बनर्जी का कहना है कि टीएमसी का साथ चाहिए तो बंगाल को कांग्रेस भूल जाए. ममता बनर्जी का यह भी कहना है कि कांग्रेस को लेफ्ट का साथ छोड़ना होगा, तभी गठबंधन को लेकर बात हो सकती है. अखिलेश यादव ने तो 80 में से 80 का नारा दे दिया है. उधर, आप ने भी मौका देखकर चैका लगाते हुए कह दिया कि अगर कांग्रेस पंजाब और दिल्ली भूल जाती है तो हम भी गुजरात और मध्य प्रदेश में चुनाव नहीं लड़ेंगे. देखना होगा कि कांग्रेस कितनी कुर्बानी देने को तैयार है.