ED के समन के बीच समर्थन जुटाने के लिए हेमंत सोरेन ने चली है बड़ी सियासी चाल
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ED के समन के बीच समर्थन जुटाने के लिए हेमंत सोरेन ने चली है बड़ी सियासी चाल

विधानसभा ने राज्य में थर्ड और फोर्थ ग्रेड की शत प्रतिशत सरकारी नौकरियां स्थानीय लोगों के लिए आरक्षित करने वाली डोमिसाइल पॉलिसी और ओबीसी आरक्षण को 14 से बढ़ाकर 27 फीसदी करने से संबंधित दो महत्वपूर्ण विधेयक शुक्रवार को पारित कर दिया है. 

(तस्वीर साभार-@HemantSorenJMM)

रांची: ईडी के नोटिस, कुछ लोगों की गिरफ्तारी और ऑपरेशन लोटस की आशंका के बीच झारखंड के सीएम हेमंत सोरेन ने दो साल बाद अगले चुनाव से पहले अपना सबसे बड़ा दांव खेल दिया है. ये दांव न सिर्फ 2024 के चुनाव में काम आएगा बल्कि मौजूदा सियासी झंझावतों में भी जनता का समर्थन दिलाएगा.

विधानसभा से पारित हुए दो विधेयक
दरअसल झारखंड विधानसभा ने राज्य में थर्ड और फोर्थ ग्रेड की शत प्रतिशत सरकारी नौकरियां स्थानीय लोगों के लिए आरक्षित करने वाली डोमिसाइल पॉलिसी और ओबीसी आरक्षण को 14 से बढ़ाकर 27 फीसदी करने से संबंधित दो महत्वपूर्ण विधेयक शुक्रवार को पारित कर दिया है. 

केंद्र के पास जाएगा विधेयक
राज्य सरकार ने एक दिन का विशेष सत्र बुलाकर इन दोनों विधेयकों को ध्वनि मत से पारित कराया. विधानसभा ने इन दोनों विधेयकों को संविधान की नौवीं अनुसूची में शामिल करने का प्रस्ताव भी पारित किया है. यानी इन्हें केंद्र सरकार के पास भेजा जाएगा. केंद्र इन्हें नौवीं अनुसूची में शामिल करा देता है तो ये दोनों विधेयक कानून का रूप ले लेंगे. 

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हेमंत सोरेन ने बीजेपी पर साधा निशाना
नौवीं अनुसूची में शामिल होने वाले कानूनों को अदालत में चुनौती नहीं दी जा सकती. मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने इन दोनों विधेयकों को ऐतिहासिक बताया है. उन्होंने कहा कि हमने राज्य की जनता से जो वादा किया था, वह पूरा कर दिया है. पिछली सरकार ने राज्य में ओबीसी आरक्षण (OBC Reservation) घटा दिया था. हमने पिछड़ों के हक छीनने की उनकी कोशिश विफल कर दी है. 

'आदिवासी अब बोका नहीं रहा'
विधानसभा में इन विधेयकों पर चर्चा के दौरान विपक्ष की आपत्तियों को खारिज करते हुए कहा हेमंत सोरेन ने कहा कि आदिवासी अब बोका (बेवकूफ) नहीं रहा. जिसे आपलोग बोका समझते हैं, वही आपको धो-पोंछकर बाहर फेंक देगा. इस मौके पर सोरेन ने बीजेपी पर जमकर निशाना साधा

27 प्रतिशत हुआ ओबीसी आराक्षण
झारखंड में मूल निवासी का मुद्दा हमेशा से राजनीतिक तौर पर अहम मुद्दा रहा है. विधानसभा में पारित किए गए 'झारखंड में पदों एवं सेवाओं की रिक्तियों में आरक्षण संशोधन विधेयक 2022' के कानून का रूप लेने पर पिछड़ा वर्ग यानी ओबीसी को मिलने वाला आरक्षण 14 प्रतिशत से बढ़कर 27 प्रतिशत हो जाएगा. 

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77 प्रतिशत हुआ आराक्षण
इसी तरह अनुसूचित जाति (एससी) को मिलने वाला आरक्षण 10 प्रतिशत से बढ़कर 12 प्रतिशत और अनुसूचित जनजाति (एसटी) का आरक्षण 26 से बढ़कर 28 प्रतिशत हो जाएगा. इसके अलावा आर्थिक रूप से पिछड़ा वर्ग यानी EWS के लिए 10 प्रतिशत आरक्षण का प्रावधान किया गया है. इस तरह कुल मिलाकर राज्य में अब आरक्षण का प्रतिशत 50 से बढ़कर 77 हो जायेगा.

क्या है डोमिसाइल पॉलिसी
पारित किया गया दूसरा विधेयक झारखंड में स्थानीयता नीति यानी डोमिसाइल पॉलिसी से संबंधित है. इसके मुताबिक जिन व्यक्तियों या जिनके पूर्वजों के नाम 1932 या उसके पूर्व राज्य में हुए भूमि सर्वे के कागजात यानी खतियान में दर्ज होंगे, उन्हें ही झारखंड राज्य का डोमिसाइल यानी स्थानीय निवासी माना जायेगा. ऐसे लोग जिनके पूर्वज 1932 या उसके पहले से झारखंड में रह रहे हैं, लेकिन जमीन न होने के कारण जिनके नाम 1932 के सर्वे कागजात यानी खतियान में दर्ज नहीं होंगे, उन्हें ग्राम सभाओं की पहचान के आधार पर डोमिसाइल माना जायेगा. राज्य में आरक्षण का लाभ उन्हें ही मिलेगा, जो झारखंड के डोमिसाइल होंगे. 

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बीजेपी के पाले में गेंद
विधेयक पारित कराते समय बीजेपी को निशाने पर लेकर सोरेन ने एक लकीर खींचने की कोशिश की. ये बताने की कोशिश की कि कैसे बीजेपी आदिवासी विरोधी ही नहीं, अल्पसंख्यक और पिछड़ा विरोधी है. ये सोरेन की सियासी चाल ही है क्योंकि इन दोनों विधेयकों को कानून बनाने की जिम्मेदारी अब केंद्र में बैठी बीजेपी की है. अगर ऐसा नहीं होता है तो सोरेन बीजेपी को वोटर के सामने कठघरे में खड़ा करेंगे. जब वो ऐसा करेंगे तो ये भी जोड़ सकते हैं कि आदिवासियों के हक में फैसला न करने वाली बीजेपी की केंद्र सरकार ED और IT के जरिए आदिवासी सीएम को भी पेरशान कर रही है. सोरेन ने चाल चल दी है, देखिए जवाब क्या आता है?

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