बिहार विधानसभा चुनाव खत्म होते ही चिराग पड़ने लगे अकेले, अब इस दिग्गज ने भी छोड़ा साथ
Bihar Politics: Rameshwar Chaurasiya ने अपने हस्तलिखित पत्र में Chirag Paswan को विधानसभा चुनाव में पार्टी के उम्मीदवार के रूप में चुने जाने के लिए धन्यवाद दिया, लेकिन लोजपा के लिए काम करना जारी रखने में असमर्थता व्यक्त की.
Patna: चिराग पासवान के नेतृत्व वाली लोकजनशक्ति पार्टी (लोजपा) को बिहार के हालिया विधानसभा चुनाव से पहले लोजपा में शामिल हुए BJP के बागी नेता रामेश्वर चौरसिया के अचानक बुधवार को इस्तीफा देने से एक बड़ा झटका लगा. नोखा से कई बार भाजपा विधायक रहे चौरसिया 2015 के बिहार विधानसभा चुनाव में आरजेडी उम्मीदवार के हाथों पराजित हो गए थे और उन्होंने 2020 के विधानसभा चुनाव में इस सीट के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की पार्टी जदयू के हिस्से में चले जाने पर भाजपा छोड़ दी थी.
2020 के बिहार विधानसभा चुनाव में नीतीश के नेतृत्व को अस्वीकार्य करने और प्रधानमंत्री Narendra Modi के प्रति आस्था व्यक्त करने वाले चिराग की पार्टी LJP ने NDA से अलग होकर अपने बलबूते चुनाव लड़ा था तथा चौरसिया का अपनी पार्टी में स्वागत किया था.
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लोजपा के तब तक नोखा से एक और उम्मीदवार तय कर लिए जाने पर उसने चौरसिया को सासाराम सीट से अपना उम्मीदवार बनाया था, लेकिन वह इस सीट पर हुए चुनाव में तीसरे स्थान पर रहे थे और अपनी जमा राशि भी नहीं बचा पाए थे.
Rameshwar Chaurasiya ने अपने हस्तलिखित पत्र में Chirag Paswan को विधानसभा चुनाव में पार्टी के उम्मीदवार के रूप में चुने जाने के लिए धन्यवाद दिया, लेकिन लोजपा के लिए काम करना जारी रखने में असमर्थता व्यक्त की. इस पत्र का स्क्रीनशॉट सोशल मीडिया पर वायरल हो गया है.
JNU के पूर्व छात्र चौरसिया ने अंग्रेजी में लिखे अपने पत्र में चिराग से कहा है, ‘इसलिए मैं आपसे इस पत्र को लोजपा की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफे के रूप में मानने का अनुरोध करता हूं .’ लोजपा प्रवक्ता अशरफ अंसारी ने एक बयान जारी कर कहा, ‘रामेश्वर चौरसिया लोजपा से कभी जुड़े नहीं. वह भाजपा के साथी रहे हैं.’
उन्होंने कहा, ‘हम साथ में रहते, तो साथ काम करते, लेकिन उनकी अपनी महत्वाकांक्षा के कारण हम साथ में नहीं हैं.’ Rameshwar Chaurasiya सहित भाजपा के अन्य बागियों को पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष संजय जायसवाल ने दल से निष्कासित कर दिया था, क्योंकि उन्हें JDU के खिलाफ चुनावी मैदान में उतारा गया था.
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लोजपा की इस चुनावी रणनीति के कारण JDU की सीटों में भारी गिरावट आई थी, लेकिन दिवंगत केंद्रीय मंत्री Ramvilas Paswan द्वारा स्थापित यह पार्टी 140 से अधिक सीटों पर चुनाव लड़ने के बावजूद केवल एक सीट जीतने में सफल हो पायी थी.
चौरसिया भविष्य में क्या कदम उठाते हैं, यह देखा जाना अभी बाकी है, लेकिन भाजपा के एक नेता ने नाम न छापने की शर्त पर कहा, ‘वह हमारे वरिष्ठ नेता रहे हैं, जिन्होंने महत्वपूर्ण जिम्मेदारियां निभाई हैं. वह 2014 के लोकसभा चुनाव में उत्तर प्रदेश के सह प्रभारी थे. उन्होंने तत्कालीन राष्ट्रीय महासचिव Amit Shah के साथ मिलकर काम किया था. वास्तव में भाजपा उनका घर है.’
(इनपुट-भाषा)